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इधर जलसंकट से जूझ रहे लोग, उधर पानी की टंकी बनी मयखाना - Municipal negligence

जबलपुर में ब्रिटिश जमाने में बनी पानी की टंकी फिलहाल लोगों के लिए पानी आपूर्ति करने के बजाए नशेड़ियों का सेफजोन बन चुकी है. टंकी के पास पसरी हुई गंदगी में मवेशी फल-फूल रहे हैं. इस टंकी का जायजा लेने जब ETV भारत की टीम मौके पर पहुंची तो कदम-कदम पर नगर निगम की लापरवाही देखने को मिली.

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पानी की टंकी बनी मयखाना
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Published : Jun 14, 2020, 12:10 AM IST

जबलपुर। ब्रिटिश जमाने में टैंक की तर्ज पर शहर के बेलबाग की पहाड़ी पर बनी पानी की टंकी आज 'बेपानी' हो गई है. निर्माण कला का बेजोड़ नमूना कही जाने वाली ये पानी की टंकी फिलहाल नशेड़ियों का अड्डा बन चुकी है. वॉटर सप्लाई के लिए लगाई गई मोटर और पाइप लाइन चोरों के उदरपोषण का जरिया बन चुकी हैं. यहां पसरी हुई गंदगी में मवेशी फल-फूल रहे हैं. इस टंकी का जायजा लेने जब ETV भारत की टीम मौके पर पहुंची तो कदम-कदम पर नगर निगम की लापरवाही देखने को मिली.

पानी की टंकी बनी मयखाना

नशेड़ियों का सेफजोन बनी टंकी

करीब 9 लाख गैलन क्षमता वाली इस पानी की टंकी से महर्षि अरविंद और रविनाथ वार्ड में रहने वाली लगभग 26 हजार की आबादी को जलापूर्ति होती थी, लेकिन अब इस टंकी को जिम्मेदारों ने लावारिस छोड़ दिया है, जिस वजह से ये टंकी नशेड़ियों का अड्डा बन गई है. नशेड़ियों के लिए ये एक सेफजोन बन गया है.

नहीं होती सुनवाई

स्थानीय लोगों का कहना है कि, करीब 10 साल पहले टंकी को नए सिरे से बनाने के लिए लाखों रुपए खर्च किए गए थे. ऐसे में टंकी को चालू करने की बजाय बंद करना समझ से परे है. वहीं दोनों वार्डो में पिछले 10 सालों से लोग भीषण जल संकट से जूझ रहे हैं. स्थानीय लोगों ने बताया कि, इसके लिए कई बार प्रशासनिक और निगम अधिकारियों से गुहार भी लगाई गई, लेकिन कहीं भी सुनवाई नहीं हुई.


1974 में हुआ था निर्माण
इस टंकी का निर्माण 26 जनवरी 1974 को हुआ था. कालांतर में समय-समय पर सफाई भी टंकी की होती थी. इस पर जो सफाई की ताजा तारीख अंकित है वह 1 नवंबर 2019 लिखी हुई है. लोगों का कहना है कि, यह टंकी लंबे समय से बंद है और जल संकट की भयावहता को देखते हुए इसे चालू किए जाने की जरूरत महसूस की जा रही है.

पानी लीक होने का डर

स्थानीय विधायक लखन घनघोरिया से जब इस मामले में बात की गई, तो उन्होंने कहा कि टंकी काफी पुरानी है और जितनी क्षमता है अगर उस क्षमता में पानी भरा जाता है, तो कहीं ना कहीं इसमें व्यापक लीकेज की समस्या आ सकती है. फिलहाल इन वार्डो में नगर निगम को नई टंकियों की कार्ययोजना भी बनानी थी, लेकिन निगम का इस ओर ध्यान ना देना समझ से बाहर है.

46 टंकियों के जरिए हो रही पानी का सप्लाई

बता दें, जबलपुर नगर निगम क्षेत्र में 20 लाख की आबादी है, जो कि 79 वार्ड में बसी है. इन सभी वार्डों में जलपूर्ति के लिए 46 टंकियां हैं.

जर्जर हो गई टंकियां

शहर की तीन टंकियों को नगर निगम ने जर्जर घोषित कर दिया है. जिनमें धनवंतरी नगर, गढ़ा और शिवनगर शामिल है. ये तीनों टंकियां हाउसिंग बोर्ड ने बनवाई थीं. वहीं इनमें से गढ़ा पानी टंकी को गिरा दिया गया है जबकि दो और जर्जर टंकियों को गिराने के लिए विचार किया जा रहा है.

