जबलपुर। पीड़ितों की मदद के लिए तत्काल पहुंचने वाली पुलिस की फर्स्ट रिस्पांस व्हीकल इन दिनों बदहाल हैं. एफआरवी गाड़ियां इन दिनों खुद ही विभाग से मदद की इंतजार में है. पुलिस की इन एफआरवी गाड़ियों का टेंडर लेने वाली कंपनी को मेंटेनेंस का अप्रूवल नहीं है. जिससे यह गाड़ियां जैसी के तैसी खड़ी हैं. आलम यह है कि शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों के थानों के अंतर्गत चलने वाली ये गाड़ियां कहीं सड़क के किनारे तो कहीं थाना परिसरों में धूल खाती नज़र आ रही हैं.
ऑन रोड़ से ऑफ रोड़ हुई फर्स्ट रिस्पांस व्हीकल
फर्स्ट रिस्पांस व्हीकल के अचानक ऑफ रोड होने जाने के चलते इन दिनों न तो पीड़ितों को तत्काल मदद मिल पा रही है और न ही अपराधों पर लगाम लग पा रही है. यही वजह है कि जबलपुर जिले में अपराधिक वारदातों में बेतहाशा बढ़ोतरी हो रही है. सरकारी लेटलतीफी के चलते एफआरवी गाड़ियों को मेंटेनेंस का अप्रूवल नहीं मिल पाया है. जिसके चलते सायरन बजाती सड़कों पर दौड़ने वाली गाड़ियां अब धूल खा रही हैं.
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मेंटेनेंस के लिए अप्रूवल का इंतजार
प्रदेश सरकार ने जिस जोर-शोर के साथ फर्स्ट रिस्पांस व्हीकल जानी एफआरवी गाड़ियों को प्रदेश की सड़कों पर उतारा, था उसी रफ्तार से अब ये गाड़ियां चलन से बाहर होती जा रही हैं. दरअसल पुलिस विभाग की उदासीनता के चलते पीड़ितों को त्वरित मदद दिलाने की उम्मीदों पर पानी फिरता नजर आ रहा है. फर्स्ट रिस्पांस व्हीकल गाड़ियों का मेंटेनेंस करने वाली कंपनी को महीनों से मेंटेनेंस अप्रूवल का इंतजार है, यानी कंपनी ने उन गाड़ियों का मेंटेनेंस कराने का अप्रूवल विभाग से मांगा है जिनमें खराबी आई है. अप्रूवल न मिलने के चलते एफआरवी गाड़ियों का मेंटेनेंस नहीं हो पा रहा है, जिसके चलते अब यह ऑफ रोड हो गई है. शहर से लेकर ग्रामीण इलाकों तक में ये गाड़ियां सड़क किनारे और थाना परिसर में खड़ी खड़ी धूल खा रही हैं.
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पीड़ितों की मदद के लिए 'स्कीन फेल'
जबलपुर की करीब आधा दर्जन फर्स्ट रिस्पांस व्हीकल अपने थाना क्षेत्र के पीड़ितों की मदद करने में सक्षम नहीं हैं. भोपाल कंट्रोल रूम में 100 डायल का कॉल रिसीव होते ही जिम्मेदार व्यक्ति उक्त थाना की एफआरवी ऑफ रोड होने के कारण पड़ोसी थाना की गाड़ी मौके पर भेजकर काम चला रहे हैं. जानकारी के मुताबिक भारत विकास ग्रुप पर टाटा सफारी वाहनों की देखरेख एवं पायलट व्यवस्था की जिम्मेदारी है. थाना शहपुरा, कुंडम, पाटन, खितौला सहित अन्य थाना की डायल 100, ऑयल से लेकर इंजन में होने वाले कार्य को लेकर खड़ी हुई हैं. बेहद महत्वपूर्ण वाहन टायर बदलने के नाम पर एक माह से शहपुरा थाना में कंपनी द्वारा खड़ा कर दिया गया है.
