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प्रवासी मजदूरों की दुर्दशा के मामले में हाईकोर्ट में सुनवाई, राज्य शासन से स्टेटस रिपोर्ट तलब - Migrant workers

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने प्रवासी मजदूरों की दुर्दशा को गंभीरता से लेते हुए राज्य शासन से स्टेटस रिपोर्ट तलब की है.कोर्ट ने कहा कि प्रवासी मजदूरों के पुनर्वास के लिए निश्चित योजना बनाने की जरूरत है, ताकि वे अपने गृह राज्य मे जीवनयापन कर सकें. राज्य सरकार को इस सम्बंध में जरूरी कार्रवाई कर 18 जनवरी तक स्टेटस रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया गया.

Jabalpur High Court
जबलपुर हाईकोर्ट
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Published : Dec 6, 2020, 8:06 PM IST

जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने प्रवासी मजदूरों की दुर्दशा को गंभीरता से लेते हुए राज्य शासन से स्टेटस रिपोर्ट तलब की है. इस मामले में राज्य शासन की ओर से अवगत कराया गया कि अन्य राज्यों से पलायन कर आए राज्य के प्रवासी मजदूरों को राहत देने के लिए सरकार ने समुचित इंतजाम किए है. जिन्हे हाईकोर्ट के कार्यवाहक चीफ जस्टिस संजय यादव और जस्टिस व्ही के शुक्ला की युगलपीठ ने सरकार द्वारा पेश किये गये चार्ट पर असंतुष्टि जाहिर की. कोर्ट ने कहा कि प्रवासी मजदूरों के पुनर्वास के लिए निश्चित योजना बनाने की जरूरत है, ताकि वे अपने गृह राज्य मे जीवनयापन कर सकें. राज्य सरकार को इस सम्बंध में जरूरी कार्रवाई कर 18 जनवरी तक स्टेट्स रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया गया.

बंधुआ मुक्ति मोर्चा ने दायर की जनहित याचिका

बंधुआ मुक्ति मोर्चा की तरफ से दायर की गई याचिका में कहा गया कि कोरोना वायरस के कारण दूसरे राज्यों से बडी संख्या में प्रवासी मजदूर प्रदेष में लौट रहे हैं. प्रवासी मजदूरों को खादय और आर्थिक मदद करने के लिए कई शासकीय योजनाएं संचालित की जा रही है. जिससे प्रवासी मजदूर अपना जीवन यापन कर सकें. याचिका में कहा गया है कि दूसरे प्रदेश से लौटे प्रवासी मजूदरों को किसी प्रकार की शासकीय योजना का लाभ नहीं मिल रहा है. याचिका के साथ वापस लौटे प्रवासी मजदूरों के नाम की सूची आधार कार्ड के साथ प्रस्तुत की गई थी. दरअसल,बंधुआ मुक्ति मोर्चा के प्रदेश संयोजक गुना निवासी नरेंद्र सिंह भदोरिया की ओर से जनहित याचिका दायर की गई थी. उन्होंने कोर्ट से आग्रह किया अंतरिम राहत के तौर पर इन मजदूरों को राशन व आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई जाए.

राज्य में 7 लाख 40 हजार 440 प्रवासी मजदूर वापस लौटकर आए

याचिका में कहा गया कि शासकीय योजना का लाभ नहीं मिलने के कारण प्रवासी मजदूरों की स्थिति बहुत दयनीय है. याचिका की सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से पेश किये गये चार्ट में बताया गया था कि कोरोना महामारी के कारण प्रदेश से लौटे प्रवासी मजदूरों की पंजीकृत संख्या लगभग 7 लाख 40 हजार है. जिसमें से लगभग 45 हजार प्रवासी मजदूरों को रोजगार उपलब्ध करवाया गया है. सरकार द्वारा पेश किये गये चार्ट पर असंतुष्टि व्यक्त करते युगलपीठ ने सरकार को प्रवासी मजदूरों की सुविधाएं संबंधित योजनाएं बढ़ाने के लिए सरकार को निर्देशित किया है. याचिका पर अगली सुनवाई जनवरी माह के तीसरे सप्ताह में निर्धारित की गयई है.

जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने प्रवासी मजदूरों की दुर्दशा को गंभीरता से लेते हुए राज्य शासन से स्टेटस रिपोर्ट तलब की है. इस मामले में राज्य शासन की ओर से अवगत कराया गया कि अन्य राज्यों से पलायन कर आए राज्य के प्रवासी मजदूरों को राहत देने के लिए सरकार ने समुचित इंतजाम किए है. जिन्हे हाईकोर्ट के कार्यवाहक चीफ जस्टिस संजय यादव और जस्टिस व्ही के शुक्ला की युगलपीठ ने सरकार द्वारा पेश किये गये चार्ट पर असंतुष्टि जाहिर की. कोर्ट ने कहा कि प्रवासी मजदूरों के पुनर्वास के लिए निश्चित योजना बनाने की जरूरत है, ताकि वे अपने गृह राज्य मे जीवनयापन कर सकें. राज्य सरकार को इस सम्बंध में जरूरी कार्रवाई कर 18 जनवरी तक स्टेट्स रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया गया.

बंधुआ मुक्ति मोर्चा ने दायर की जनहित याचिका

बंधुआ मुक्ति मोर्चा की तरफ से दायर की गई याचिका में कहा गया कि कोरोना वायरस के कारण दूसरे राज्यों से बडी संख्या में प्रवासी मजदूर प्रदेष में लौट रहे हैं. प्रवासी मजदूरों को खादय और आर्थिक मदद करने के लिए कई शासकीय योजनाएं संचालित की जा रही है. जिससे प्रवासी मजदूर अपना जीवन यापन कर सकें. याचिका में कहा गया है कि दूसरे प्रदेश से लौटे प्रवासी मजूदरों को किसी प्रकार की शासकीय योजना का लाभ नहीं मिल रहा है. याचिका के साथ वापस लौटे प्रवासी मजदूरों के नाम की सूची आधार कार्ड के साथ प्रस्तुत की गई थी. दरअसल,बंधुआ मुक्ति मोर्चा के प्रदेश संयोजक गुना निवासी नरेंद्र सिंह भदोरिया की ओर से जनहित याचिका दायर की गई थी. उन्होंने कोर्ट से आग्रह किया अंतरिम राहत के तौर पर इन मजदूरों को राशन व आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई जाए.

राज्य में 7 लाख 40 हजार 440 प्रवासी मजदूर वापस लौटकर आए

याचिका में कहा गया कि शासकीय योजना का लाभ नहीं मिलने के कारण प्रवासी मजदूरों की स्थिति बहुत दयनीय है. याचिका की सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से पेश किये गये चार्ट में बताया गया था कि कोरोना महामारी के कारण प्रदेश से लौटे प्रवासी मजदूरों की पंजीकृत संख्या लगभग 7 लाख 40 हजार है. जिसमें से लगभग 45 हजार प्रवासी मजदूरों को रोजगार उपलब्ध करवाया गया है. सरकार द्वारा पेश किये गये चार्ट पर असंतुष्टि व्यक्त करते युगलपीठ ने सरकार को प्रवासी मजदूरों की सुविधाएं संबंधित योजनाएं बढ़ाने के लिए सरकार को निर्देशित किया है. याचिका पर अगली सुनवाई जनवरी माह के तीसरे सप्ताह में निर्धारित की गयई है.

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