जबलपुर। कोरोना वायरस की वजह से बसों का संचालन बंद था, जिसके बाद सरकार ने आधे यात्रियों के साथ बसों के संचालन की अनुमति दे दी थी, लेकिन आधे यात्रियों के साथ बस चलाना घाटे का सौदा था. जिसे देखते हुए बसों का संचालन नहीं हुआ. राज्य सरकार ने धीरे-धीरे सभी गतिविधियों को खोलने का फैसला लिया और बसों का संचालन भी शुरू कर दिया गया, लेकिन अब फिर बस ड्राइवर और कंडक्टर हड़ताल पर हैं.
ड्राइवर और कंडक्टर का कहना है कि जिस तरीके से राज्य सरकार ने बीते छह महीने से बंद बसों से टैक्स नहीं लिया और करीब 121 करोड़ रूपए की टैक्स की राहत दी है, ऐसी ही कुछ राहत उन्हें भी मिलनी चाहिए.
बीते 6 महीने से बस मालिकों ने ड्राइवर और कंडक्टर कोई मानदेय नहीं दिया है. जिसकी वजह से जबलपुर के एक ड्राइवर ने और बालाघाट के बस कर्मचारी ने आत्महत्या तक कर ली. दूसरे लोगों की हालत भी खराब है. इसलिए बस ड्राइवर और कंडक्टर अपने मालिकों से और राज्य सरकार से नाराज हैं. साथ ही उनकी मांग है कि बीते दिनों का भत्ता दिया जाए.
बस एसोसिएशन के अध्यक्ष का कहना है कि सभी ने कई बार प्रशासन से गुहार लगाई है, लेकिन सरकार ने अब तक उनकी मांग पूरी नहीं की है. जिसके चलते वे सभी आज हड़ताल पर बैठे हैं. उन्होंने कहा कि बस कंडेक्टर और ड्राइवर को बीते छह महीने का भत्ता मिलना चाहिए.