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ETV भारत की खबर का असर, जबलपुर के रहस्यमय नकटिया गांव पर प्रशासन कर रहा शोध का विचार

जबलपुर से 30 किलोमीटर दूर नकटिया गांव में एक रहस्यमयी पहाड़ मिला है, जहां हजारों साल पुराने पत्थर मिले हैं. जो कि सामान्य पत्थरों से अलग हैं. ETV भारत ने अपनी खबर के जरिए प्रशासन का ध्यान इस ओर लाया था. जिसका असर ऐसा हुआ है कि अब प्रशासन यहां शोध करने का विचार कर रहा हैं. पढ़ें पूरी खबर.

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Published : Jun 12, 2020, 2:18 PM IST

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नकटिया गांव

जबलपुर। शहर से 30 किलोमीटर दूर बसे नकटिया गांव के रहस्यमय पत्थरों की ओर ETV भारत ने प्रशासन का ध्यान लाया था. हाल ही में पानी की किल्लत वाले गांवों की खोज में नकटिया गांव पाया गया था, जहां प्राचीन पत्थरों का एक पहाड़ है. इन पत्थरों की जानकारी ETV भारत ने प्रशासन और समाज के सामने रखी, जिसके बाद जबलपुर जिला प्रशासन के पर्यटक विभाग ने सर्वेक्षण कराने की बात कही है.

नकटिया गांव पर प्रशासन की प्रतिक्रिया

प्रशासनिक अधिकारी हेमंत सिंह ने बताया कि पुरातत्व महत्त्व की इस जगह के बारे में सर्वेक्षण किया जाएगा और इसके बारे में पर्यटन विभाग को भी पत्र लिखा जाएगा. इसके अलावा सरकार पहले इन पत्थरों की जांच करवाएगी कि यह कितने पुराने हैं, उसके बाद इनके संरक्षण के लिए काम किया जाएगा. साथ ही अगर इस इलाके में पर्यटन की कोई संभावनाएं होंगी तो उस पर भी विचार किया जाएगा.

जानें नकटिया गांव के बारे में - ईटीवी भारत पर देखिए इतिहास की अनोखी बिरासत, जबलपुर से 30 किलोमीटर दूर है रहस्यमय नकटिया

अधिकारी हेमंत सिंह का कहना है कि जल्द ही वे इस बारे में पुरातत्व विभाग और पर्यटन विभाग को पत्र लिखेंगे. अगर इस इलाके में पर्यटन विभाग और पुरातत्व विभाग दिलचस्पी लेता है तो न सिर्फ पर इस पिछड़े इलाके की तस्वीर बदलेगी बल्कि जबलपुर के इतिहास से जुड़ा हुआ एक ऐसा पन्ना भी खुलेगा जिसके बारे में आज तक किसी ने न सुना है और न ही जाना है.

सामान्य प्राकृतिक पत्थरों से अलग हैं पत्थर

जबलपुर की चरगंवा रोड से पहाड़ों की तरफ लगभग 30 किलोमीटर अंदर नकटिया गांव में आदिवासी रहते हैं. जब यहां पहुंचे तो देखा गया कि यहां ऐसी विरासत है, जिसे स्थानीय लोगों के अलावा आज तक किसी ने नहीं देखा. पूछताछ में लोगों ने बताया यहां कुछ बहुत पुराने पत्थर हैं. काफी दूर चलने के बाद अचानक से पत्थर नजर आए जो सामान्य प्राकृतिक पत्थरों से अलग थे.

शोध की उठ रही मांग

फिलहाल इन पत्थरों का रहस्य अब तक अनसुलझा है. पत्थरों तक इतिहासकार और आम आदमी इसलिए नहीं पहुंच पाए, क्योंकि पहाड़ के नीचे आठ किलोमीटर पहले ही सड़क खत्म हो जाती है. हाल में एक सड़क का निर्माण चल रहा है, जो इन पत्थरों से एक किलोमीटर दूर है. ऐसे में इन पत्थरों पर शोध कराए जाने की मांग भी उठी है.

जबलपुर। शहर से 30 किलोमीटर दूर बसे नकटिया गांव के रहस्यमय पत्थरों की ओर ETV भारत ने प्रशासन का ध्यान लाया था. हाल ही में पानी की किल्लत वाले गांवों की खोज में नकटिया गांव पाया गया था, जहां प्राचीन पत्थरों का एक पहाड़ है. इन पत्थरों की जानकारी ETV भारत ने प्रशासन और समाज के सामने रखी, जिसके बाद जबलपुर जिला प्रशासन के पर्यटक विभाग ने सर्वेक्षण कराने की बात कही है.

नकटिया गांव पर प्रशासन की प्रतिक्रिया

प्रशासनिक अधिकारी हेमंत सिंह ने बताया कि पुरातत्व महत्त्व की इस जगह के बारे में सर्वेक्षण किया जाएगा और इसके बारे में पर्यटन विभाग को भी पत्र लिखा जाएगा. इसके अलावा सरकार पहले इन पत्थरों की जांच करवाएगी कि यह कितने पुराने हैं, उसके बाद इनके संरक्षण के लिए काम किया जाएगा. साथ ही अगर इस इलाके में पर्यटन की कोई संभावनाएं होंगी तो उस पर भी विचार किया जाएगा.

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अधिकारी हेमंत सिंह का कहना है कि जल्द ही वे इस बारे में पुरातत्व विभाग और पर्यटन विभाग को पत्र लिखेंगे. अगर इस इलाके में पर्यटन विभाग और पुरातत्व विभाग दिलचस्पी लेता है तो न सिर्फ पर इस पिछड़े इलाके की तस्वीर बदलेगी बल्कि जबलपुर के इतिहास से जुड़ा हुआ एक ऐसा पन्ना भी खुलेगा जिसके बारे में आज तक किसी ने न सुना है और न ही जाना है.

सामान्य प्राकृतिक पत्थरों से अलग हैं पत्थर

जबलपुर की चरगंवा रोड से पहाड़ों की तरफ लगभग 30 किलोमीटर अंदर नकटिया गांव में आदिवासी रहते हैं. जब यहां पहुंचे तो देखा गया कि यहां ऐसी विरासत है, जिसे स्थानीय लोगों के अलावा आज तक किसी ने नहीं देखा. पूछताछ में लोगों ने बताया यहां कुछ बहुत पुराने पत्थर हैं. काफी दूर चलने के बाद अचानक से पत्थर नजर आए जो सामान्य प्राकृतिक पत्थरों से अलग थे.

शोध की उठ रही मांग

फिलहाल इन पत्थरों का रहस्य अब तक अनसुलझा है. पत्थरों तक इतिहासकार और आम आदमी इसलिए नहीं पहुंच पाए, क्योंकि पहाड़ के नीचे आठ किलोमीटर पहले ही सड़क खत्म हो जाती है. हाल में एक सड़क का निर्माण चल रहा है, जो इन पत्थरों से एक किलोमीटर दूर है. ऐसे में इन पत्थरों पर शोध कराए जाने की मांग भी उठी है.

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