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न्यायालय के बाहर मिलेगा न्याय!, पूर्व जस्टिस मेनन ने सरकार को दी 'इंस्टेंट जस्टिस सिस्टम' की सलाह - मेडिएशन क्या होता है

नेशनल आर्म्ड फोर्स ट्रिब्यूनल के चेयरमैन और दिल्ली उच्च न्यायालय के पूर्व चीफ जस्टिस राजेंद्र मेनन ने कोर्ट में जाने के पहले ही विवाद को निपटाने के लिए व्यवस्था बनाए जाने की सरकार को सलाह दी है. महाधिवक्ता कार्यालय के भूमि पूजन कार्यक्रम में शामिल होने जबलपुर आए पूर्व जस्टिस राजेंद्र मेनन ने मेडिएशन बिल पर जानकारी दी.

rajendra menon briefed on mediation bill
मेडिएशन बिल
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Published : Apr 9, 2023, 6:26 PM IST

मेडिएशन बिल पर पूर्व जस्टिस राजेंद्र मेनन

जबलपुर। नेशनल आर्मी फोर्स ट्रिब्यूनल के चेयरमैन जस्टिस राजेंद्र मेनन रविवार को जबलपुर पहुंचे. यहां उन्होने महाधिवक्ता कार्यालय के भूमि पूजन के मौके पर आए थे. जस्टिस राजेंद्र मेनन दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस थे और अभी नेशनल आर्मी फोर्स ट्रिब्यूनल के चेयरमैन है. इस मौके पर उन्होंने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस हाईकोर्ट के दूसरे न्यायाधीश और वकीलों की मौजूदगी में प्री लिटिगेशन मेडिएशन पर जोर दिया.

अदालत के बाहर न्याय: जस्टिस राजेंद्र मेनन की सलाह है कि यदि हमें लोगों को कोर्ट कचहरी के चक्कर से बचाना है और न्यायालयों में बढ़ते हुए मुकदमों को कम करना है तो वह एक ऐसी व्यवस्था बनानी होगी जिसमें जिन दो पक्षों में विवाद हुआ है वह एक कानून की मदद से कोर्ट के बाहर ही आपस में बैठकर बिना मुकदमे बाजी के मामलों को निपटा लें. इससे ना सिर्फ न्यायालयों का वक्त बचेगा बल्कि लोगों को त्वरित न्याय मिलेगा.

त्वरित न्याय की व्यवस्था: जस्टिस मेनन का कहना है कि बहुत से मामले ऐसे होते हैं जिनमें तुरंत ही न्याय दिया जा सकता है लेकिन इसके बावजूद हमारी अदालतों में यह 10 साल तक चलते हैं. इनमें फैमिली कोर्ट से जुड़े हुए मुकदमों का उदाहरण देते हुए जस्टिस राजेंद्र मेनन ने कहा कि इन मामलों में तुरंत फैसला किया जा सकता है लेकिन इसके बावजूद फैमिली कोर्ट में यह मुकदमे दसों साल तक चलते रहते हैं.

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मुख्यमंत्री ने चीफ जस्टिस से मांगी मदद: जस्टिस राजेंद्र मेनन का कहना है कि जल्दी ही सरकार मेडिएशन बिल लेकर आने वाली है. इसके आने के बाद प्री लिटिगेशन मेडिएशन का रास्ता सरल हो जाएगा और इसको एक कानूनी जामा मिल जाएगा. इससे बहुत से मुकदमों को कोर्ट कचहरी की लंबी चौड़ी प्रक्रिया से गुजरने की जरूरत नहीं रहेगी. इस मौके पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जस्टिस राजेंद्र मेनन की सलाह को मानते हुए मध्य प्रदेश के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रवि मलिमथ से गुजारिश की है कि इसको लेकर वह एक योजना तैयार करवा दें, जिससे राज्य सरकार लागू करवा सके.

सीएम ने कहा पेसा एक्ट है उदाहरण: सीएम शिवराज सिंह ने कहा है कि यदि ऐसी कोई प्रक्रिया बने जिसमें गांव का न्याय गांव में ही मिल जाए तो लोगों को न्याय के लिए भटकना नहीं होगा. मुख्यमंत्री ने बताया कि आदिवासी इलाकों में पेसा एक्ट लागू होने के बाद आदिवासियों की कुछ समस्याओं को कम किया जा सका. मीडियेशन की प्रक्रिया अभी भी चल रही है लेकिन इसमें उन मामलों में मीडियेशन हो रहा है जो अदालत तक पहुंच गए हैं. जस्टिस राजेंद्र मेनन का कहना है कि कोर्ट में मुकदमा दायर होने के पहले ही मीडियसन हो जाए और लोगों को न्याय मिल जाए लेकिन इस व्यवस्था पर लोगों की रजामंदी के लिए और विश्वास के लिए कुछ समय लगेगा.

