जबलपुर। शरीर के साथ ही मन और मस्तिष्क को फिट रखने वाले योग को सर्वव्यापी बनाने के लिए केंद्र सरकार ने अहम कदम उठाया है. आयुष मंत्रालय और खेल एवं युवा कल्याण मंत्रालय ने योग को खेल का दर्जा दे दिया है. सरकार के इस कदम ने देश के उन करोड़ों योग प्रेमियों को उत्साहित कर दिया है, जो नियमित रूप से योगाभ्यास तो करते ही हैं. साथ ही दूसरों को भी योगासन के माध्यम से तंदुरुस्त रहने का संदेश देते हैं. योग को खेल का दर्जा मिलने के बाद सेहत को लेकर फिक्रमंद रहने वाले लोग अब इसे स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करने की भी मांग करने लगे हैं.
योग के नियमित अभ्यास से शरीर तो फिट रहता ही है मन और मस्तिष्क भी तंदुरुस्त रहता है. योग को लेकर जागरूक लोगों ने योगाभ्यास को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बना लिया है. योग के बढ़ते प्रभाव और दुनिया भर में तेजी से लोकप्रिय हुई देश की इस प्राचीन विधा को लेकर भारत सरकार ने भी अहम कदम उठाते हुए इसे खेल का दर्जा प्रदान किया है. बाकी खेलों की तरह अब योग की भी राज्यों में योगा स्पोर्ट्स फेडरेशन होगी. अब योगा के कॉम्पिटिटिव गेम्स भी आयोजित किए जाएंगे. भारत सरकार योगा स्पोर्ट्स को भी उसी तरह आर्थिक मदद देगी जैसे दूसरे खेलों को दी जा रही है.
स्कूल में योग अनिवार्य करने की मांग
तेजल विश्वकर्मा का कहना है कि हम लोग नियमित कई सालों से योगा करने के लिए भवरताल आ रहे है. अभी बच्चों की ऑनलाइन पढ़ाई हो रही है. ऐसे में बच्चों को भी साथ में योगा कराने के लिए ला रहे है. नियमित योगाभ्यास से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और अब तो बच्चों को भी आदत हो गई है योगा करने की. ऐसे में सरकार के निवेदन है कि स्कूल खुलने पर योग को नियमित रूप से पाठ्यक्रम में शामिल करें ताकि बच्चे योग और रुचि ले सकें.
'योग अनिवार्य करने से मिल सकेगा रोजगार'
स्थानीय युवक संदीप यादव का कहना है कि हमारी यही मांग है कि जबलपुर में कई ऐसे कॉलेज है, जो योग के कई कोर्स कराते है. लेकिन वो डिग्री हमारे लिए उस समय अमान्य हो जाता है, जब हम उसको लेकर घर में बैठ जाते है. ऐसे में सरकार से यहीं मांग है कि नई शिक्षा नीति में योग को अनिवार्य रुप से शामिल करें. जिससे जो योग की डिग्री लेकर घूम रहे है उन्हें रोजगार मिल सकें और बच्चों को भी योग की जानकारी मिले.