जबलपुर। दुबई में कार्यरत मुस्लिम युवक ने चाचा ससुर द्वारा पत्नी व बेटी को बंधक बनाये जाने का आरोप लगाते हुए हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की. याचिका की सुनवाई के दौरान उपस्थित महिला ने हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ तथा जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ को बताया कि वैवाहिक विवाद के कारण वह स्वैच्छा से पिता के घर आ गयी है. इसके बाद युगलपीठ ने याचिका को खारिज करते हुए याचिकाकर्ता पर 25 हजार रुपये की कॉस्ट लगाई है.
याचिका में यह बताया : याचिकाकर्ता आई अहमद की तरफ से दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका में कहा गया था कि वह मूलतः जबलपुर के घमापुर क्षेत्र का निवासी है. लॉकडाउन लगने के पहले उसकी दुबई में जॉब लग गयी थी. पत्नी व 6 साल की बेटी को दुबई ले जाने के लिए उसके पासपोर्ट बनना लिये थे. लॉकडाउन लगने के कारण पत्नी व बच्ची को वह अपने ससुर के पास छोड़ गया था. उसके ससुर का स्वास्थ ठीक नहीं रहता था. जनवरी 2022 तक फोन पर उसकी बात पत्नी व बच्ची से होती थी. इसके बाद पत्नी व बच्ची से उसकी बात होना बंद हो गई.
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बंदी बनाने का आरोप था : पतासाजी करने पर ज्ञात हुआ कि उसका चाचा सुसर पत्नी व बेटी को बंधक बनाये हुए हैं. पत्नी की बात चाचा ससुर उसके मां -बात से भी नहीं करवाता है. इसके बाद वह जबलपुर वापस आया और ओमती थाने में शिकायत दी परंतु पुलिस ने प्रकरण तक दर्ज नहीं किया. पुलिस अधीक्षक से शिकायत करने पर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई. इस कारण उक्त बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की गयी. (Habeas corpus petition matrimonial dispute) (High Court imposed 25 thousand fine)