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OBC RESERVATION : आयुष मेडिकल की सीटों में ओबीसी आरक्षण के लिए हाईकोर्ट में सुनवाई, पढ़ें क्या है फैसला - ओबीसी आरक्षण के लिए हाईकोर्ट में सुनवाई

मध्यप्रदेश सरकार द्वारा ओबीसी आरक्षण (OBC reservation) 27 प्रतिशत से संबंधित 50 से अधिक याचिकाओं की सुनवाई हाई कोर्ट में हुई. युगलपीठ ने याचिकाओं की सुनवाई करते हुए कहा है कि आयुष मेडिकल की सीटों में ओबीसी वर्ग को दिए गए 27 प्रतिशत आरक्षण में से 13 प्रतिशत दाखिले अंतिम आदेश के अधीन रहेंगे. याचिकाओं पर अगली सुनवाई 27 अप्रैल को निर्धारित की गई है. (High Court hearing OBC reservation)

High Court hearing OBC reservation
ओबीसी आरक्षण के लिए हाईकोर्ट में सुनवाई
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Published : Mar 29, 2022, 5:32 PM IST

जबलपुर। प्रदेश सरकार द्वारा ओबीसी आरक्षण (OBC reservation) 27 प्रतिशत से संबंधित याचिकाओं की सुनवाई सोमवार को जस्टिस षील नागू तथा जस्टिस एम एस भटटी द्वारा की गयी. युगलपीठ ने याचिकाओं की सुनवाई करते हुए कहा है कि आयुष मेडिकल की सीट में ओबीसी वर्ग को दिये गये 27 प्रतिशत आरक्षण में से 13 प्रतिशत दाखिले अंतिम आदेश के अधीन रहेंगे. गौरतलब है कि आशिता दुबे सहित अन्य की तरफ से प्रदेश सरकार द्वारा ओबीसी आरक्षण 27 प्रतिशत किए जाने के खिलाफ तथा पक्ष में लगभग आधा सैकड़ा याचिकाएं दायर की गई थीं. हाईकोर्ट ने कई संबंधित याचिकाओं पर ओबीसी आरक्षण 27 प्रतिशत किए जाने पर रोक लगा दी थी. सरकार द्वारा स्थगन आदेश वापस लेने के लिए आवेदन दायर किया गया था. हाईकोर्ट ने 1 सितम्बर 2021 को स्थगन आदेश वापस लेने से इंकार करते हुए संबंधित याचिकाओं को अंतिम सुनवाई के निर्देश जारी किये थे.

सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला दिया : प्रदेश सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग ने महाधिवक्ता द्वारा 25 अगस्त 2021 को दिये अभिमत के आधार पर पीजी नीट 2019-20,पीएससी के माध्यम से होने वाली मेडिकल अधिकारियों की नियुक्ति तथा शिक्षक भर्ती छोड़कर अन्य विभाग में 27 ओबीसी वर्ग को 27 प्रतिशत दिये जाने के आदेश जारी कर दिये हैं. उक्त आदेश के खिलाफ भी हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी थी. आरक्षण के खिलाफ दायर याचिकाकर्ताओं की तरफ से युगलपीठ को बताया गया कि सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने साल 1993 में इंदिरा साहनी तथा साल 2021 में मराठा आरक्षण के मामले स्पष्ट आदेश दिए हैं कि आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए. प्रदेश में ओबीसी आरक्षण 27 प्रतिशत किये जाने पर आरक्षण की सीमा 63 प्रतिशत तक पहंच जााएगी.

