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तरुण भनोट के बजट से जनता की बढ़ी उम्मीदें, चतुर्थ वर्ग कर्मचारियों को आस - मध्यप्रदेश सरकार का बजट

कमलनाथ सरकार के बजट से चतुर्थ वर्ग कर्मचारी संघ को काफी उम्मीदें हैं. उनका कहना है कि जिन पदों पर पूर्ववर्ती शिवराज सरकार ने भर्तियां बंद कर दी थीं, उन्हें फिर से शुरू किया जाए.

कमलनाथ सरकार के बजट से चतुर्थ वर्ग के कर्मचारियों को उम्मीदें
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Published : Jul 9, 2019, 10:29 AM IST

जबलपुर। कमलनाथ सरकार अपना पहला बजट 10 जुलाई को पेश करने जा रही है. इस बजट से प्रदेश की जनता को कई उम्मीदें हैं. वहीं चतुर्थ वर्ग के कर्मचारी संघ को उम्मीद है कि जिन पदों पर पूर्ववर्ती सरकार ने भर्तियां बंद कर दी थीं, उन्हे कमलनाथ सरकार फिर से शुरू करने पर विचार करे.

चतुर्थ वर्ग कर्मचारी संघ को उम्मीद है कि बजट में उनकी मांगों का ध्यान रखा जाएगा. उन्होंने कहा कि डाइंग कैडर और डी ग्रेड कर्मचारियों की पदों पर भर्ती शुरू की जाए, ताकि कम पढ़े-लिखे युवाओं को भी रोजगार मिल सके.

कमलनाथ सरकार के बजट से चतुर्थ वर्ग के कर्मचारियों को बड़ी उम्मीदें

बता दें कि स्वीपर या अपोहक का पद सरकारी व्यवस्था में है, लेकिन अब यह डाइंग कैडर में है. डाइंग कैडर सरकार के वे पद हैं जिन पर एक बार काम करने वाला रिटायर होता है, तो उन पर दोबारा नियुक्ति नहीं की जाती. इस तरह से वह पद समाप्त हो जाता है. स्वीपर अकेला पद नहीं है, जिसे डाइंग कैडर में रखा गया है, बल्कि इस तरह के बहुत सारे पद हैं, जिनमें माली, दर्जी, कुक, ड्राइवर, धोबी शामिल है. इन सब पदों पर सरकार दोबारा नियुक्तियां नहीं कर रही है, बल्कि जहां भी इनकी जरूरत होती है, वहां आउटसोर्सिंग के जरिए इन पदों पर नियुक्तियां की जाती हैं.

कर्मचारी नेताओं का कहना है कि सरकार सोचती है कि चतुर्थ वर्ग कर्मचारी एक किस्म की फिजूलखर्ची है, इसलिए डी ग्रेड का पूरा कैडर खत्म करना है, क्योंकि सरकार इनका भार नहीं उठा सकती. इन कामों को आउटसोर्सिंग के जरिए किया जाए. आउटसोर्सिंग एजेंसी को सरकार न्यूनतम मजदूरी दर पर भुगतान करती है. इसमें ठेकेदार अपना कमीशन काटने के बाद कर्मचारी को पेमेंट करता है. इससे सरकार की पेंशन और वेतन वृद्धि जैसी दूसरी जिम्मेदारियां खत्म हो जाती हैं, भले ही कर्मचारियों को इससे फायदा मिले या ना मिले.

जबलपुर। कमलनाथ सरकार अपना पहला बजट 10 जुलाई को पेश करने जा रही है. इस बजट से प्रदेश की जनता को कई उम्मीदें हैं. वहीं चतुर्थ वर्ग के कर्मचारी संघ को उम्मीद है कि जिन पदों पर पूर्ववर्ती सरकार ने भर्तियां बंद कर दी थीं, उन्हे कमलनाथ सरकार फिर से शुरू करने पर विचार करे.

चतुर्थ वर्ग कर्मचारी संघ को उम्मीद है कि बजट में उनकी मांगों का ध्यान रखा जाएगा. उन्होंने कहा कि डाइंग कैडर और डी ग्रेड कर्मचारियों की पदों पर भर्ती शुरू की जाए, ताकि कम पढ़े-लिखे युवाओं को भी रोजगार मिल सके.

कमलनाथ सरकार के बजट से चतुर्थ वर्ग के कर्मचारियों को बड़ी उम्मीदें

बता दें कि स्वीपर या अपोहक का पद सरकारी व्यवस्था में है, लेकिन अब यह डाइंग कैडर में है. डाइंग कैडर सरकार के वे पद हैं जिन पर एक बार काम करने वाला रिटायर होता है, तो उन पर दोबारा नियुक्ति नहीं की जाती. इस तरह से वह पद समाप्त हो जाता है. स्वीपर अकेला पद नहीं है, जिसे डाइंग कैडर में रखा गया है, बल्कि इस तरह के बहुत सारे पद हैं, जिनमें माली, दर्जी, कुक, ड्राइवर, धोबी शामिल है. इन सब पदों पर सरकार दोबारा नियुक्तियां नहीं कर रही है, बल्कि जहां भी इनकी जरूरत होती है, वहां आउटसोर्सिंग के जरिए इन पदों पर नियुक्तियां की जाती हैं.

