जबलपुर। नगर निगम के अपर आयुक्त राकेश अयाची के खिलाफ न्यायिक जांच की मांग कोर्ट से की गई. राकेश अयाची ने कोरोना वायरस के समय आलीशान शादी की थी. इसकी वजह से कोरोना वायरस प्रभावितों की संख्या बढ़ी. जनहित याचिकाकर्ता का कहना है कि साक्ष्यों को मिटाने की कोशिश की जा रही है और अधिकारी को बचाने की कोशिश की जा रही है, इसलिए न्यायिक जांच जरूरी है.
बीते दिनों लॉकडाउन के दौरान जबलपुर नगर निगम के अपर कमिश्नर राकेश अयाची ने नियम कानून ताक पर रखकर शहर के बड़े होटल में शादी का आयोजन किया था. यह शादी राकेश अयाची के परिवार में थी. उस समय शादी में केवल 20 लोगों के शामलि होने की अनुमति थी. इसी शादी के बाद करीब 100 लोग कोरोना संक्रमित मिले थे. इसलिए समाजसेवी ने इस मुद्दे पर कलेक्टर के बाद राज्य सरकार से शिकायत की थी.
अधिकारियों ने अपर कमिश्नर का बचाव किया
राज्य सरकार की ओर से मुख्यमंत्री ने भी घटना पर संज्ञान लिया और राकेश अयाची के खिलाफ कार्रवाई करने की बात कही, लेकिन स्थानीय अधिकारियों ने अपने अधिकारी को बचाने के लिए कोई गंभीर कार्रवाई नहीं की. बल्कि हल्की-फुल्की धाराएं लगाकर मामले को रफा-दफा करना चाहा. इसलिए जब कोई कार्रवाई नहीं हुई तो समाजसेवी अखिलेश त्रिपाठी इस मुद्दे को हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका लगाकर उठाया.
कोर्ट में न्यायिक जांच की मांग
अखिलेश त्रिपाठी की ओर से पैरवी कर रहे वकील पंकज दुबे का कहना है कि अब होटल में शादी के फोटो भी बर्बाद कर दिए गए हैं और साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ की जा रही है. इसलिए इस मामले की न्यायिक जांच होनी चाहिए. कोर्ट में सुनवाई के दौरान पंकज दुबे का कहना था कि न तो अपर कमिश्नर के खिलाफ विभागीय जांच की गई, न ही उनसे कोई नुकसानी वसूली गई. बल्कि उन्हें वीआईपी ट्रीटमेंट भी दिया गया, इसलिए इस मुद्दे की न्यायिक जांच होनी चाहिए, जो अधिकारी इस शादी में गए थे, उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जानी चाहिए.
कोर्ट ने इस मामले में होटल को भी पार्टी बनाने के लिए कहा है तो इस मुद्दे पर अगली सुनवाई में उन होटलों को भी पार्टी बनाया जाएगा, जहां इस शादी के आयोजन हुए थे. जबलपुर में अभी भी 500 एक्टिव मरीज हैं और 42 मरीजों की मौत हो चुकी है. इसमें 100 के करीब मरीज इस शादी की वजह से सामने आए, इसलिए जिम्मेदार अधिकारी की गलती पर पर्दा नहीं डालना चाहिए और उनके खिलाफ कानून कार्रवाई करनी चाहिए.