जबलपुर। केंद्र सरकार द्वारा डीजल-पेट्रोल में वसूले जाने वाले सेस टैक्स की राशि का सामाजिक व व्यवसायिक उपयोग किए जाने के खिलाफ हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई थी. याचिका में कहा गया था कि एक्ट में संशोधन कर टैक्स में वसूली जाने वाली राशि का इस प्रकार से उपयोग किया जाना अवैधानिक है. याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक और जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव की युगलपीठ ने अनावेदकों को नोटिस जारी कर याचिका पर अगली सुनवाई 6 सप्ताह बाद निर्धारित की गई है.
नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच की तरफ से दायर की गई याचिका में कहा गया था कि रोड और इंफ्रास्टक्चर के लिए डीजल-पेट्रोल पर केन्द्र सरकार द्वारा 8 प्रतिशत सेस टैक्स लगाया जाता था. साल 2000 में लागू किए गए इस एक्ट का मुख्य उद्देश्य यह था कि सेस टैक्स से मिलने वाली राशि का उपयोग नेशनल हाईवे के विकास व देखभाल में खर्च किया जाए. इसके अलावा रेल्वे प्रोजेक्ट, रेल्वे की सुरक्षा सहित राज्य और ग्रामीण क्षेत्र की सड़कों पर किया जा सकता था.
याचिका में कहा गया था कि साल 2018 में एक्ट में संशोधन किया गया. संशोधन एक्ट के अनुसार सेस टैक्स की राशि का उपयोग सामाजिक और व्यवसायिक कार्यों में किया जा सकता है. जो केन्द्रीय रोड इंफ्रास्टक्चर फंड एक्ट 2000 के उद्देश्यों के खिलाफ है. याचिका में सचिव केन्द्र सड़क एवं परिवाहन विभाग को अनावेदक बनाया गया था. युगलपीठ ने याचिका पर अगली सुनवाई 22 फरवरी को निर्धारित करते हुए अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. सुनवाई के दौरान अधिवक्ता दिनेश उपाध्याय ने पैरवी की.