कर्मचारी नेताओं का कहना है कि सरकार सोचती है कि चतुर्थ वर्ग कर्मचारी एक किस्म की फिजूलखर्ची है, इसलिए डी ग्रेड का पूरा कैडर खत्म करना है, क्योंकि सरकार इनका भार नहीं उठा सकती. इन कामों को आउटसोर्सिंग के जरिए किया जाए. आउटसोर्सिंग एजेंसी को सरकार न्यूनतम मजदूरी दर पर भुगतान करती है. इसमें ठेकेदार अपना कमीशन काटने के बाद कर्मचारी को पेमेंट करता है. इससे सरकार की पेंशन और वेतन वृद्धि जैसी दूसरी जिम्मेदारियां खत्म हो जाती हैं, भले ही कर्मचारियों को इससे फायदा मिले या ना मिले.

Intro:क्या ग्रुप डी की भर्ती शुरू करेगी कमलनाथ सरकार
डाइंग कैडर को खत्म करवाना चाहते हैं चतुर्थ वर्ग कर्मचारी
बजट से चतुर्थ वर्ग कर्मचारियों की बढ़ी उम्मीद


Body:जबलपुर चतुर्थ वर्ग कर्मचारी संघ की मांग राज्य सरकार खत्म करे डाइंग कैडर और डी ग्रेट कर्मचारियों की भर्ती शुरू की जाए कर्मचारी संगठनों का कहना कम पढ़ा-लिखा बेरोजगार युवा आखिर कहां जाए कमलनाथ सरकार से बजट में प्रावधान करने की मांग की

स्वच्छ भारत चाहिए लेकिन स्वीपर का पद समाप्त
केंद्र और राज्य सरकार स्वच्छ भारत मिशन चला रही है हमारा वातावरण साफ और शुद्ध रहे यह अच्छी बात है लेकिन इस वातावरण को साफ और शुद्ध कौन रखेगा इसके लिए स्वीपर या अपोहक का पद सरकारी व्यवस्था में है लेकिन अब यह डाइंग कैडर में है डाइंग कैडर सरकार के वे पद हैं जिन पर एक बार काम करने वाला रिटायर होता है तो उन पर दोबारा नियुक्ति नहीं की जाती और इस तरह से वह पद समाप्त हो जाता है आपोहक अकेला पद नहीं है जिसे डाइंग कैडर में रखा गया हूं बल्कि इस तरह के बहुत सारे पद हैं जिनमें माली दर्जी कुक ड्राइवर धोबी इन सब पदों पर सरकार दोबारा नियुक्तियां नहीं कर रही है बल्कि जहां भी इनकी जरूरत होती है वहां आउटसोर्सिंग के जरिए इन पदों पर नियुक्तियां की जाती हैं

चतुर्थ वर्ग कर्मचारी फिजूलखर्ची
सरकार में बैठे लोगों का तर्क है कि चतुर्थ वर्ग कर्मचारी सरकार पर बोझ है यह एक किस्म की फिजूलखर्ची है इसलिए डी ग्रेड का पूरा कैडर खत्म करना है क्योंकि सरकार इनका भार नहीं उठा सकती और इन कामों को आउटसोर्सिंग के जरिए किया जाए आउटसोर्सिंग एजेंसी को सरकार न्यूनतम मजदूरी दर पर भुगतान करती है इसमें ठेकेदार अपना कमीशन काटने के बाद कर्मचारी को पेमेंट करता है इससे सरकार की पेंशन वेतन वृद्धि जैसे दूसरी जिम्मेदारियां खत्म हो जाती हैं भले ही कर्मचारियों को इससे फायदा मिले या ना मिले




Conclusion:सवाल ये उठता है कि सरकारी व्यवस्था में मंत्री से लेकर संतरी तक सब फिजूलखर्ची कर रहे हैं तो कटौती की मार चतुर्थ वर्ग कर्मचारी पर ही क्यों क्या समाज के कम पढ़े-लिखे तबके को सम्मान से जीने का हक नहीं है अब इन लोगों को कमलनाथ सरकार से उम्मीद है देखना है कमलनाथ सरकार इनकी उम्मीद पर कितना खरी उतरती है
बाइट अजय दुबे चतुर्थ वर्ग कर्मचारी नेता
बाइट योगेंद्र चतुर्थ वर्ग कर्मचारी नेता
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