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रक्षा विभाग की भूमि पर अवैध निर्माण मामला, हाई कोर्ट ने पूर्व सीईओ से किया जवाब तलब - जबलपुर न्यूज

जबलपुर में रक्षा विभाग की भूमि पर बिना अनुमति निर्माण कार्य किए जाने के मामले में हाई कोर्ट ने सुनवाई करते हुए पूर्व

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मध्यप्रदेश हाईकोर्ट
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Published : Nov 6, 2020, 8:20 AM IST

जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने कैंट क्षेत्र में रक्षा विभाग की भूमि पर बिना अनुमति निर्माण कार्य किए जाने को चुनौती देने वाली जनहित याचिका पर सुनवाई की है. सुनवाई के दौरान पूर्व सीईओ बी रेड्डी शंकर बाबू को नोटिस तामील न होने पर उन्हें पुन: ईमेल से नोटिस भेजने के निर्देश दिए हैं. चीफ जस्टिस संजय यादव व जस्टिस व्हीके शुक्ला की पीठ ने उक्त निर्देश देते हुए मामले की अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद निर्धारित की है.

ये जनहित याचिका सदर निवासी आबिद हुसैन की ओर से दायर की गई है. जिसमें निर्माण कार्यों को लेकर कैंट बोर्ड की मीटिंग में होने वाले रेग्यूलेशन को कटघरे में रखा गया है. याचिकाकर्ता का कहना है कि, वर्ष 2013 से 2018 तक बोर्ड ने डिफेंस व नगर निगम स्वामित्व की भूमि पर करोड़ों रुपए के निर्माण किए हैं, जबकि उसके पास ये अधिकार नहीं है. कैंट बोर्ड सिर्फ अपने स्वामित्व की भूमि पर निर्माण कर सकता है, यदि अन्य की भूमि पर निर्माण करता है, तो बकायदा उसके लिए केन्द्र सरकार से अनुमति प्राप्त करनी होती है, लेकिन ऐसा नहीं किया गया और करोड़ों रुपए के कार्य किए गए, जो कि अवैध हैं. मामले में डिफेंस सेक्रेटरी सहित बिजिलेंस कमीशन कैंट बोर्ड के सीईओ और पूर्व सीईओ बी रेड्डी शंकर बाबू को पक्षकार बनाया गया है. सुनवाई के दौरान न्यायालय को बताया गया कि, अनावेदक बोर्ड सीईओ को नोटिस तामील नहीं हुआ है, जिस पर न्यायालय ने उन्हें फिर से नोटिस जारी करने के निर्देश दिए. मामले में याचिकाकर्ता ने स्वयं अपना पक्ष रखा.

जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने कैंट क्षेत्र में रक्षा विभाग की भूमि पर बिना अनुमति निर्माण कार्य किए जाने को चुनौती देने वाली जनहित याचिका पर सुनवाई की है. सुनवाई के दौरान पूर्व सीईओ बी रेड्डी शंकर बाबू को नोटिस तामील न होने पर उन्हें पुन: ईमेल से नोटिस भेजने के निर्देश दिए हैं. चीफ जस्टिस संजय यादव व जस्टिस व्हीके शुक्ला की पीठ ने उक्त निर्देश देते हुए मामले की अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद निर्धारित की है.

ये जनहित याचिका सदर निवासी आबिद हुसैन की ओर से दायर की गई है. जिसमें निर्माण कार्यों को लेकर कैंट बोर्ड की मीटिंग में होने वाले रेग्यूलेशन को कटघरे में रखा गया है. याचिकाकर्ता का कहना है कि, वर्ष 2013 से 2018 तक बोर्ड ने डिफेंस व नगर निगम स्वामित्व की भूमि पर करोड़ों रुपए के निर्माण किए हैं, जबकि उसके पास ये अधिकार नहीं है. कैंट बोर्ड सिर्फ अपने स्वामित्व की भूमि पर निर्माण कर सकता है, यदि अन्य की भूमि पर निर्माण करता है, तो बकायदा उसके लिए केन्द्र सरकार से अनुमति प्राप्त करनी होती है, लेकिन ऐसा नहीं किया गया और करोड़ों रुपए के कार्य किए गए, जो कि अवैध हैं. मामले में डिफेंस सेक्रेटरी सहित बिजिलेंस कमीशन कैंट बोर्ड के सीईओ और पूर्व सीईओ बी रेड्डी शंकर बाबू को पक्षकार बनाया गया है. सुनवाई के दौरान न्यायालय को बताया गया कि, अनावेदक बोर्ड सीईओ को नोटिस तामील नहीं हुआ है, जिस पर न्यायालय ने उन्हें फिर से नोटिस जारी करने के निर्देश दिए. मामले में याचिकाकर्ता ने स्वयं अपना पक्ष रखा.

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