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बैंक अधिकारी ने सेवा बर्खास्तगी को लेकर हाईकोर्ट में दी चुनौती - जबलपुर हाईकोर्ट में याचिका

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने खरगोन में पदस्थ रहे बैंक ऑफ इंडिया के वरिष्ठ शाखा प्रबंधक को लोन वितरण के मामले में अनुशसनात्मक कार्रवाई कर सेवा से बर्खास्त किये जाने को चुनौती देने वाले मामले को गंभीरता से लिया. इस संबंध में बैंक अधिकारियों को नोटिस जारी कर तीन सप्ताह में जवाब पेश करने के निर्देश दिये हैं.

जबलपुर हाईकोर्ट
jabalpur high court
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Published : Apr 13, 2021, 9:00 PM IST

जबलपुर। हाईकोर्ट ने खरगोन में पदस्थ रहे बैंक ऑफ इंडिया के वरिष्ठ शाखा प्रबंधक को लोन वितरण के मामले में अनुशसनात्मक कार्रवाई कर सेवा से बर्खास्त किये जाने को चुनौती देने वाले मामले को गंभीरता से लिया. जस्टिस संजय द्विवेदी की एकल पीठ ने मामले में अनावेदक बैंक अधिकारियों को नोटिस जारी कर तीन सप्ताह में जवाब पेश करने के निर्देश दिये हैं.

यह है मामला
यह मामला आरआर मंडावी की ओर से दायर किया गया है. जिसमें कहा गया है कि वे बैंक ऑफ इंडिया के वरिष्ठ शाखा प्रबंधक के पद पर पदस्थ थे और प्रबंधकीय पद का सुचारू रूप से निर्वहन कर बैंक हित में कुछ हितग्राहियों को ऋण वितरित किया था. जिस पर बैंक के अनुशसनात्मक प्राधिकारी ने उनके खिलाफ आरोप पत्र जारी करते हुए उन्हें सितंबर 2014 को सेवा से बर्खास्त कर दिया. इतना ही नहीं आवेदक का कहना है कि उनके द्वारा की गई अपील व रिव्यू अपील भी बिना किसी ठोस कार्रवाई के निरस्त कर दी गई. जिस पर हाईकोर्ट की शरण ली गई है.

राईट-टू-फेयर कंपनसेशन के तहत मुआवजे की मांग, लगाई याचिका

मामले में आवेदक की ओर से सेवा बर्खास्ती का आदेश निरस्त कर पुन: बहाल किये जाने की राहत की मांग की है. मामले में आवेदक की ओर से कहा गया कि बैंक प्रबंधक द्वारा ऋण बांटना उसका मौलिक कर्तव्य होता है. इस संबंध में आवेदक की ओर से सुकों और हाईकोर्ट के न्याय दृष्टांत भी पेश किये गये. सुनवाई के बाद न्यायालय ने बैंक ऑफ इंडिया के जनरल मैनेजर मुंबई, अपीलेट अधिकारी व सहायक जनरल
मैनेजर खंडवा को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के निर्देश दिये हैं. याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता नर्मदा प्रसाद और अमित ने
पक्ष रखा.

जबलपुर। हाईकोर्ट ने खरगोन में पदस्थ रहे बैंक ऑफ इंडिया के वरिष्ठ शाखा प्रबंधक को लोन वितरण के मामले में अनुशसनात्मक कार्रवाई कर सेवा से बर्खास्त किये जाने को चुनौती देने वाले मामले को गंभीरता से लिया. जस्टिस संजय द्विवेदी की एकल पीठ ने मामले में अनावेदक बैंक अधिकारियों को नोटिस जारी कर तीन सप्ताह में जवाब पेश करने के निर्देश दिये हैं.

यह है मामला
यह मामला आरआर मंडावी की ओर से दायर किया गया है. जिसमें कहा गया है कि वे बैंक ऑफ इंडिया के वरिष्ठ शाखा प्रबंधक के पद पर पदस्थ थे और प्रबंधकीय पद का सुचारू रूप से निर्वहन कर बैंक हित में कुछ हितग्राहियों को ऋण वितरित किया था. जिस पर बैंक के अनुशसनात्मक प्राधिकारी ने उनके खिलाफ आरोप पत्र जारी करते हुए उन्हें सितंबर 2014 को सेवा से बर्खास्त कर दिया. इतना ही नहीं आवेदक का कहना है कि उनके द्वारा की गई अपील व रिव्यू अपील भी बिना किसी ठोस कार्रवाई के निरस्त कर दी गई. जिस पर हाईकोर्ट की शरण ली गई है.

राईट-टू-फेयर कंपनसेशन के तहत मुआवजे की मांग, लगाई याचिका

मामले में आवेदक की ओर से सेवा बर्खास्ती का आदेश निरस्त कर पुन: बहाल किये जाने की राहत की मांग की है. मामले में आवेदक की ओर से कहा गया कि बैंक प्रबंधक द्वारा ऋण बांटना उसका मौलिक कर्तव्य होता है. इस संबंध में आवेदक की ओर से सुकों और हाईकोर्ट के न्याय दृष्टांत भी पेश किये गये. सुनवाई के बाद न्यायालय ने बैंक ऑफ इंडिया के जनरल मैनेजर मुंबई, अपीलेट अधिकारी व सहायक जनरल
मैनेजर खंडवा को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के निर्देश दिये हैं. याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता नर्मदा प्रसाद और अमित ने
पक्ष रखा.

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