जबलपुर। जिले में हजारों सफाई कर्मचारी होने और करोड़ों खर्च करने के बाद भी जगह- जगह गंदगी का ढेर लगा हुआ है. वहीं कलेक्टर और नगर निगम कमिश्नर ने गंदगी का ढेर देखकर सफाई कर्मचारियों को जमकर फटकार लगाई है.
शहर में नहीं हो रहा कचरा साफ
जबलपुर में लगभग 3 हजार सफाई कर्मी हैं, शहर में डोर टू डोर कचरा उठाने की व्यवस्था लागू है. वहीं लगभग 3 हजार सफाई कर्मी निजी ठेकेदार के भी हैं. इन कर्मचारियों पर नजर बनाए रखने के लिए सुपरवाइजर नियुक्त हैं. वहीं सुपरवाइजर पर नजर बनाए रखने के लिए नगर निगम के अधिकारी हैं, इसके बावजूद जबलपुर शहर का कचरा साफ नहीं हो पा रहा है.
सफाई व्यवस्था का किया जा रहा मॉनिटरिंग
शहर में लगभग 70 अधिकारी जिसमें कलेक्टर, नगर निगम कमिश्नर से लेकर तहसीलदार सभी लोग शहर के अलग-अलग इलाकों में सफाई व्यवस्था की मॉनिटरिंग कर रहे हैं. कलेक्टर भरत यादव ने जब गुरंदी इलाके में सफाई का जायजा लिया तो एक ही जगह पर उन्हें लगभग एक डंपर गंदगी मिली. शहर में बने एक भी पब्लिक टॉयलेट में सफाई नहीं हुई थी. वहीं शहर में हर दुकानदार को अपनी दुकान पर डस्टबिन रखना है, लेकिन अधिकारियों को कहीं डस्टबिन नजर नहीं आए.
साफ- सफाई का दिखा आभाव
जबलपुर शहर का सफाई का ठेका 7 करोड़ रुपए में ठेकेदार को दिया गया है. सवाल ये खड़ा होता है कि जब लोगों के घरों से कचरा नहीं लिया जा रहा है, इसीलिए वे सार्वजनिक जगहों पर कचरा फेंक रहे हैं, मतलब ठेकेदार पैसा लेने के बाद भी सही ढंग से काम नहीं कर रहा है और नगर निगम के स्थाई कर्मचारी भी साफ- सफाई नहीं कर रहे हैं.