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कोरोना काल में लापरवाह हुए शिक्षक, ड्यूटी से रहते हैं नदारद

कोरोना काल में स्कूल आने के आदेश के बावजूद लोक शिक्षण संचालनालय की रिपोर्ट में पाया गया है कि अधिकतर सरकारी स्कूलों में शिक्षक नहीं पहुंच रहे हैं. प्रदेश भर में 16 हजार मासाब इन दोनों कोरोना काल का फायदा उठाते हुए स्कूलों से नदारद मिले हैं. जिनके खिलाफ संचालनालय ने कार्रवाई की बात कही है. वहीं कांग्रेस इन शिक्षकों का समर्थन कर रही है. पढ़ें पूरी खबर...

Careless teacher in corona era
लापरवाह शिक्षक
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Published : Oct 2, 2020, 2:57 AM IST

जबलपुर। जिस तहर बच्चों को सुनहरे भविष्य के लिए स्कूल जाना जरूरी है ठीक उसी तरह उनके भविष्य को संवारने के लिए शिक्षकों का भी स्कूल जाना बेहद जरुरी होता है. लेकिन सरकारी स्कूलों में शिक्षक नजर कहां आते हैं. ये हम नहीं बल्कि अधिकारिक रिपोर्ट कहती है. कोरोनाकाल में लंबे अरसे से शैक्षणिक संस्थान बंद थे. जिसके चलते विद्यार्थियों की पढ़ाई का काफी नुकसान हो रहा था.

कोरोना काल में लापरवाह शिक्षक

इसे लेकर राज्य सरकार ने 21 सितंबर से स्कूलों को खोलने के निर्देश जारी किए थे. जिसके बाद प्रदेश भर में कक्षा नौवीं से बारहवीं तक के स्कूल शुरू किए गए हैं. चूंकि अभी कोरोना वायरस का खतरा टला नहीं है, इसलिए इस बात को ध्यान में रखते हुए स्कूलों में गाइडलाइन का पालन करते हुए व्यवस्थाएं की गई हैं. इस दौरान विद्यार्थियों को तो रोज स्कूल नहीं आना है लेकिन शिक्षकों हर दिन स्कूल पहुंचना अनिवार्य किया गया है.

हाल ही में लोक शिक्षण संचनालय की रिपोर्ट से यह जानकारी सामने आई है कि कोरोना काल में सरकारी स्कूलों में आदेश के बावजूद शिक्षक गैर मौजूद रहते हैं. शिक्षकों की यह गैरमौजूदगी अब उनके लिए भारी साबित हो रही है. क्योंकि लोक शिक्षण संचालनालय ने अपनी रिपोर्ट में पाया है कि जबलपुर जिले में करीब 40 शिक्षक अपनी ड्यूटी से नदारद हैं, वहीं पूरे मध्यप्रदेश में 16 हजार मासाब इन दोनों गायब मिले हैं.

संचालनालय ने जारी किया पत्र

लोक शिक्षा संचालनालय ने संभागीय संयुक्त संचालक और जिला शिक्षा अधिकारियों को पत्र लिखकर एक निर्देश जारी किया है. इस निर्देश में पूछा गया है कि आखिर इतनी बड़ी संख्या में शिक्षा विभाग के दस्तावेजों में जो शिक्षक दर्ज हैं, वे हैं कहां. इस बारे में सही जानकारी अब जिला शिक्षा अधिकारी एकत्रित करने में जुट गए हैं. अगर आंकड़ों पर नजर डालें तो 2018-19 में करीब 3 लाख 20,440 शिक्षक थे. वहीं जब 2019-20 में जिले से आई रिपोर्ट में शिक्षकों की संख्या 3 लाख 4225 रह गई है. ऐसे में कहा जा सकता है कि सरकारी स्कूल में पदस्थ शिक्षक अपने काम से गैरमौजूद रहकर अपने आप को स्कूल शिक्षा से दूर कर रहे हैं.

दोबारा शिक्षकों की गिनती कर ली जानकारी

लोक शिक्षा संचालनालय ने इस मामले में जिला शिक्षा अधिकारियों से कहा है कि वह दोबारा से शिक्षकों की गिनती कर मिलान करें. शिक्षकों की कमी से प्रदेश की रैंकिंग खराब होगी और छात्र-शिक्षक अनुपात बढ़ जाएगा. इसके अलावा केंद्र से मिलने वाले अनुदान में भी कमी आएगी. रिपोर्ट के मुताबिक सबसे ज्यादा सिंगरौली में शिक्षक लापता होने की जानकारी सामने आई है.

