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राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव का आयोजन, डिंडोरी की गंगोत्री तेकाम हुईं शामिल

गोंडी कला में माहिर गंगोत्री तेकाम ने डिंडोरी के छोटे से गांव से निकलकर देशभर में नाम कमाया और आज उनकी बनाई पेंटिंग महंगे दामों पर बिकती हैं.

डिंडोरी के दूरदराज गांव की महिला का कमाल
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Published : Oct 14, 2019, 10:59 PM IST

जबलपुर। जबलपुर में राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव चल रहा है. इस महोत्सव में देश भर के जाने माने कलाकार शामिल हुए हैं. इसमें ज्यादातर कलाकार ऐसे हैं जिनकी अंतरराष्ट्रीय पहचान है. जिन्होंने दुनिया भर में अपनी कला का लोहा मनवाया है. इसी महोत्सव में डिंडोरी की गंगोत्री तेकाम आई है.

गंगोत्री गोंड कला में महारत हासिल कर चुकी है. उनकी बनाई पेंटिंग्स महंगे दामों में बिकती हैं. वह भारत में अपनी कला का लोहा मनवा चुकी हैं. लोग उनकी बनाई पेंटिंग महंगे दामों में खरीदते हैं. गंगोत्री गांव की साधारण महिलाओं के लिए एक बड़ा उदाहरण है जिन्होंने अपनी मेहनत के दम पर अपना नाम हासिल किया है.

गंगोत्री डिंडोरी के छोटे से गांव से हैं लेकिन यह गांव खूबसूरत जंगलों से घिरा हुआ है. गांव के आसपास कई जंगली जानवर देखने को मिलते हैं. उनकी पेंटिंग में भी इन जानवरों को और जंगलों को आसानी से देखा जा सकता है. लेकिन शादी के बाद उनके पति ने उन्हें गोंडी कला सीखने का मौका दिया गंगोत्री ने इसका फायदा उठाया.

गोंडी कला भित्ति चित्रों से बनी है. यह भित्ति चित्र किसी जमाने में गोंडी जाति के लोगों ने उन गुफाओं में बनाए थे जहां वे रहते थे. अब इसे विकसित कर एक कला का रूप दे दिया गया है और गंगोत्री इस कला की गंगोत्री हैं.

जबलपुर। जबलपुर में राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव चल रहा है. इस महोत्सव में देश भर के जाने माने कलाकार शामिल हुए हैं. इसमें ज्यादातर कलाकार ऐसे हैं जिनकी अंतरराष्ट्रीय पहचान है. जिन्होंने दुनिया भर में अपनी कला का लोहा मनवाया है. इसी महोत्सव में डिंडोरी की गंगोत्री तेकाम आई है.

गंगोत्री गोंड कला में महारत हासिल कर चुकी है. उनकी बनाई पेंटिंग्स महंगे दामों में बिकती हैं. वह भारत में अपनी कला का लोहा मनवा चुकी हैं. लोग उनकी बनाई पेंटिंग महंगे दामों में खरीदते हैं. गंगोत्री गांव की साधारण महिलाओं के लिए एक बड़ा उदाहरण है जिन्होंने अपनी मेहनत के दम पर अपना नाम हासिल किया है.

गंगोत्री डिंडोरी के छोटे से गांव से हैं लेकिन यह गांव खूबसूरत जंगलों से घिरा हुआ है. गांव के आसपास कई जंगली जानवर देखने को मिलते हैं. उनकी पेंटिंग में भी इन जानवरों को और जंगलों को आसानी से देखा जा सकता है. लेकिन शादी के बाद उनके पति ने उन्हें गोंडी कला सीखने का मौका दिया गंगोत्री ने इसका फायदा उठाया.

गोंडी कला भित्ति चित्रों से बनी है. यह भित्ति चित्र किसी जमाने में गोंडी जाति के लोगों ने उन गुफाओं में बनाए थे जहां वे रहते थे. अब इसे विकसित कर एक कला का रूप दे दिया गया है और गंगोत्री इस कला की गंगोत्री हैं.

Intro:गोंडी कला मैं माहिर गंगोत्री तेकाम ने डिंडोरी के छोटे से गांव से निकलकर देशभर में कमाया नाम आज उनकी बनाई पेंटिंग महंगे दामों पर बिकती हैं


Body:जबलपुर मैं राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव चल रहा है इस महोत्सव में देश भर के जाने माने कलाकार आए हैं इसमें ज्यादातर कलाकार ऐसे हैं जिनकी अंतरराष्ट्रीय पहचान है और जिन्होंने दुनिया भर में अपनी कला का लोहा मनवाया है इसी महोत्सव में मध्य प्रदेश के डिंडोरी की गंगोत्री तेकाम आई हैं

गंगोत्री डिंडोरी के बेहद पिछड़े गांव में रहती हैं उन्होंने मात्र आठवीं तक पढ़ाई की है लेकिन शादी के बाद उनके पति ने उन्हें गौड़ी कला सीखने का मौका दिया गंगोत्री ने इसका फायदा उठाया और अब गंगोत्री गौड कला में महारत हासिल कर चुकी हैं उनकी बनाई पेंटिंग्स महंगे दामों में बिकती हैं वह भारत भर में अपनी कला का लोहा मनवा चुकी हैं लोग उनकी बनाई पेंटिंग महंगे दामों में खरीदते हैं

गंगोत्री गांव की साधारण महिलाओं के लिए एक बड़ा उदाहरण है जिन्होंने अपनी मेहनत के दम पर अपना नाम हासिल किया है

गंगोत्री डिंडोरी के छोटे से गांव से हैं लेकिन यह गांव खूबसूरत जंगलों से घिरा हुआ है और आसपास कई जंगली जानवर देखने को मिलते हैं उनकी पेंटिंग में भी इन जानवरों को और जंगलों को आसानी से देखा जा सकता है

यह कला भित्ति चित्रों से बनी है यह भित्ति चित्र किसी जमाने में गौड़ जाति के लोगों ने उन गुफाओं में बनाए थे जहां भी रहते थे अब इसे विकसित कर कर एक कला का रूप दे दिया गया है और गंगोत्री इस कला की गंगोत्री हैं



Conclusion:बाइट गंगोत्री तेकाम
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