बनाई गई 16 नई टंकियां

शहर में अमृत योजना के तहत पानी की सप्लाई के लिए 16 नई टंकियों का निर्माण किया गया है, फिलहाल इनमें से कई टंकियों का उपयोग पानी की सप्लाई के लिए नहीं किया जा रहा है. शहर में आए दिन जिस तरह से पानी की किल्लत हो रही है, उसे देखते हुए कहा जा सकता है कि, अगर इस पानी की टंकी का नए सिरे से मरम्मत करवाया जाए, तो यह टंकी 2 वार्डों के लिए जलापूर्ति कर सकती है.

जबलपुर। ब्रिटिश जमाने में टैंक की तर्ज पर शहर के बेलबाग की पहाड़ी पर बनी पानी की टंकी आज 'बेपानी' हो गई है. निर्माण कला का बेजोड़ नमूना कही जाने वाली ये पानी की टंकी फिलहाल नशेड़ियों का अड्डा बन चुकी है. वॉटर सप्लाई के लिए लगाई गई मोटर और पाइप लाइन चोरों के उदरपोषण का जरिया बन चुकी हैं. यहां पसरी हुई गंदगी में मवेशी फल-फूल रहे हैं. इस टंकी का जायजा लेने जब ETV भारत की टीम मौके पर पहुंची तो कदम-कदम पर नगर निगम की लापरवाही देखने को मिली.

पानी की टंकी बनी मयखाना

नशेड़ियों का सेफजोन बनी टंकी

करीब 9 लाख गैलन क्षमता वाली इस पानी की टंकी से महर्षि अरविंद और रविनाथ वार्ड में रहने वाली लगभग 26 हजार की आबादी को जलापूर्ति होती थी, लेकिन अब इस टंकी को जिम्मेदारों ने लावारिस छोड़ दिया है, जिस वजह से ये टंकी नशेड़ियों का अड्डा बन गई है. नशेड़ियों के लिए ये एक सेफजोन बन गया है.

नहीं होती सुनवाई

स्थानीय लोगों का कहना है कि, करीब 10 साल पहले टंकी को नए सिरे से बनाने के लिए लाखों रुपए खर्च किए गए थे. ऐसे में टंकी को चालू करने की बजाय बंद करना समझ से परे है. वहीं दोनों वार्डो में पिछले 10 सालों से लोग भीषण जल संकट से जूझ रहे हैं. स्थानीय लोगों ने बताया कि, इसके लिए कई बार प्रशासनिक और निगम अधिकारियों से गुहार भी लगाई गई, लेकिन कहीं भी सुनवाई नहीं हुई.


1974 में हुआ था निर्माण
इस टंकी का निर्माण 26 जनवरी 1974 को हुआ था. कालांतर में समय-समय पर सफाई भी टंकी की होती थी. इस पर जो सफाई की ताजा तारीख अंकित है वह 1 नवंबर 2019 लिखी हुई है. लोगों का कहना है कि, यह टंकी लंबे समय से बंद है और जल संकट की भयावहता को देखते हुए इसे चालू किए जाने की जरूरत महसूस की जा रही है.

पानी लीक होने का डर

स्थानीय विधायक लखन घनघोरिया से जब इस मामले में बात की गई, तो उन्होंने कहा कि टंकी काफी पुरानी है और जितनी क्षमता है अगर उस क्षमता में पानी भरा जाता है, तो कहीं ना कहीं इसमें व्यापक लीकेज की समस्या आ सकती है. फिलहाल इन वार्डो में नगर निगम को नई टंकियों की कार्ययोजना भी बनानी थी, लेकिन निगम का इस ओर ध्यान ना देना समझ से बाहर है.

46 टंकियों के जरिए हो रही पानी का सप्लाई

बता दें, जबलपुर नगर निगम क्षेत्र में 20 लाख की आबादी है, जो कि 79 वार्ड में बसी है. इन सभी वार्डों में जलपूर्ति के लिए 46 टंकियां हैं.

जर्जर हो गई टंकियां

शहर की तीन टंकियों को नगर निगम ने जर्जर घोषित कर दिया है. जिनमें धनवंतरी नगर, गढ़ा और शिवनगर शामिल है. ये तीनों टंकियां हाउसिंग बोर्ड ने बनवाई थीं. वहीं इनमें से गढ़ा पानी टंकी को गिरा दिया गया है जबकि दो और जर्जर टंकियों को गिराने के लिए विचार किया जा रहा है.

बनाई गई 16 नई टंकियां

शहर में अमृत योजना के तहत पानी की सप्लाई के लिए 16 नई टंकियों का निर्माण किया गया है, फिलहाल इनमें से कई टंकियों का उपयोग पानी की सप्लाई के लिए नहीं किया जा रहा है. शहर में आए दिन जिस तरह से पानी की किल्लत हो रही है, उसे देखते हुए कहा जा सकता है कि, अगर इस पानी की टंकी का नए सिरे से मरम्मत करवाया जाए, तो यह टंकी 2 वार्डों के लिए जलापूर्ति कर सकती है.

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