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कोरोना के डरे परिजनों ने शव लेने से किया इनकार, मोक्ष संस्था ने किया अंतिम संस्कार - जबलपुर परिजन शव लेने से इंकार

जबलपुर की जनता में कोरोना का खौफ इस कदर है कि परिजन सामन्य तरीके से मरने वाले लोगों के भी शव उनके परिजन नहीं ले रहे हैं.

Family in Jabalpur are refusing to take the dead body
शव
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Published : Apr 25, 2020, 3:06 PM IST

Updated : Apr 25, 2020, 4:22 PM IST

जबलपुर। कोरोना वायरस दुनियाभर में हाहाकार मचा रहा है. कोरोना संकट की इस विपदा में दो तरह की तस्वीरें देखने मिल रही है. एक तरफ जहां कई लोग कोरोना योद्धाओं का स्वागत और उनकी तारीफ कर रहे हैं और कई लोग मजबूर लोगों की मदद को आगे आ रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ इंसानियत को शर्मसार करने वाली भी तस्वीरें सामने आ रही हैं. जिससे यह पता चल रहा है कि, इस घड़ी में कौन कितना अपना और पराया होत है. ऐसा ही मामला जबलपुर से सामने आया है, जहां कोरोना का खौफ इस कदर हो गया है कि, सामान्य मौत होने के बाद भी परिजन शव नहीं ले रहे हैं.

परिजन शव लेने से कर रहे इंकार

दरअसल, कोरोना के संकट काल में कुछ ऐसी घटनाएं सामने आ रही हैं. जो मानवता को शर्मसार करने वाली और समाज के रिश्तों की खोखले पन को जाहिर करती हैं. कोरोना संदिग्ध मरीज की अगर मौत होती है, तो उनके परिजन और समाज के लोग शव स्वीकार करने से पीछे हट रहे हैं. जबलपुर में तो हालात ये हैं कि, सामान्य तरीके से मरने वाले व्यक्ति का भी शव उनके परिजन नहीं ले रहे हैं.

शव लेने से इनकार करने के तीन मामले आए सामने

संस्कारधानी में सामान्य बीमारी से मरने वाले मरीजों के परिवार के लोग मेडिकल कॉलेज से शव लेने को तैयार नहीं है. बीते 3 दिनों में ऐसी तीन मौतें हुई हैं. जिनमें परिवार के लोग बॉडी लेने ही नहीं पहुंचे. हालांकि यह तीनों ही लोगों की मौत आइसोलेशन वार्ड से जुड़ी हुई है, प्रशासन इनके कोरोना वायरस से पीड़ित होने की बात से इनकार कर रहा है. जब इन शवों को लेने के लिए कोई नहीं पहुंचा, तब जबलपुर की मोक्ष नाम की संस्था सामने आई और शवों का अंतिम संस्कार किया.

मोक्ष संस्था कर रही अंतिम संस्कार

मोक्ष संस्था की तरफ से अब तक हजारों शवों का अंतिम संस्कार कर चुके आशीष ठाकुर ने इन तीनों शव का अंतिम संस्कार किया. इनमें से एक महिला जबलपुर के फूटा ताल, युवक ग्वारीघाट और एक अन्य महिला शहर के किसी जोशी परिवार की बताई जा रही है. हालांकि आशीष ठाकुर का कहना है कि, नगर निगम और जिला प्रशासन के पास लावारिस लाशों को कफन दफन करने के लिए पर्याप्त पैसा होता है, लेकिन यह सरकारी संस्थाएं हैं, कोई मदद नहीं करती. नगर निगम के पास करीब 8000 लोगों की टीम है. नगर निगम ने मोक्ष संस्था को एक गाड़ी जरूर दी है पर ड्राइवर ने काम करने से मना कर दिया. ऐसे में संस्था के ही कुछ जांबाज युवक पूरे एहतियात के साथ इस कठिन काम को अंजाम दे रहे हैं.

जबलपुर। कोरोना वायरस दुनियाभर में हाहाकार मचा रहा है. कोरोना संकट की इस विपदा में दो तरह की तस्वीरें देखने मिल रही है. एक तरफ जहां कई लोग कोरोना योद्धाओं का स्वागत और उनकी तारीफ कर रहे हैं और कई लोग मजबूर लोगों की मदद को आगे आ रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ इंसानियत को शर्मसार करने वाली भी तस्वीरें सामने आ रही हैं. जिससे यह पता चल रहा है कि, इस घड़ी में कौन कितना अपना और पराया होत है. ऐसा ही मामला जबलपुर से सामने आया है, जहां कोरोना का खौफ इस कदर हो गया है कि, सामान्य मौत होने के बाद भी परिजन शव नहीं ले रहे हैं.

परिजन शव लेने से कर रहे इंकार

दरअसल, कोरोना के संकट काल में कुछ ऐसी घटनाएं सामने आ रही हैं. जो मानवता को शर्मसार करने वाली और समाज के रिश्तों की खोखले पन को जाहिर करती हैं. कोरोना संदिग्ध मरीज की अगर मौत होती है, तो उनके परिजन और समाज के लोग शव स्वीकार करने से पीछे हट रहे हैं. जबलपुर में तो हालात ये हैं कि, सामान्य तरीके से मरने वाले व्यक्ति का भी शव उनके परिजन नहीं ले रहे हैं.

शव लेने से इनकार करने के तीन मामले आए सामने

संस्कारधानी में सामान्य बीमारी से मरने वाले मरीजों के परिवार के लोग मेडिकल कॉलेज से शव लेने को तैयार नहीं है. बीते 3 दिनों में ऐसी तीन मौतें हुई हैं. जिनमें परिवार के लोग बॉडी लेने ही नहीं पहुंचे. हालांकि यह तीनों ही लोगों की मौत आइसोलेशन वार्ड से जुड़ी हुई है, प्रशासन इनके कोरोना वायरस से पीड़ित होने की बात से इनकार कर रहा है. जब इन शवों को लेने के लिए कोई नहीं पहुंचा, तब जबलपुर की मोक्ष नाम की संस्था सामने आई और शवों का अंतिम संस्कार किया.

मोक्ष संस्था कर रही अंतिम संस्कार

मोक्ष संस्था की तरफ से अब तक हजारों शवों का अंतिम संस्कार कर चुके आशीष ठाकुर ने इन तीनों शव का अंतिम संस्कार किया. इनमें से एक महिला जबलपुर के फूटा ताल, युवक ग्वारीघाट और एक अन्य महिला शहर के किसी जोशी परिवार की बताई जा रही है. हालांकि आशीष ठाकुर का कहना है कि, नगर निगम और जिला प्रशासन के पास लावारिस लाशों को कफन दफन करने के लिए पर्याप्त पैसा होता है, लेकिन यह सरकारी संस्थाएं हैं, कोई मदद नहीं करती. नगर निगम के पास करीब 8000 लोगों की टीम है. नगर निगम ने मोक्ष संस्था को एक गाड़ी जरूर दी है पर ड्राइवर ने काम करने से मना कर दिया. ऐसे में संस्था के ही कुछ जांबाज युवक पूरे एहतियात के साथ इस कठिन काम को अंजाम दे रहे हैं.

Last Updated : Apr 25, 2020, 4:22 PM IST
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