शिक्षक नहीं हुए गायब

अतिरिक्त जिला परियोजना अधिकारी अजय दुबे कहते हैं कि कोई भी शिक्षक स्कूल से गायब नहीं हुआ है. सिर्फ शिक्षकों का इधर से उधर तबादला कर दिया गया है, जिसके चलते शिक्षकों की कमी सामने आई है. हालांकि बात की जाए मध्य प्रदेश के जबलपुर की तो यहां पर शिक्षकों की कमी घटी नहीं बल्कि बढ़ी है, लेकिन मध्य प्रदेश के ज्यादातर जिलों में शिक्षक अनुपस्थित ही रहे हैं. लिहाजा इसके चलते शासकीय स्कूल में पदस्थ शिक्षकों की गिनती काफी हद तक कम सामने आई है.

ये भी पढ़ें- पोस्टकार्ड पर आकृति उकेर कर, श्याम सिंह चुंडावत दे रहे पर्यावरण संरक्षण का संदेश

नदारद शिक्षकों का कांग्रेस ने किया समर्थन

प्रदेश भर के सरकारी स्कूलों से गायब 16 हजार शिक्षकों के समर्थन में अब कांग्रेस उतर आई है. कांग्रेस विधायक विनय सक्सेना का कहना है कि वर्तमान में कोरोना वायरस लगातार फैल रहा है, ऐसे में चाहे शिक्षक हो या फिर छात्र हर कोई अपने आप को बचाने में जुटा हुआ है. लिहाजा अगर शिक्षक स्कूल नहीं आ रहे हैं तो इसमें कोई बड़ी बात नहीं है क्योंकि वैसे भी अभी सरकारी स्कूलों में पढ़ाई नहीं हो रही है.

स्कूल नहीं आने वाले शिक्षकों पर होगी कार्रवाई

संचालनालय ने जिला शिक्षा अधिकारियों से दो टूक कहा है कि जो शिक्षक सालों से स्कूल नहीं आ कर दूसरे काम में व्यस्त हैं, ऐसे शिक्षकों पर कार्रवाई की जाए. जिसके बाद शिक्षा विभाग आंकड़ों में आ रहे हैं इतने बड़ें अंतर को सही करने की कोशिश में जुट गया है. ऐसा माना जा रहा है कि स्थानांतरण, पदस्थापना के बाद विभाग के कंप्यूटर सॉफ्टवेयर में अपलोड में दर्ज की गई जानकारी अलग होने के कारण शिक्षकों की गैर मौजूदगी बड़ी संख्या में दिखाई दे रही है.

जबलपुर। जिस तहर बच्चों को सुनहरे भविष्य के लिए स्कूल जाना जरूरी है ठीक उसी तरह उनके भविष्य को संवारने के लिए शिक्षकों का भी स्कूल जाना बेहद जरुरी होता है. लेकिन सरकारी स्कूलों में शिक्षक नजर कहां आते हैं. ये हम नहीं बल्कि अधिकारिक रिपोर्ट कहती है. कोरोनाकाल में लंबे अरसे से शैक्षणिक संस्थान बंद थे. जिसके चलते विद्यार्थियों की पढ़ाई का काफी नुकसान हो रहा था.

कोरोना काल में लापरवाह शिक्षक

इसे लेकर राज्य सरकार ने 21 सितंबर से स्कूलों को खोलने के निर्देश जारी किए थे. जिसके बाद प्रदेश भर में कक्षा नौवीं से बारहवीं तक के स्कूल शुरू किए गए हैं. चूंकि अभी कोरोना वायरस का खतरा टला नहीं है, इसलिए इस बात को ध्यान में रखते हुए स्कूलों में गाइडलाइन का पालन करते हुए व्यवस्थाएं की गई हैं. इस दौरान विद्यार्थियों को तो रोज स्कूल नहीं आना है लेकिन शिक्षकों हर दिन स्कूल पहुंचना अनिवार्य किया गया है.

हाल ही में लोक शिक्षण संचनालय की रिपोर्ट से यह जानकारी सामने आई है कि कोरोना काल में सरकारी स्कूलों में आदेश के बावजूद शिक्षक गैर मौजूद रहते हैं. शिक्षकों की यह गैरमौजूदगी अब उनके लिए भारी साबित हो रही है. क्योंकि लोक शिक्षण संचालनालय ने अपनी रिपोर्ट में पाया है कि जबलपुर जिले में करीब 40 शिक्षक अपनी ड्यूटी से नदारद हैं, वहीं पूरे मध्यप्रदेश में 16 हजार मासाब इन दोनों गायब मिले हैं.

