जबलपुर। कोरोना संक्रमण के कारण देशभर में लॉकडाउन लगा दिया गया था, वहीं पांच माह बाद अनलॉक हुआ तो फिर से जनजीवन फिर से शुरु हुआ है. लोग घर से बाहर निकलने लगे हैं और यात्रियों की सुविधा के लिए जिला प्रशासन ने ऑटो शुरु कर दिए गए हैं, वहीं बसों का संचालन अभी भी बंद है, जिसके कारण ऑटो चालक ग्राहकों से मनमाना किराया वसूल रहे हैं.
जबलपुर जिले में संचालित होते हैं साढ़े नो हजार ऑटो
बता दें जबलपुर के शहरी और ग्रामीण इलाके में करीब साढे़ 9 हजार ऑटो संचालित होते हैं, जिसमें कि साढ़े 6 हजार ऑटो ही रजिस्टर्ड हैं. जबकि बाकी के तीन हजार ऑटो बिना शासन की अनुमति के चल रहे हैं, ऐसे में ऑटो चालकों ने बिना पुलिस प्रशासन को जानकारी दिए बिना ही यात्रियों से वसूल करने वाली दामों को तय कर लिया है.
लॉकडाउन के पहले जहां 20 रुपए प्रति यात्री किराया था वहीं लॉकडाउन के बाद ऑटो चालक 20 की जगह 40 रुपए प्रति व्यक्ति वसूल रहे हैं. वहीं रात के समय ऑटो चालक अपना रेट 40 से बढ़ाकर 80 से 100 रु तक कर देते हैं, कोई अन्य सुविधा न होने के कारण यात्रियों को आटो चालकों की बात मानना पड़ता है और मन मुताबिक किराया देना पड़ रहा है.
ऑटो चालकों ने यात्रियों के आरोपों को बताया बेबुनियाद
ऑटो चालकों ने मन मुताबिक किराया वसूलने को लेकर जो भी आरोप यात्रियों ने लगाए उन तमाम आरोपों को सिरे से नकार दिया है. ऑटो चालकों का कहना है कि अनलॉक के बाद से ज्यादातर यात्री घरों में ही हैं तो उनसे ज्यादा किराया वसूलने का सवाल ही नहीं उठता है. जबकि डीजल और गैस के रेट भी लगातार बढ़ रहे हैं बावजूद इसके ऑटो चालक यात्रियों से यथावत ही किराया ले रहे हैं.
सिटी बस चलती है तो ऑटो में बैठते हैं कम यात्री
शहर में सिटी बस का संचालन होता है तो ज्यादातर लोग उसमें सफर करते हैं, ऐसे में ऑटो चालकों की डिमांड कम ही रहती है. लेकिन फिलहाल जिला प्रशासन ने बसों के संचालन को बंद ही रखा है, जिसके चलते मजबूरन यात्रियों को ऑटो में यात्रा करनी पड़ रही है. वर्तमान में केवल 10 सिटी बसें ही शहर में संचालित की जा रही हैं, ऐसे में ऑटो का किराया भरने से लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
अनलॉक होने पर शहर की सड़कों पर ऑटो दौड़ने लगे हैं, इस दौरान आटो चालकों ने अपने मन मुताबिक रेट भी तय कर दिया है. बावजूद इसके जबलपुर की पुलिस और प्रशासन को इसकी भनक नहीं है, और किसी तरह की रेट लिस्ट जारी नहीं होने पर यात्रियों ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया है.
कोरोना संक्रमण के कारण लोग घरों में ही हैं, जिसके कारण ऑटो चालकों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है. जहां पहले ऑटो चालक की प्रतिदिन कमाई 400 से 500 रुपए होती थी, वहीं अब 200 रुपए में सिमट कर रह गई है. वहीं प्रशासन के नियम के मुताबिक एक ऑटो में सिर्फ तीन सवारी बैठ सकती है, जिसके कारण भी ज्यादातर ऑटो चालक नुकसान झेल रहे हैं.
ईटीवी भारत की खबर को ट्रैफिक एएसपी ने लिया संज्ञान में, जल्द होगी ऑटो चालक संघ के साथ किराए को लेकर बैठक
ऑटो चालकों के यात्रियों से मन मुताबिक वसूले जा रहे किराए को लेकर जब ईटीवी भारत की टीम ने अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक ट्रैफिक अगम जैन से बात की तो उनका मानना था कि निश्चित रूप से इस तरह की लगातार शिकायतें आ रही हैं. उन्होंने कहा कि ये गलत है कि ऑटो चालक यात्रियों से मन मुताबिक किराया वसूल रहे हैं, लिहाजा जल्द ही ऑटो चालक संघ के पदाधिकारियों के साथ एक बैठक की जाएगी और उस बैठक में रेट लिस्ट को तय किया जाएगा. वहीं इसके बाद भी अगर कोई ऑटो चालक यात्रियों से अधिक शुल्क वसूलते हैं तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.