मेडिएशन बिल पर पूर्व जस्टिस राजेंद्र मेनन

जबलपुर। नेशनल आर्मी फोर्स ट्रिब्यूनल के चेयरमैन जस्टिस राजेंद्र मेनन रविवार को जबलपुर पहुंचे. यहां उन्होने महाधिवक्ता कार्यालय के भूमि पूजन के मौके पर आए थे. जस्टिस राजेंद्र मेनन दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस थे और अभी नेशनल आर्मी फोर्स ट्रिब्यूनल के चेयरमैन है. इस मौके पर उन्होंने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस हाईकोर्ट के दूसरे न्यायाधीश और वकीलों की मौजूदगी में प्री लिटिगेशन मेडिएशन पर जोर दिया.

अदालत के बाहर न्याय: जस्टिस राजेंद्र मेनन की सलाह है कि यदि हमें लोगों को कोर्ट कचहरी के चक्कर से बचाना है और न्यायालयों में बढ़ते हुए मुकदमों को कम करना है तो वह एक ऐसी व्यवस्था बनानी होगी जिसमें जिन दो पक्षों में विवाद हुआ है वह एक कानून की मदद से कोर्ट के बाहर ही आपस में बैठकर बिना मुकदमे बाजी के मामलों को निपटा लें. इससे ना सिर्फ न्यायालयों का वक्त बचेगा बल्कि लोगों को त्वरित न्याय मिलेगा.

त्वरित न्याय की व्यवस्था: जस्टिस मेनन का कहना है कि बहुत से मामले ऐसे होते हैं जिनमें तुरंत ही न्याय दिया जा सकता है लेकिन इसके बावजूद हमारी अदालतों में यह 10 साल तक चलते हैं. इनमें फैमिली कोर्ट से जुड़े हुए मुकदमों का उदाहरण देते हुए जस्टिस राजेंद्र मेनन ने कहा कि इन मामलों में तुरंत फैसला किया जा सकता है लेकिन इसके बावजूद फैमिली कोर्ट में यह मुकदमे दसों साल तक चलते रहते हैं.

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मुख्यमंत्री ने चीफ जस्टिस से मांगी मदद: जस्टिस राजेंद्र मेनन का कहना है कि जल्दी ही सरकार मेडिएशन बिल लेकर आने वाली है. इसके आने के बाद प्री लिटिगेशन मेडिएशन का रास्ता सरल हो जाएगा और इसको एक कानूनी जामा मिल जाएगा. इससे बहुत से मुकदमों को कोर्ट कचहरी की लंबी चौड़ी प्रक्रिया से गुजरने की जरूरत नहीं रहेगी. इस मौके पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जस्टिस राजेंद्र मेनन की सलाह को मानते हुए मध्य प्रदेश के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रवि मलिमथ से गुजारिश की है कि इसको लेकर वह एक योजना तैयार करवा दें, जिससे राज्य सरकार लागू करवा सके.

सीएम ने कहा पेसा एक्ट है उदाहरण: सीएम शिवराज सिंह ने कहा है कि यदि ऐसी कोई प्रक्रिया बने जिसमें गांव का न्याय गांव में ही मिल जाए तो लोगों को न्याय के लिए भटकना नहीं होगा. मुख्यमंत्री ने बताया कि आदिवासी इलाकों में पेसा एक्ट लागू होने के बाद आदिवासियों की कुछ समस्याओं को कम किया जा सका. मीडियेशन की प्रक्रिया अभी भी चल रही है लेकिन इसमें उन मामलों में मीडियेशन हो रहा है जो अदालत तक पहुंच गए हैं. जस्टिस राजेंद्र मेनन का कहना है कि कोर्ट में मुकदमा दायर होने के पहले ही मीडियसन हो जाए और लोगों को न्याय मिल जाए लेकिन इस व्यवस्था पर लोगों की रजामंदी के लिए और विश्वास के लिए कुछ समय लगेगा.

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