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HC: रेमडेसिविर इंजेक्शन के आयात और आरटी-पीसीआर टेस्ट की रिपोर्ट देर से आने पर सख्त कोर्ट

कोरोना संकट के बीच इलाज की अव्यवस्थाओं के मामले पर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में अहम आज सुनवाई हुई. प्रदेश के चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक की डिवीजन बेंच ने आज मामले पर लिए गए स्वतः संज्ञान सहित अन्य याचिकाओं पर करीब 3 घंटे तक सुनवाई की.

Madhya Pradesh High Court
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट
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Published : Apr 28, 2021, 4:31 PM IST

Updated : Apr 29, 2021, 3:49 PM IST

जबलपुर। प्रदेश में कोरोना संकट के बीच इलाज की अव्यवस्थाओं के मामले पर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में अहम आज सुनवाई हुई. प्रदेश के चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक की डिवीजन बेंच ने आज मामले पर लिए गए स्वतः संज्ञान सहित अन्य याचिकाओं पर करीब 3 घंटे तक सुनवाई की. सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से एक्शन टेकन रिपोर्ट पेश की गई.

17 पन्नों की कंप्लायंस रिपोर्ट कोर्ट में पेश

हाईकोर्ट द्वारा पूर्व में जारी किए गए दिशा निर्देशों का क्या पालन हुआ, यह बताने के लिए राज्य सरकार ने 17 पन्नों की कंप्लायंस रिपोर्ट हाई कोर्ट में पेश की. हालांकि राज्य सरकार के जवाब पर याचिकाकर्ताओं के वकीलों और कोर्ट मित्र ने कई आपत्तियां दर्ज करवाई हैं. सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने चार से पांच मुख्य बिंदुओं पर विस्तृत सुनवाई की और मौजूदा स्थितियों पर अपनी चिंता भी जताई. हाईकोर्ट ने पाया की कोर्ट के सख्त निर्देश के बावजूद मध्यप्रदेश में रेमडेसीविर इंजेक्शन की कालाबाजारी हो रही है, जिस पर हाईकोर्ट ने नाराजगी जताई है.

आरटी-पीसीआर टेस्ट की रिपोर्ट में देरी क्यों

कोर्ट ने सरकार से पूछा कि आखिर ऐसे हालातों में रेमडेसीविर इंजेक्शन का आयात क्यों नहीं किया जा रहा है. वहीं दूसरी तरफ कोरोना जांच में हो रही देरी पर भी हाई कोर्ट ने नाराजगी जताई. हाईकोर्ट ने पाया कि उसके पूर्व आदेश के मुताबिक अधिकतम 36 घंटों के भीतर आरटी-पीसीआर टेस्ट की रिपोर्ट मिल जानी चाहिए थी लेकिन आज भी प्रदेश में कई जगहों पर सैंपल रिपोर्ट आने में 5 से 6 दिनों तक का वक्त लिया जा रहा है.

भिंड की घटना को हाईकोर्ट ने माना संदेहास्पद, दिए जांच के आदेश

डेडिकेटेड कोविड हॉस्पिटल पर चिंता जाहिर की

मध्यप्रदेश में ऑक्सीजन की किल्लत पर हाईकोर्ट ने पाया कि मध्य प्रदेश सरकार, ऑक्सीजन के मामले पर पूरी तरह केंद्र सरकार पर निर्भर है. कोर्ट ने पाया कि एक तरफ केंद्र सरकार पर निर्भरता और दूसरी तरफ मध्यप्रदेश में ऑक्सीजन का उत्पादन ना होने की वजह से प्रदेश में ऑक्सीजन की किल्लत के यह हालात बने हैं. आज मामले पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने प्रदेश में डेडिकेटेड कोविड हॉस्पिटल और कोविड केयर सेंटर्स की कमी पर भी चिंता जताई.

एमपी में क्यों में नहीं है ऑक्सीजन प्लांट

सुनवाई के दौरान कोर्ट मित्र नियुक्त किए गए, सीनियर एडवोकेट नमन नागरथ ने हाईकोर्ट को बताया कि प्रदेश में कोरोना की दूसरी लहर फरवरी-मार्च में ही दस्तक दे चुकी थी. जिसकी जानकारी उन्होंने एक आवेदन के जरिए भी सरकार को दी थी लेकिन सरकार सो रही थी जिसने वक्त रहते कोई कदम नहीं उठाए. कोर्ट मित्र की ओर से कहा गया कि अब तक प्रदेश सरकार सिर्फ पीएम केयर्स फंड और चैरिटी के तहत ऑक्सीजन की व्यवस्था में जुटी रही, जबकि उसने अपने दम पर एक भी ऑक्सीजन प्लांट नहीं लगाया. दूसरी ओर सरकार ने अपने जवाब में यह दावा किया कि प्रदेश के शासकीय और निजी अस्पतालों में बेड की पर्याप्त व्यवस्था है. जिसकी ऑक्युपेंसी भी कम है, इस पर याचिकाकर्ताओं और कोर्ट मित्र की ओर से सख्त आपत्ति जताई गई और कहा गया कि प्रदेश में लोगों को अस्पताल में बेड नहीं मिल रहे हैं फिर भी सरकार द्वारा ऑक्युपेंसी कम बताना गलत है. बहरहाल करीब 3 घंटे तक चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच ने सभी पक्षों को विस्तार से सुना. हाई कोर्ट ने मामले पर आदेश जारी करने के लिए कल की तारीख तय की है.