14 प्रतिशत से अधिक आरक्षण नहीं देने के आदेश थे: सुनवाई के दौरान युगलपीठ को बताया गया कि आयुष मेडिकल 2022 में दाखिले की अंतिम कटऑफ डेट 24 फरवरी थी. सरकार द्वारा आयुष मेडिकल में ओबीसी वर्ग को 24 प्रतिषत आरक्षण दिये जाने के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी थी. याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने 22 फरवरी को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. हाईकोर्ट ने 26 फरवरी को दाखिले में 14 प्रतिशत से अधिक आरक्षण नहीं देने के आदेश जारी किये थे. जिसके खिलाफ सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी. सर्वोच्च न्यायालय ने हाईकोर्ट के समक्ष अपना पक्ष प्रस्तुत करने के निर्देश दिये थे. युगलपीठ को बताया गया कि कटऑफ डेट तक हाईकोर्ट ने 27 प्रतिशत आरक्षण देने पर रोक नहीं लगाई थी. युगलपीठ ने सुनवाई के बाद उक्त आदेश जारी किये. युगलपीठ ने अगली सुनवाई के दौरान विसेन आयोग की रिपोर्ट प्रस्तुत करने की स्वतंत्रता दी है. याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता आदित्य संघी तथा सरकार की तरफ से अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ने पैरवी की.

पीएससी 2019 की नियुक्तियों को लेकर हाई कोर्ट में हुई सुनवाई, जानें .. क्या है नया आदेश

डीजीपी के जवाब से हाई कोर्ट संतुष्ट नहीं : अपराध की श्रेणियों में गंभीरता निर्धारित करने संबंधी सर्कुलर को लेकर पुलिस की परेशानियां कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. ग्वालियर हाईकोर्ट ने डीजीपी के जवाब से असहमति दिखाई है. उन्हें 4 अप्रैल को फिर से अपना जवाब पेश करने के निर्देश दिए गए हैं. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि पुलिस ऐसे सर्कुलर के साथ ना जवाब पेश करे, जिसमें मामले की गंभीरता को लेकर गृह मंत्रालय की अनुमति की जरूरत है या नहीं, यह बताया गया है .कोर्ट ने पूछा है कि सनसनीखेज मामलों में क्या अतिरिक्त प्रयास करने की जरूरत होती है, जबकि सामान्य मामलों में जांच की क्या स्थिति रहती है. दरअसल, मलखान सिंह ने हाई कोर्ट में जमानत के लिए आवेदन पेश किया था. कोर्ट की ओर से पूछा गया कि हत्या की कोशिश की है, इस मामले में क्या आवेदक मलखान सिंह का अदालत में पूरक चालान पेश हुआ. इस पर डीपीओ ने यह कहते हुए इस बात से इंकार कर दिया कि कुछ गंभीर मामलों में गृह मंत्रालय की अनुमति आवश्यक होती है. एडवोकेट संगीता पचोरी ने बताया कि पुलिस ने चालान पेश किया तो डीपीओ ग्वालियर ने यह कहते हुए इंकार कर दिया कि यह सनसनीखेज मामला है और इसमें भोपाल से अनुमति लेना होगी. इसके लिए पुलिस के 2012 के सर्कुलर का हवाला दिया गया था. (High Court hearing OBC reservation)

जबलपुर। प्रदेश सरकार द्वारा ओबीसी आरक्षण (OBC reservation) 27 प्रतिशत से संबंधित याचिकाओं की सुनवाई सोमवार को जस्टिस षील नागू तथा जस्टिस एम एस भटटी द्वारा की गयी. युगलपीठ ने याचिकाओं की सुनवाई करते हुए कहा है कि आयुष मेडिकल की सीट में ओबीसी वर्ग को दिये गये 27 प्रतिशत आरक्षण में से 13 प्रतिशत दाखिले अंतिम आदेश के अधीन रहेंगे. गौरतलब है कि आशिता दुबे सहित अन्य की तरफ से प्रदेश सरकार द्वारा ओबीसी आरक्षण 27 प्रतिशत किए जाने के खिलाफ तथा पक्ष में लगभग आधा सैकड़ा याचिकाएं दायर की गई थीं. हाईकोर्ट ने कई संबंधित याचिकाओं पर ओबीसी आरक्षण 27 प्रतिशत किए जाने पर रोक लगा दी थी. सरकार द्वारा स्थगन आदेश वापस लेने के लिए आवेदन दायर किया गया था. हाईकोर्ट ने 1 सितम्बर 2021 को स्थगन आदेश वापस लेने से इंकार करते हुए संबंधित याचिकाओं को अंतिम सुनवाई के निर्देश जारी किये थे.

सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला दिया : प्रदेश सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग ने महाधिवक्ता द्वारा 25 अगस्त 2021 को दिये अभिमत के आधार पर पीजी नीट 2019-20,पीएससी के माध्यम से होने वाली मेडिकल अधिकारियों की नियुक्ति तथा शिक्षक भर्ती छोड़कर अन्य विभाग में 27 ओबीसी वर्ग को 27 प्रतिशत दिये जाने के आदेश जारी कर दिये हैं. उक्त आदेश के खिलाफ भी हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी थी. आरक्षण के खिलाफ दायर याचिकाकर्ताओं की तरफ से युगलपीठ को बताया गया कि सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने साल 1993 में इंदिरा साहनी तथा साल 2021 में मराठा आरक्षण के मामले स्पष्ट आदेश दिए हैं कि आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए. प्रदेश में ओबीसी आरक्षण 27 प्रतिशत किये जाने पर आरक्षण की सीमा 63 प्रतिशत तक पहंच जााएगी.

14 प्रतिशत से अधिक आरक्षण नहीं देने के आदेश थे: सुनवाई के दौरान युगलपीठ को बताया गया कि आयुष मेडिकल 2022 में दाखिले की अंतिम कटऑफ डेट 24 फरवरी थी. सरकार द्वारा आयुष मेडिकल में ओबीसी वर्ग को 24 प्रतिषत आरक्षण दिये जाने के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी थी. याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने 22 फरवरी को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. हाईकोर्ट ने 26 फरवरी को दाखिले में 14 प्रतिशत से अधिक आरक्षण नहीं देने के आदेश जारी किये थे. जिसके खिलाफ सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी. सर्वोच्च न्यायालय ने हाईकोर्ट के समक्ष अपना पक्ष प्रस्तुत करने के निर्देश दिये थे. युगलपीठ को बताया गया कि कटऑफ डेट तक हाईकोर्ट ने 27 प्रतिशत आरक्षण देने पर रोक नहीं लगाई थी. युगलपीठ ने सुनवाई के बाद उक्त आदेश जारी किये. युगलपीठ ने अगली सुनवाई के दौरान विसेन आयोग की रिपोर्ट प्रस्तुत करने की स्वतंत्रता दी है. याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता आदित्य संघी तथा सरकार की तरफ से अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ने पैरवी की.

पीएससी 2019 की नियुक्तियों को लेकर हाई कोर्ट में हुई सुनवाई, जानें .. क्या है नया आदेश

डीजीपी के जवाब से हाई कोर्ट संतुष्ट नहीं : अपराध की श्रेणियों में गंभीरता निर्धारित करने संबंधी सर्कुलर को लेकर पुलिस की परेशानियां कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. ग्वालियर हाईकोर्ट ने डीजीपी के जवाब से असहमति दिखाई है. उन्हें 4 अप्रैल को फिर से अपना जवाब पेश करने के निर्देश दिए गए हैं. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि पुलिस ऐसे सर्कुलर के साथ ना जवाब पेश करे, जिसमें मामले की गंभीरता को लेकर गृह मंत्रालय की अनुमति की जरूरत है या नहीं, यह बताया गया है .कोर्ट ने पूछा है कि सनसनीखेज मामलों में क्या अतिरिक्त प्रयास करने की जरूरत होती है, जबकि सामान्य मामलों में जांच की क्या स्थिति रहती है. दरअसल, मलखान सिंह ने हाई कोर्ट में जमानत के लिए आवेदन पेश किया था. कोर्ट की ओर से पूछा गया कि हत्या की कोशिश की है, इस मामले में क्या आवेदक मलखान सिंह का अदालत में पूरक चालान पेश हुआ. इस पर डीपीओ ने यह कहते हुए इस बात से इंकार कर दिया कि कुछ गंभीर मामलों में गृह मंत्रालय की अनुमति आवश्यक होती है. एडवोकेट संगीता पचोरी ने बताया कि पुलिस ने चालान पेश किया तो डीपीओ ग्वालियर ने यह कहते हुए इंकार कर दिया कि यह सनसनीखेज मामला है और इसमें भोपाल से अनुमति लेना होगी. इसके लिए पुलिस के 2012 के सर्कुलर का हवाला दिया गया था. (High Court hearing OBC reservation)

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