चलते वक्त हो जाती है खराब
भारत विकास ग्रुप द्वारा वाहनों के सुधार कार्य होने वाली देरी का खामियाजा पीड़ित को उठाना पड़ रहा है. 5 से 10 मिनट में पुलिस को लेकर मौके पर पहुंचने वाली एफआरवी पड़ौसी थाना से 25 से 30 मिनट में पहुंच रही है. नजदीकी थाना की डायल 100 अगर उस वक्त में अपने थाना क्षेत्र के घटनाक्रम में गई तो फिर यहां के पीड़ित कॉल ही करते रहते हैं. एफआरवी तभी आएगी जब खाली होगी. कई दिनों से सुधार कार्य के नाम पर खड़ी खितौला और विजयनगर की एफआरवी को सुधार कार्य के बाद भेजा गया है, लेकिन कुछ थानों की एफआरवी अभी भी खड़ी हुई हैं. पायलट की सैलरी तत्काल बंद एक एफआरवी में 3 पायलट चालक की नियुक्ति होती है. चालक का वेतन 8 से 9 हजार के बीच है, लेकिन वाहन के ऑफ रोड होते ही चालक को कंपनी द्वारा तत्काल बेरोजगार कर दिया जाता है. एफआरवी किसी कारण वश ऑफ रोड हो जाए या फिर वाहन रूटीन सर्वसिंग के लिए जाता है, तो पायलट को सैलरी मुक्त कर दिया जाता है.
अपराधों में बढ़ोत्तरी
देखते ही देखते एक के बाद एक कई एफआरबी गाड़ियों के ऑफ रोड हो जाने के चलते अपराधी बेखौफ हो गए हैं. शहर और ग्रामीण थाना इलाकों में अपराधों की जहां बाढ़ सी आ गई है. वहीं छुटपुट और बड़े विवादों की स्थिति में भी एफआरवी गाड़ियां मौके पर नहीं पहुंच पा रही है. बढ़ते आपराधिक वारदातों की हालत यह है कि शहरी और ग्रामीण थाना क्षेत्रों में चोरी लूट और राह चलते होने वाले अपराधों में बेतहाशा बढ़ोतरी दर्द हो रही है.
जबलपुर के शहपुरा में बीते दिसंबर में जहां 7 चोरी की वारदातें हुई थीं तो वहीं एक जनवरी से 15 जनवरी तक 3 चोरियों ने लोगों की नींद उड़ा रखी है. ऐसी ही एक चोरी की वारदात का सीसीटीवी वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है, जिसमें 2 चोर दुकान का शटर खोलने की कोशिश करते हुए दिख रहे हैं. इस घटना के बाद दुकान के मालिक ने पुलिस थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई है.
रात में नहीं हो पा रही गश्त
वहीं लोगों का कहना है कि शहपुरा थाने की डायल 100 पर रात में गश्त करने की जिम्मेदारी है लेकिन यह वाहन पिछले डेढ़ महीने से खराब है और थाने के कबाड़ वाहनों के साथ इसे भी खड़ा कर दिया गया है. इसकी मरम्मत का जिम्मा डायल 100 वाहन की ठेका कंपनी का है लेकिन उसके द्वारा खराब वाहनों का मेंटनेंस नहीं किया जा रहा है, जिसके कारण रात को चोर सक्रिय हैं.
वहीं इस संबंध में जब एएसपी ग्रामीण से पूछा गया तो उनका कहना है कि ठंड होने के कारण लोग अपने घरों में दुबके रहते हैं और गहरी नींद में होते हैं. चोर इसी बात का फायदा उठा रहे हैं और चोरी की वारदातों को अंजाम दे रहे हैं. बहरहाल जनवरी में अभी तक केवल 3 चोरियां हुई हैं, जिसमे मामला दर्ज कर चोरों की तलाश की जा रही है.