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नर्मदा जयंती 2021: आस्था का महासैलाब उमड़ा, प्रशासन ने किए पुख्ता इंतजाम - नर्मदा जयंती 2021

नर्मदा जयंती के अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु ग्वारीघाट पहुंचते है. इस बार भी आस्था का महासैलाब उमड़ा. प्रशासन द्वारा सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए.

Guarighat
ग्वारीघाट
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Published : Feb 19, 2021, 1:23 PM IST

जबलपुर। नर्मदा जयंती के अवसर पर मां नर्मदा के ग्वारीघाट पर आस्था का महा सैलाब उमड़ा. सुबह करीब 4 बजे से ही श्रद्धालुओं के आने का सिलसिला चालू रहा. बता दें कि, हर साल नर्मदा जयंती के अवसर पर लाखों की संख्या में भक्त ग्वारीघाट पहुंचते है.

मां नर्मदा पर अपनी असीम आस्था रखने वाले श्रद्धालु अपने-अपने ढंग से मां की पूजा-अर्चना कर सुख-शांति की कामना करते है. ऐसी मान्यता है कि मां के दर्शन करने से ही पुण्य फलों की प्राप्ति होती है. नर्मदा जयंती के अवसर पर जिला प्रशासन द्वारा चाक-चौबंद किए गए. नर्मदा तट तक वाहन के प्रवेश पर रोक लगा दी गई है.

Guarighat
ग्वारीघाट

गौरतलब है कि, माघ माह की शुक्ल पक्ष की सप्तमी को भगवान शिव के पसीने से 12 वर्ष की एक कन्या ने जन्म लिया था. वह कन्या मां नर्मदा थी. इसी कारण इस दिवस को नर्मदा जयंती यानी नर्मदा का जन्म पर्व के रूप में मनाया जाता हैं.

नर्मदा जयंती

नर्मदा जयंती के कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंचे मंत्री ओमकार सिंह मरकाम

नर्मदा जयंती का महत्व
इस दिन को महत्वपूर्ण माना गया है. इसके धार्मिक महत्व की बात करें, तो नर्मदा नदी का अवतरण धरती पर इसी दिन हुआ था. इसलिए इस दिन को नर्मदा जयंती के रूप में मनाया जाता हैं.

हिंदू धर्मशास्त्रों के अनुसार, नर्मदा नदी का अवतरण भगवान शंकर से हुआ था. ऐसे में इस दिन का महत्व बहुत ज्यादा बढ़ जाता है. एक कथा के अनुसार, भगवान शिव अराधना में लीन थे. इससे उनके शरीर से पसीना निकलने लगा था. यह पसीना नदी के रूप में बहने लगा, जो नर्मदा नदी बन गई.

बता दें कि, संस्कारधानी में 55 से अधिक मां नर्मदा की मूर्तियों की स्थापना की गई है, जिन्हें देर रात विसर्जन भी किया जाएगा. इसके लिए प्रशासन ने पुख्ता इंतजाम किए हैं.

जबलपुर। नर्मदा जयंती के अवसर पर मां नर्मदा के ग्वारीघाट पर आस्था का महा सैलाब उमड़ा. सुबह करीब 4 बजे से ही श्रद्धालुओं के आने का सिलसिला चालू रहा. बता दें कि, हर साल नर्मदा जयंती के अवसर पर लाखों की संख्या में भक्त ग्वारीघाट पहुंचते है.

मां नर्मदा पर अपनी असीम आस्था रखने वाले श्रद्धालु अपने-अपने ढंग से मां की पूजा-अर्चना कर सुख-शांति की कामना करते है. ऐसी मान्यता है कि मां के दर्शन करने से ही पुण्य फलों की प्राप्ति होती है. नर्मदा जयंती के अवसर पर जिला प्रशासन द्वारा चाक-चौबंद किए गए. नर्मदा तट तक वाहन के प्रवेश पर रोक लगा दी गई है.

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गौरतलब है कि, माघ माह की शुक्ल पक्ष की सप्तमी को भगवान शिव के पसीने से 12 वर्ष की एक कन्या ने जन्म लिया था. वह कन्या मां नर्मदा थी. इसी कारण इस दिवस को नर्मदा जयंती यानी नर्मदा का जन्म पर्व के रूप में मनाया जाता हैं.

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नर्मदा जयंती का महत्व
इस दिन को महत्वपूर्ण माना गया है. इसके धार्मिक महत्व की बात करें, तो नर्मदा नदी का अवतरण धरती पर इसी दिन हुआ था. इसलिए इस दिन को नर्मदा जयंती के रूप में मनाया जाता हैं.

हिंदू धर्मशास्त्रों के अनुसार, नर्मदा नदी का अवतरण भगवान शंकर से हुआ था. ऐसे में इस दिन का महत्व बहुत ज्यादा बढ़ जाता है. एक कथा के अनुसार, भगवान शिव अराधना में लीन थे. इससे उनके शरीर से पसीना निकलने लगा था. यह पसीना नदी के रूप में बहने लगा, जो नर्मदा नदी बन गई.

बता दें कि, संस्कारधानी में 55 से अधिक मां नर्मदा की मूर्तियों की स्थापना की गई है, जिन्हें देर रात विसर्जन भी किया जाएगा. इसके लिए प्रशासन ने पुख्ता इंतजाम किए हैं.

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