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वेतन की मांग को लेकर आशा कार्यकर्ताओं का प्रदर्शन, CMHO का घेराव - regarding demands Jabalpur

जबलपुर में सैकड़ों आशा-उषा कार्यकर्ता और सहायिकों ने मुख्य जिला चिकित्सा कार्यालय का घेराव किया है और मांगों को लेकर सरकार को चेताया है कि उनकी जल्द ही मांग पूरी की जाए.

asha-usha worker
आशा-उषा कार्यकर्ता
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Published : Jun 14, 2021, 3:06 PM IST

Updated : Jun 14, 2021, 7:27 PM IST

जबलपुर। मध्यप्रदेश में सरकारी कर्मचारी लगातार अपनी मांगों को लेकर राज्य सरकार को घेरने में है. पहले जूनियर डॉक्टर, उसके बाद नर्स और अब आशा कार्यकर्ताओं ने सरकार के खिलाफ आंदोलन की तैयारी कर ली है. जबलपुर में सैकड़ों आशा-उषा कार्यकर्ता और सहायकों ने मूख्य जिला चिकित्सा कार्यलय का घेराव किया और साफ तौर पर सरकार को चेतावनी दी है कि अगर उनको नियमित करने के लिए सरकार ने ठोस कदम नहीं उठाया तो अब डॉक्टरों और नर्सो के बाद आशा कार्यकर्ता भी काम बंद कर देगी.

आशा कार्यकर्ताओं का प्रदर्शन

मेहनताना के रुप में मिल रहे चंद रुपये

मध्यप्रदेश में हजारों आशा कार्यकर्ता और सहियका बीते 2005 से लगातार शासन के निर्देश पर काम कर रही है. वह गांव-गांव जाकर और घूमकर टीकाकरण करवाना-महिलाओं को अस्पताल तक लेकर आना ये आशा कार्यकर्ताओं का प्रमुख काम है. इतना ही नहीं कोरोना काल में भी आशा कार्यकर्ताओं ने अपनी जान की परवाह किए बगौर काम किया है. जिसके एवज में शासन जो मेहनताना दे रही है वह चंद रुपये का होता है.

जूडा हड़ताल पर सख्त हुई सरकार, 400 से ज्यादा डॉक्टर बर्खास्त, हॉस्टल खाली करने नोटिस भी जारी

सरकार ने नहीं बढ़ाया मानदेय, तो होगा काम बंद

जबलपुर सीएमएचओ कार्यालय का घेराव करते हुए, सभी आशा कार्यकर्ता और सहायकों ने शासन को चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया तो उन्हें मजबूरन काम बंद करना पड़ेगा. कार्यकर्ताओं की मांग है कि जिस तरह से अन्य राज्यों में आशा कार्यकर्ताओं को वेतन दिया जा रहा है, उसी तरह मध्यप्रदेश सरकार भी उन्हें दे नहीं तो समूचे मध्यप्रदेश की आशा कार्यकर्ता काम बंद कर देंगे.

भीड़ देख पुलिस के उड़ गए होश

कोरोना संक्रमण के बीच सीएमएचओ कार्यालय का घेराव करने पहुंची आशा कार्यकर्ताओं की भीड़ देख पुलिस के भी होश उड़ गए. 500 से ज्यादा महिलाओं ने जब घेराव किया तो पुलिस को उन्हें संभालने के लिए खासी मशक्कत करना पड़ी. पुलिस आशा कार्यकर्ताओं को समझा रही थी लेकिन महिलाएं थी कि अपनी जिद में अड़ी रही. आशा कार्यकर्ताओं का साफ कहना है कि अगर हमारा वेतन नहीं बढ़ा तो हम काम नही लौटेगे.

CSP के आश्वसान के बाद मानी आशा कार्यकर्ता

करीब एक घंटे तक सीएमएचओ कार्यालय के बाहर भीड़ लगाकर बैठी आशा कार्यकर्ता बाहर जाने को तैयार नहीं थी. पुलिस लगातार उन्हें मना रही थी पर सभी आशा कार्यकर्ता जिद पर अड़ी थी. मौके पर सीएसपी अशोक तिवारी पहुंचे और उन्होंने आश्वासन दिया तब कही जाकर आशा कार्यकर्ता परिषर से बाहर गई.