जबलपुर। प्रदेश में कोरोना संकट के बीच इलाज की अव्यवस्थाओं के मामले पर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में अहम आज सुनवाई हुई. प्रदेश के चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक की डिवीजन बेंच ने आज मामले पर लिए गए स्वतः संज्ञान सहित अन्य याचिकाओं पर करीब 3 घंटे तक सुनवाई की. सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से एक्शन टेकन रिपोर्ट पेश की गई.

17 पन्नों की कंप्लायंस रिपोर्ट कोर्ट में पेश

हाईकोर्ट द्वारा पूर्व में जारी किए गए दिशा निर्देशों का क्या पालन हुआ, यह बताने के लिए राज्य सरकार ने 17 पन्नों की कंप्लायंस रिपोर्ट हाई कोर्ट में पेश की. हालांकि राज्य सरकार के जवाब पर याचिकाकर्ताओं के वकीलों और कोर्ट मित्र ने कई आपत्तियां दर्ज करवाई हैं. सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने चार से पांच मुख्य बिंदुओं पर विस्तृत सुनवाई की और मौजूदा स्थितियों पर अपनी चिंता भी जताई. हाईकोर्ट ने पाया की कोर्ट के सख्त निर्देश के बावजूद मध्यप्रदेश में रेमडेसीविर इंजेक्शन की कालाबाजारी हो रही है, जिस पर हाईकोर्ट ने नाराजगी जताई है.

आरटी-पीसीआर टेस्ट की रिपोर्ट में देरी क्यों

कोर्ट ने सरकार से पूछा कि आखिर ऐसे हालातों में रेमडेसीविर इंजेक्शन का आयात क्यों नहीं किया जा रहा है. वहीं दूसरी तरफ कोरोना जांच में हो रही देरी पर भी हाई कोर्ट ने नाराजगी जताई. हाईकोर्ट ने पाया कि उसके पूर्व आदेश के मुताबिक अधिकतम 36 घंटों के भीतर आरटी-पीसीआर टेस्ट की रिपोर्ट मिल जानी चाहिए थी लेकिन आज भी प्रदेश में कई जगहों पर सैंपल रिपोर्ट आने में 5 से 6 दिनों तक का वक्त लिया जा रहा है.

भिंड की घटना को हाईकोर्ट ने माना संदेहास्पद, दिए जांच के आदेश

डेडिकेटेड कोविड हॉस्पिटल पर चिंता जाहिर की

मध्यप्रदेश में ऑक्सीजन की किल्लत पर हाईकोर्ट ने पाया कि मध्य प्रदेश सरकार, ऑक्सीजन के मामले पर पूरी तरह केंद्र सरकार पर निर्भर है. कोर्ट ने पाया कि एक तरफ केंद्र सरकार पर निर्भरता और दूसरी तरफ मध्यप्रदेश में ऑक्सीजन का उत्पादन ना होने की वजह से प्रदेश में ऑक्सीजन की किल्लत के यह हालात बने हैं. आज मामले पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने प्रदेश में डेडिकेटेड कोविड हॉस्पिटल और कोविड केयर सेंटर्स की कमी पर भी चिंता जताई.

एमपी में क्यों में नहीं है ऑक्सीजन प्लांट

सुनवाई के दौरान कोर्ट मित्र नियुक्त किए गए, सीनियर एडवोकेट नमन नागरथ ने हाईकोर्ट को बताया कि प्रदेश में कोरोना की दूसरी लहर फरवरी-मार्च में ही दस्तक दे चुकी थी. जिसकी जानकारी उन्होंने एक आवेदन के जरिए भी सरकार को दी थी लेकिन सरकार सो रही थी जिसने वक्त रहते कोई कदम नहीं उठाए. कोर्ट मित्र की ओर से कहा गया कि अब तक प्रदेश सरकार सिर्फ पीएम केयर्स फंड और चैरिटी के तहत ऑक्सीजन की व्यवस्था में जुटी रही, जबकि उसने अपने दम पर एक भी ऑक्सीजन प्लांट नहीं लगाया. दूसरी ओर सरकार ने अपने जवाब में यह दावा किया कि प्रदेश के शासकीय और निजी अस्पतालों में बेड की पर्याप्त व्यवस्था है. जिसकी ऑक्युपेंसी भी कम है, इस पर याचिकाकर्ताओं और कोर्ट मित्र की ओर से सख्त आपत्ति जताई गई और कहा गया कि प्रदेश में लोगों को अस्पताल में बेड नहीं मिल रहे हैं फिर भी सरकार द्वारा ऑक्युपेंसी कम बताना गलत है. बहरहाल करीब 3 घंटे तक चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच ने सभी पक्षों को विस्तार से सुना. हाई कोर्ट ने मामले पर आदेश जारी करने के लिए कल की तारीख तय की है.

Last Updated : Apr 29, 2021, 3:49 PM IST
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