जबलपुर। मध्य प्रदेश में सीएम राइस स्कूलों में प्राचार्यो की नियुक्ति हाईकोर्ट के फैसले के अधीन रहेगी. दरअसल नियुक्ति प्रक्रिया को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है. हाईकोर्ट में दायर की गई याचिका में कहा गया है कि सीएम राइस स्कूल के लिए प्राचार्य की नियुक्ति प्रक्रिया पूरी तरह से दूषित है. हाईकोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए इस कोर्ट के फैसले के अधीन रखा है, यानी फैसला अगर याचिककर्ता के पक्ष में आता है तो कई प्राचार्य की नियुक्तियां निरस्त हो जाएंगी.
बगैर आवेदन के हुआ चयन
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में दायर याचिका रत्नेश कुमार शर्मा (प्राचार्य) विरुद्ध अन्य में न्यायधीश जस्टिस संजय द्विवेदी जी ने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. अपनी याचिका में आवेदक ने कहा कि प्राचार्यो की नियुक्ति प्रक्रिया में नियमों का पालन नहीं किया गया है. प्रदेश में 275 सीएम राइस स्कूल बनाए जा रहे हैं, जिनमें 238 लोगों ने ऑनलाइन आवेदन किया. इनमें से 131 आवेदनों को शॉर्टलिस्ट करते हुए 69 प्राचार्य को ट्रेनिंग के लिए इंदौर भेज दिया गया, लेकिन इनमें से 9 प्राचार्य ऐसे हैं जिन्होंने आवेदन ही नहीं किया और उनका गलत तरीके से चयन किया गया है.
नियमों की हुई अनदेखी
प्राचार्यो की नियुक्ति में नियम बनाए गए थे कि केवल हायर सेकेंडरी स्कूल के प्रिंसिपल ही आवेदन कर पाएंगे, लेकिन बाद में प्राचार्य की नियुक्ति में शिक्षकों को भी मौका दिया गया है जो न केवल नियमों के खिलाफ है बल्कि प्राचार्य पद के लिए योग्य और अनुभवी शिक्षकों की अनदेखी भी है. याचिका में उठाए गए तर्कों को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने लोक शिक्षण संचनालय आयुक्त समेत अन्य पक्षकारों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है साथ ही प्राचार्यों की नियुक्ति की प्रक्रिया को हाईकोर्ट के आदेशों के अधीन करने के आदेश दिए हैं.
हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से मांगा जवाब
हाईकोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए एवं प्राचार्य पद के चयन में घोर अनियमितता मानते हुए प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा विभाग भोपाल, आयुक्त लोक शिक्षण संचनालय भोपाल, डायरेक्टर लोक शिक्षण संचनालय भोपाल और अन्य को नोटिस जारी करते हुए जवाब मांगा है. मामले पर अगली सुनवाई 4 अप्रैल को होगी. साथ ही हाईकोर्ट ने आवेदक के पक्ष में आदेश पारित करते हुए प्राचार्य पदों के चयन की प्रक्रिया हाईकोर्ट के आदेश के अधीन रहेगी यह आदेश पारित किया गया है.
(CM Rise School) (Appointment of principals will be under High Court order)