जबलपुर जिले के ग्रामीण क्षेत्र में करीब 1,297 आशा कार्यकर्ता है. जबकि शहरी क्षेत्र में 495, इनकी निगरानी के लिए 97 आशा सहियका नियुक्त की गई है. अगर इनके वेतन की बात करे तो आशा कार्यकर्ताओं को 2000 रुपये प्रति माह, जबकि सहियका को 7500 रुपये दिया जा रहा है.

जबलपुर। मध्यप्रदेश में सरकारी कर्मचारी लगातार अपनी मांगों को लेकर राज्य सरकार को घेरने में है. पहले जूनियर डॉक्टर, उसके बाद नर्स और अब आशा कार्यकर्ताओं ने सरकार के खिलाफ आंदोलन की तैयारी कर ली है. जबलपुर में सैकड़ों आशा-उषा कार्यकर्ता और सहायकों ने मूख्य जिला चिकित्सा कार्यलय का घेराव किया और साफ तौर पर सरकार को चेतावनी दी है कि अगर उनको नियमित करने के लिए सरकार ने ठोस कदम नहीं उठाया तो अब डॉक्टरों और नर्सो के बाद आशा कार्यकर्ता भी काम बंद कर देगी.

आशा कार्यकर्ताओं का प्रदर्शन

मेहनताना के रुप में मिल रहे चंद रुपये

मध्यप्रदेश में हजारों आशा कार्यकर्ता और सहियका बीते 2005 से लगातार शासन के निर्देश पर काम कर रही है. वह गांव-गांव जाकर और घूमकर टीकाकरण करवाना-महिलाओं को अस्पताल तक लेकर आना ये आशा कार्यकर्ताओं का प्रमुख काम है. इतना ही नहीं कोरोना काल में भी आशा कार्यकर्ताओं ने अपनी जान की परवाह किए बगौर काम किया है. जिसके एवज में शासन जो मेहनताना दे रही है वह चंद रुपये का होता है.

जूडा हड़ताल पर सख्त हुई सरकार, 400 से ज्यादा डॉक्टर बर्खास्त, हॉस्टल खाली करने नोटिस भी जारी

सरकार ने नहीं बढ़ाया मानदेय, तो होगा काम बंद

जबलपुर सीएमएचओ कार्यालय का घेराव करते हुए, सभी आशा कार्यकर्ता और सहायकों ने शासन को चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया तो उन्हें मजबूरन काम बंद करना पड़ेगा. कार्यकर्ताओं की मांग है कि जिस तरह से अन्य राज्यों में आशा कार्यकर्ताओं को वेतन दिया जा रहा है, उसी तरह मध्यप्रदेश सरकार भी उन्हें दे नहीं तो समूचे मध्यप्रदेश की आशा कार्यकर्ता काम बंद कर देंगे.

भीड़ देख पुलिस के उड़ गए होश

कोरोना संक्रमण के बीच सीएमएचओ कार्यालय का घेराव करने पहुंची आशा कार्यकर्ताओं की भीड़ देख पुलिस के भी होश उड़ गए. 500 से ज्यादा महिलाओं ने जब घेराव किया तो पुलिस को उन्हें संभालने के लिए खासी मशक्कत करना पड़ी. पुलिस आशा कार्यकर्ताओं को समझा रही थी लेकिन महिलाएं थी कि अपनी जिद में अड़ी रही. आशा कार्यकर्ताओं का साफ कहना है कि अगर हमारा वेतन नहीं बढ़ा तो हम काम नही लौटेगे.

CSP के आश्वसान के बाद मानी आशा कार्यकर्ता

करीब एक घंटे तक सीएमएचओ कार्यालय के बाहर भीड़ लगाकर बैठी आशा कार्यकर्ता बाहर जाने को तैयार नहीं थी. पुलिस लगातार उन्हें मना रही थी पर सभी आशा कार्यकर्ता जिद पर अड़ी थी. मौके पर सीएसपी अशोक तिवारी पहुंचे और उन्होंने आश्वासन दिया तब कही जाकर आशा कार्यकर्ता परिषर से बाहर गई.

जबलपुर जिले के ग्रामीण क्षेत्र में करीब 1,297 आशा कार्यकर्ता है. जबकि शहरी क्षेत्र में 495, इनकी निगरानी के लिए 97 आशा सहियका नियुक्त की गई है. अगर इनके वेतन की बात करे तो आशा कार्यकर्ताओं को 2000 रुपये प्रति माह, जबकि सहियका को 7500 रुपये दिया जा रहा है.

Last Updated : Jun 14, 2021, 7:27 PM IST
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