जबलपुर। बीते करीब पांच दिन पहले ऑक्सीजन की कमी के चलते शहर के दो निजी अस्पताल में भर्ती 6 कोविड मरीजों की मौत हो गई थी. इस घटना के बाद मीडिया में निजी अस्पतालों की लापरवाही की खबरें आने लगी. आनन फानन में जबलपुर कलेक्टर ने एसडीएम के नेतृत्व में तीन सदस्यी टीम बना दी. रिपोर्ट जल्द से जल्द देना था लेकिन बुधवार को पांच दिन बाद बीत जाने के बाद भी जिला प्रशासन की रिपोर्ट नहीं आई है. वहीं जिला प्रशासन के इस रवैया पर कांग्रेस ने निशाना साधा है.
गैलेक्सी और शुभम अस्पताल में हुई थी 6 मरीजों की मौत
उखरी चौक स्थित गैलेक्सी अस्पताल में बीते 23 अप्रैल की सुबह अचानक ऑक्सीजन खत्म हो जाती है. अस्पताल में करीब 50 से 60 मरीज ऑक्सीजन में थे, जैसे ही अस्पताल में ऑक्सीजन खत्म होती है, हड़कप मच जाता है. इस दौरान अस्पताल के पास बैकअप भी नहीं होता है, लिहाजा पांच मरीजों की मौत हो जाती है. वहीं दो दिन बाद फिर शुभम अस्पताल में ऑक्सीजन खत्म होने से एक महिला की मौत हो जाती है. इस घटना के बाद निजी अस्पताल से मरीजों के परिजनों का विश्वास उठने लगता है. छह कोविड मरीजों की मौत के बाद जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की टीम बनती है, जिसे इस घटनाक्रम पर एक रिपोर्ट पेश करना होता है लेरिन 5 दिन बाद भी जिला प्रशासन की रिपोर्ट नहीं आई.
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कांग्रेस ने जिला प्रशासन की कार्यशैली पर उठाए सवाल
ऑक्सीजन की कमी जिले में बनी हुई है. मरीजों की मौत हो रही है, निजी अस्पतालों की तानाशाही भी चरम सीमा पर है बावजूद इसके जिला प्रशासन निजी अस्पतालों में नकेल कसने में नाकाम है. 6 मरीजों की मौत की जांच अभी तक पूरी नहीं हुई है. पूर्व मंत्री लखन घनघोरिया ने जिला प्रशासन को आड़े हाथ लेते हुए कहा है कि जिला कलेक्टर बोल रहे है कि ऑक्सीजन की कमी नहीं है, वहीं दूसरी ओर ऑक्सीजन की कमी से मरीजों की मौत हो रही है.
कहीं पूरी घटना की रिपोर्ट ठंडे बस्ते में तो नहीं चली गई
ऑक्सीजन की कमी से हुई मरीजों की मौत के मामले में कलेक्टर ने जरूर टीम गाठित की लेकिन इस टीम की जांच रिपोर्ट का 5 दिन बाद भी कलेक्टर को इंतजार है. कहीं ऐसा तो नहीं कि 6 मरीजों की हुई मौत के मामले को जिला प्रशासन दबा रहा है.