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रक्षाबंधन पर कोरोना का असर, इस साल नहीं रही राखी पर रौनक

जबलपुर में कोरोना काल के चलते राखी का त्योहार फीका रहा. इस दौरान लोगों ने सोशल मीडिया के माध्यम से ही त्योहार मनाया.

Due to coronavirus, this year is no longer on rakhi
कोरोना वायरस की वजह से इस साल नहीं रही राखी पर रौनक
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Published : Aug 3, 2020, 8:34 PM IST

जबलपुर। कोरोना वायरस के चलते इस साल रक्षाबंधन का त्योहार परंपरागत तरीके से नहीं मनाया जा रहा है. सामान्य तौर पर हर साल बहनें अपने भाइयों के घर जाती थीं और भाई बहन मिलकर यह त्योहार मनाते थे. हर तरफ लोगों का आना जाना लगा रहता था, लेकिन इस साल सड़कों पर बिल्कुल हलचल नजर नहीं आई. लोगों ने कोरोना वायरस के फैलते संक्रमण की वजह से सोशल मीडिया के जरिए ही एक दूसरे का हालचाल जाना और राखी का त्योहार मनाया.

परिवारों के बड़े सदस्य तो इस विपत्ति को समझ रहे हैं, लेकिन बच्चों में इस त्योहार को लेकर बड़ी उत्सुकता रहती थी. ज्यादातर बच्चे अपने मामा के घर जाते थे. उन्हें इस साल बड़ी निराशा हुई. हालांकि लोगों ने सोशल मीडिया के जरिए वीडियो कॉलिंग करके त्योहार मनाया. लोगों का कहना है यह एक किस्म का नाटक लग रहा था. इसमें वह अनुभूति नहीं हो रही थी, जो सच में जब बहन हाथ मे राखी बांधती थी.
कोरोना वायरस ने पूरी सभ्यता और संस्कृति को कितना नुकसान पहुंचाया है. इसका सही-सही आंकलन नहीं किया जा सकता. लेकिन, हम ऐसा कह सकते हैं कि ऐसी आपदा आज के समाज में ना कभी देखी थी और ना सुनी थी.

जबलपुर। कोरोना वायरस के चलते इस साल रक्षाबंधन का त्योहार परंपरागत तरीके से नहीं मनाया जा रहा है. सामान्य तौर पर हर साल बहनें अपने भाइयों के घर जाती थीं और भाई बहन मिलकर यह त्योहार मनाते थे. हर तरफ लोगों का आना जाना लगा रहता था, लेकिन इस साल सड़कों पर बिल्कुल हलचल नजर नहीं आई. लोगों ने कोरोना वायरस के फैलते संक्रमण की वजह से सोशल मीडिया के जरिए ही एक दूसरे का हालचाल जाना और राखी का त्योहार मनाया.

परिवारों के बड़े सदस्य तो इस विपत्ति को समझ रहे हैं, लेकिन बच्चों में इस त्योहार को लेकर बड़ी उत्सुकता रहती थी. ज्यादातर बच्चे अपने मामा के घर जाते थे. उन्हें इस साल बड़ी निराशा हुई. हालांकि लोगों ने सोशल मीडिया के जरिए वीडियो कॉलिंग करके त्योहार मनाया. लोगों का कहना है यह एक किस्म का नाटक लग रहा था. इसमें वह अनुभूति नहीं हो रही थी, जो सच में जब बहन हाथ मे राखी बांधती थी.
कोरोना वायरस ने पूरी सभ्यता और संस्कृति को कितना नुकसान पहुंचाया है. इसका सही-सही आंकलन नहीं किया जा सकता. लेकिन, हम ऐसा कह सकते हैं कि ऐसी आपदा आज के समाज में ना कभी देखी थी और ना सुनी थी.

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