जबलपुर। कृषि उपज मंडी में हजारों टन हरी मटर के सड़ने की आशंका खड़ी हो गई है. किसानों ने मंडी के गेट बंद कर दिए हैं और सड़क जाम कर दी है. इसकी वजह से मंडी से मटर बाहर नहीं जा पा रहा है. किसानों का कहना है कि उनका मटर अच्छे दामों में खरीदा जाए. वहीं व्यापारियों का कहना है कि मटर की क्वालिटी अच्छी नहीं है, इसलिए वे इसे किसी दाम में नहीं खरीदेंगे. जबलपुर जिला प्रशासन, मंडी प्रशासन और पुलिस इस समस्या का कोई समाधान नहीं निकल पा रही है. किसानों का आंदोलन लगातार जारी है.
जबलपुर में हरी मटर बनी समस्या: हरे मटर की सब्जी आपके लिए एक स्वादिष्ट पकवान होगा, लेकिन जबलपुर में आज यह एक समस्या बन गया है. जबलपुर के आसपास हजारों एकड़ में हरे मटर का उत्पादन होता है. इस साल इसकी फसल ने बंपर उत्पादन दिया है और जबलपुर कृषि उपज मंडी में जहां रोज लगभग 300 गाड़ी मटर आता था. 5 दिसंबर के दिन वहां लगभग 1000 वाहन मटर पहुंच गया. इतनी अधिक मटर के पहुंचने की वजह से मंडी में इसके खरीददार ही नहीं मिले. इसकी वजह से मटर के दाम ₹2 तक पहुंच गए. वहीं सैकड़ों क्विंटल मटर को किसी ने खरीद ही नहीं.
सोमवार दोपहर से आए किसानों को मंडी में खड़े हुए ही 24 घंटे से ज्यादा बीत गए हैं. ऐसी स्थिति में हरा मटर खराब होने लगा है. कई किसानों की ट्राली से पानी रिसने लगा है, मटर ने पानी छोड़ दिया है और बोरी के भीतर ही मटर खराब गया है. अब किसान प्रशासन और व्यापारियों पर दबाव बना रहे हैं कि उनका यह मटर भी खरीदा जाए. इसी दबाव के लिए उन्होंने जबलपुर कृषि उपज मंडी के सामने सड़क पर जाम लगा दिया है. कृषि उपज मंडी में 1000 से ज्यादा गाड़ियां खड़ी हुई है. यहां जिला प्रशासन के अधिकारी पुलिस और मंडी के अधिकारी मौजूद हैं. किसान अलग अलग गुटों में मुआवजे की मांग कर रहे हैं. किसानों का कहना है कि जब तक उनकी मांग पूरी नहीं होती वे जाम नहीं खोलेंगे.
व्यापारियों की बर्बादी: जबलपुर में अयोध्या से आए व्यापारी शेर बहादुर का कहना है कि वे जबलपुर से ही मटर का व्यापार करते हैं. आज भी वे यहां मटर खरीदने आए थे. उनकी लगभग पांच ट्रक मटर गाड़ियों में लगा हुआ है. पिछले 24 घंटे से मंडी के भीतर खड़ा हुआ है और अब वह खराब होने की स्थिति में आ गया है. उनके लाखों का नुकसान तय है. वहीं जबलपुर से कोलकाता मटर भेजने वाले अजहर ने बताया कि उन्होंने दो दिन में लगभग 2200 किला बड़ी मटर खरीदी थी, किसानों के इस आंदोलन की वजह से उनका लगभग 30 लाख का माल खराब हो गया है.
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₹700 का मुआवजा देने की बात: प्रशासनिक अधिकारियों ने मंडी बोर्ड के अधिकारियों से कहा है कि वह किसानों को मुआवजा दें और ₹700 प्रति क्विंटल के हिसाब से किसानों को भुगतान किया जाए, लेकिन किसान इसके लिए तैयार नहीं है. अभी तक इस योजना पर भी कोई अमल शुरू नहीं हो पाया है. अभी भी जो हालात बने हुए हैं. उससे ऐसा लगता है कि कृषि उपज मंडी में फंसा हुआ मटर उपभोक्ताओं तक नहीं पहुंच पाएगा. ऐसी स्थिति में इस मटर के सड़ने की आशंका बनी हुई है. इस स्थिति में न केवल किसानों का बल्कि व्यापारियों का भी नुकसान होगा और इस पूरे घटनाक्रम के लिए मंडी प्रशासन की अवस्था जिम्मेदार है.