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9 साल बाद बाहर निकला एंबुलेंस घोटाले का जिन्न! पूर्व मंत्री से रिकवरी नहीं होने पर HC ने सरकार को किया तलब - Deendayal Mobile Hospital Scheme scam

साल 2013 में एंबुलेंस के नाम पर करोड़ों रुपए का वारा न्यारा करने का घोटाला हुआ था. इसकी जद में पूर्व मंत्री ओम प्रकाश धुर्वे और उनकी पत्नी ज्योति धुर्वे आए. तकरीबन 9 साल पुराने इस मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था. जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान अब हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार से जवाब तलब किया है.

Pandit Deendayal Upadhyay
पंडित दीनदयाल उपाध्याय
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Published : Jun 12, 2021, 11:39 AM IST

जबलपुर। पूर्व मंत्री ओम प्रकाश धुर्वे और उनकी पत्नी ज्योति धुर्वे दीनदयाल चलित अस्पताल योजना (Deendayal Mobile Hospital Scheme) में घोटाले के आरोपी हैं. मामला 9 साल पुराना है. अब एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने सरकार से जवाब मांगा है. दरअसल वीरेंद्र केसवानी की ओर से दायर जनहित याचिका में इस घोटाले को लेकर अब तक किसी भी तरह की कार्रवाई और एफआईआर न होने का जिक्र है, जबकि मामले में पहले हुई विभागीय जांच में लाखों की रिकवरी और एफआईआर के आदेश 2016 में ही जारी हो चुका था.

ये है पूरा मामला

यह पूरा मामला 2012-13 वित्तीय वर्ष से जुड़ा हुआ है. जब प्रदेश में दीनदयाल चलित अस्पताल योजना संचालित की जा रही थी. योजना के तहत सरकारी अस्पतालों में किराए से एसी एंबुलेंस (AC Ambulance) मुहैया कराई जानी थी, जो चलते-फिरते जरूरतमंदों को इलाज मुहैया कराने में सक्षम हो. इस योजना के तहत गजानन शिक्षा एवं जन सेवा समिति को ठेका दिया गया था. जिसके अध्यक्ष पूर्व मंत्री ओम प्रकाश धुर्वे (Former Minister Om Prakash Dhurve) और सचिव ज्योति धुर्वे (Jyoti Dhurve) थी. योजना के तहत डिंडोरी जिले में कई एंबुलेंस इनकी समिति द्वारा मुहैया कराई गई और इसकी एवज में जो बिल लगाए गए उससे जमकर काली कमाई अर्जित की गई है.

2016 से बंद पड़ी है फाइल

याचिकाकर्ता के मुताबिक इस मामले में जब जांच बिठाई गई तो पता चला कि एंबुलेंस के नाम पर ट्रक, फायर ब्रिगेड, स्कूल बस और ट्रैक्टर के नंबर देकर लाखों का भुगतान ले लिया गया था. 2013 में डिंडोरी में पदस्थ रहे तत्कालीन कलेक्टर और 2016 में तत्कालीन कलेक्टर रही छवि भारद्वाज ने नोटशीट चलाते हुए रिकवरी समेत अन्य आवश्यक कार्रवाई के निर्देश भी दिए थे. लेकिन 2016 के बाद से यह फाइल बंद पड़ी हुई है. जनहित याचिका की प्राथमिक सुनवाई में हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को जवाब मुहैया कराने को लेकर निर्देशित किया है.

जबलपुर। पूर्व मंत्री ओम प्रकाश धुर्वे और उनकी पत्नी ज्योति धुर्वे दीनदयाल चलित अस्पताल योजना (Deendayal Mobile Hospital Scheme) में घोटाले के आरोपी हैं. मामला 9 साल पुराना है. अब एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने सरकार से जवाब मांगा है. दरअसल वीरेंद्र केसवानी की ओर से दायर जनहित याचिका में इस घोटाले को लेकर अब तक किसी भी तरह की कार्रवाई और एफआईआर न होने का जिक्र है, जबकि मामले में पहले हुई विभागीय जांच में लाखों की रिकवरी और एफआईआर के आदेश 2016 में ही जारी हो चुका था.

ये है पूरा मामला

यह पूरा मामला 2012-13 वित्तीय वर्ष से जुड़ा हुआ है. जब प्रदेश में दीनदयाल चलित अस्पताल योजना संचालित की जा रही थी. योजना के तहत सरकारी अस्पतालों में किराए से एसी एंबुलेंस (AC Ambulance) मुहैया कराई जानी थी, जो चलते-फिरते जरूरतमंदों को इलाज मुहैया कराने में सक्षम हो. इस योजना के तहत गजानन शिक्षा एवं जन सेवा समिति को ठेका दिया गया था. जिसके अध्यक्ष पूर्व मंत्री ओम प्रकाश धुर्वे (Former Minister Om Prakash Dhurve) और सचिव ज्योति धुर्वे (Jyoti Dhurve) थी. योजना के तहत डिंडोरी जिले में कई एंबुलेंस इनकी समिति द्वारा मुहैया कराई गई और इसकी एवज में जो बिल लगाए गए उससे जमकर काली कमाई अर्जित की गई है.

2016 से बंद पड़ी है फाइल

याचिकाकर्ता के मुताबिक इस मामले में जब जांच बिठाई गई तो पता चला कि एंबुलेंस के नाम पर ट्रक, फायर ब्रिगेड, स्कूल बस और ट्रैक्टर के नंबर देकर लाखों का भुगतान ले लिया गया था. 2013 में डिंडोरी में पदस्थ रहे तत्कालीन कलेक्टर और 2016 में तत्कालीन कलेक्टर रही छवि भारद्वाज ने नोटशीट चलाते हुए रिकवरी समेत अन्य आवश्यक कार्रवाई के निर्देश भी दिए थे. लेकिन 2016 के बाद से यह फाइल बंद पड़ी हुई है. जनहित याचिका की प्राथमिक सुनवाई में हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को जवाब मुहैया कराने को लेकर निर्देशित किया है.

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