जबलपुर। ग्वालियर में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के छात्रों को मदद करने की वजह से जो सजा मिली है उसके खिलाफ अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने अब पूरे प्रदेश में आंदोलन शुरू कर दिया है. जबलपुर में भी अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं ने जबलपुर के घंटाघर चौक पर प्रदर्शन किया. इन लोगों का कहना है कि ''जब तक छात्रों के खिलाफ मुकदमें वापस नहीं लिए जाते तब तक यह आंदोलन चलता रहेगा.''
मामला क्या था: ग्वालियर एबीवीपी के कार्यकर्ता हिमांशु श्रोत्रिय और सुकृत शर्मा 12 दिसंबर को दिल्ली जा रहे थे. इन दोनों ही कार्यकर्ताओं की सामने वाली सीट पर प्रोफेसर रणजीत सिंह बैठे हुए थे. प्रोफेसर रणजीत सिंह एक विश्वविद्यालय के कुलपति भी हैं. उन्हें अचानक सीने में दर्द शुरू हुआ. ABVP कार्यकर्ता यह समझ गए थे कि प्रोफेसर को हार्ट अटैक हुआ है. वह तुरंत प्रोफेसर को उठाकर स्टेशन के बाहर लेकर आए और एंबुलेंस को फोन किया. उन्हें लगा कि एंबुलेंस को आने में देर लगेगी है, तभी उन्हें मौके पर हाईकोर्ट जज की कार दिखाई दी. दोनों ने ड्राइवर से चाबी छीनी और दर्द से तड़प रहे प्रोफेसर को कार में लेताया और वे अस्पताल की ओर बढ़े. हालांकि प्रोफेसर की जान नहीं बच पाई. लेकिन इस घटना के बाद इन दोनों कार्यकर्ताओं के खिलाफ लूट का मामला दर्ज हुआ.
जबलपुर में हुआ प्रदर्शन: एक तरफ सुप्रीम कोर्ट ने कहा है की एक्सीडेंट में मदद करने वालों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं होगी. ऐसी स्थिति में जज की गाड़ी को एक नेक काम के लिए इस्तेमाल करने वाले छात्रों के खिलाफ मामले दर्ज करना कहां तक सही है. इसी मुद्दे को अब अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद आंदोलन कर रही है. जबलपुर में भी अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं ने घंटाघर चौराहे के पास प्रदर्शन किया. क्योंकि यह आंदोलन कोर्ट के खिलाफ है.
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मदद करने वालों को सजा नहीं होनी चाहिए: इन लोगों का कहना है कि ''वह हाईकोर्ट की मान और मर्यादा का सम्मान करते हैं लेकिन जो हुआ वह सही नहीं था. इसके विरोध में मौन धारण देकर कर रहे हैं. इन लोगों की मांग है कि किसी को भी मदद करने की सजा नहीं दी जानी चाहिए और एबीवीपी के कार्यकर्ताओं के खिलाफ जो मामले दर्ज हुए हैं उन्हें हटाया जाना चाहिए.'' इस मामले में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव और पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज ने भी पुलिस और कोर्ट से मांग की है कि जिन छात्रों के खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज किया गया है वह वापस किया जाए. इस मामले में यदि छात्रों के खिलाफ कार्यवाही की गई तो लोग मदद करने से डरने लगेंगे.