जबलपुर। सेना के लिए गोला-बारूद और हथियार बनाने वाली देशभर की 41 ऑर्डिनेंस फैक्ट्रियों में निगमीकरण का मुद्दा एक बार फिर चर्चा का विषय बन गया है. इन फैक्ट्रियों के कर्मचारी केंद्र सरकार का विरोध कर रहे हैं.इनका आरोप है कि सरकार एक तरफ सेना को मजबूत करने के दावे कर रही है और दूसरी तरफ सुरक्षा संस्थानों को निजी हाथों में सौंपने की साजिश रच रही है. लिहाजा इसके विरोध में 12 अक्टूबर से देशव्यापी हड़ताल की जाएगी.
ऑर्डिनेंस फैक्ट्री से छीना जा रहा काम
ऑर्डिनेंस फैक्ट्री जबलपुर के कर्मचारियों का कहना है कि उनसे एरियल बम बनाने का काम छीनकर प्राइवेट कंपनियों को दिया जा रहा है. पहले की तुलना में टारगेट आधा कर दिया है. जिससे आर्थिक नुकसान तो होगा ही साथ में इस काम जुड़े सैकड़ों कर्मचारियों के रोजगार पर भी असर पड़ेगा.आयुध निर्माणी खमरिया और ग्रे आयरन फाउंड्री में बनने वाले 100 से 120 किलोग्राम के एरियल बमों की सप्लाई बीच में ही रोक दी गई है. ऐसे में बमो की सप्लाई रुक जाने से दोनों ही फैक्ट्रियों को वित्तीय वर्ष 2020-21 में करीब 50 करोड़ का घाटा होना सुनिश्चित बताया जा रहा है.
केंद्र सरकार लगाए गंभीर आरोप
कर्मचारियों ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार आत्मनिर्भर भारत की बात करती हो,लेकिन जिस तरह के फैसले लिए जा रहे हैं, उससे जाहिर हो रहा है कि सरकार का इरादा गिने-चुने पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाना है.
फैक्ट्रियों का निजीकरण हुआ तो भूमाफिया हो जाएंगे सक्रिय
कर्मचारियों का कहना है कि देश के अलग-अलग राज्यों में कुल 41 केंद्रीय सुरक्षा संस्थाना है. इन संस्थानों के पास हजारों एकड़ बेशकीमती जमीनें हैं. ऐसे मेंअगर फैक्ट्री निजी हाथों में जाती है, तो फिर ये जमीन भू-माफियाओं के कब्जे में चली जाएगी.
निजी कंपनियों के रक्षा उपकरणों पर उठे सवाल
केंद्र सरकार के निगमीकरण के प्रस्ताव के बाद ही देश की 41 ऑर्डिनेंस फैक्ट्रियों इसका भारी विरोध हुआ था. इसके अलावा सुरक्षा उपकरण बनाने में प्राइवेट क्षेत्र की एंट्री से कर्मचारियों में भारी रोष है. कर्मचारी राजस्थान के पोखरण रेंज में तोप के परीक्षण के दौरान हुए हादसे को लेकर निजी कंपनियों पर सवाल खड़े कर रहे हैं.