संचालनालय ने जारी किया पत्र

लोक शिक्षा संचालनालय ने संभागीय संयुक्त संचालक और जिला शिक्षा अधिकारियों को पत्र लिखकर एक निर्देश जारी किया है. इस निर्देश में पूछा गया है कि आखिर इतनी बड़ी संख्या में शिक्षा विभाग के दस्तावेजों में जो शिक्षक दर्ज हैं, वे हैं कहां. इस बारे में सही जानकारी अब जिला शिक्षा अधिकारी एकत्रित करने में जुट गए हैं. अगर आंकड़ों पर नजर डालें तो 2018-19 में करीब 3 लाख 20,440 शिक्षक थे. वहीं जब 2019-20 में जिले से आई रिपोर्ट में शिक्षकों की संख्या 3 लाख 4225 रह गई है. ऐसे में कहा जा सकता है कि सरकारी स्कूल में पदस्थ शिक्षक अपने काम से गैरमौजूद रहकर अपने आप को स्कूल शिक्षा से दूर कर रहे हैं.

दोबारा शिक्षकों की गिनती कर ली जानकारी

लोक शिक्षा संचालनालय ने इस मामले में जिला शिक्षा अधिकारियों से कहा है कि वह दोबारा से शिक्षकों की गिनती कर मिलान करें. शिक्षकों की कमी से प्रदेश की रैंकिंग खराब होगी और छात्र-शिक्षक अनुपात बढ़ जाएगा. इसके अलावा केंद्र से मिलने वाले अनुदान में भी कमी आएगी. रिपोर्ट के मुताबिक सबसे ज्यादा सिंगरौली में शिक्षक लापता होने की जानकारी सामने आई है.

शिक्षक नहीं हुए गायब

अतिरिक्त जिला परियोजना अधिकारी अजय दुबे कहते हैं कि कोई भी शिक्षक स्कूल से गायब नहीं हुआ है. सिर्फ शिक्षकों का इधर से उधर तबादला कर दिया गया है, जिसके चलते शिक्षकों की कमी सामने आई है. हालांकि बात की जाए मध्य प्रदेश के जबलपुर की तो यहां पर शिक्षकों की कमी घटी नहीं बल्कि बढ़ी है, लेकिन मध्य प्रदेश के ज्यादातर जिलों में शिक्षक अनुपस्थित ही रहे हैं. लिहाजा इसके चलते शासकीय स्कूल में पदस्थ शिक्षकों की गिनती काफी हद तक कम सामने आई है.

ये भी पढ़ें- पोस्टकार्ड पर आकृति उकेर कर, श्याम सिंह चुंडावत दे रहे पर्यावरण संरक्षण का संदेश

नदारद शिक्षकों का कांग्रेस ने किया समर्थन

प्रदेश भर के सरकारी स्कूलों से गायब 16 हजार शिक्षकों के समर्थन में अब कांग्रेस उतर आई है. कांग्रेस विधायक विनय सक्सेना का कहना है कि वर्तमान में कोरोना वायरस लगातार फैल रहा है, ऐसे में चाहे शिक्षक हो या फिर छात्र हर कोई अपने आप को बचाने में जुटा हुआ है. लिहाजा अगर शिक्षक स्कूल नहीं आ रहे हैं तो इसमें कोई बड़ी बात नहीं है क्योंकि वैसे भी अभी सरकारी स्कूलों में पढ़ाई नहीं हो रही है.

स्कूल नहीं आने वाले शिक्षकों पर होगी कार्रवाई

संचालनालय ने जिला शिक्षा अधिकारियों से दो टूक कहा है कि जो शिक्षक सालों से स्कूल नहीं आ कर दूसरे काम में व्यस्त हैं, ऐसे शिक्षकों पर कार्रवाई की जाए. जिसके बाद शिक्षा विभाग आंकड़ों में आ रहे हैं इतने बड़ें अंतर को सही करने की कोशिश में जुट गया है. ऐसा माना जा रहा है कि स्थानांतरण, पदस्थापना के बाद विभाग के कंप्यूटर सॉफ्टवेयर में अपलोड में दर्ज की गई जानकारी अलग होने के कारण शिक्षकों की गैर मौजूदगी बड़ी संख्या में दिखाई दे रही है.

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