जबलपुर। मध्यप्रदेश बार काउंसिल के 50 वर्ष पूरे होने पर स्वर्ण जयंती का आयोजन किया गया, जिसमें मुख्य अतिथि के तौर पर सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश अरुण मिश्रा और जस्टिस माणिकराव खानविलकर शामिल हुये. यहां अरुण मिश्रा में बार काउंसिल को आईना दिखाने वाला भाषण दिया. इस दौरान उन्होंने वकालत में कई तरह के सुधार करने के सुझाव भी दिये.
जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा कि बार काउंसिल को वकीलों की फीस के निर्धारण पर काम करना चाहिये, क्योंकि आम जनता वकीलों की फीस से बहुत परेशान हैं. वकील अब फीस के मामले में हद करने लगे हैं. उन्होंने बताया कि वकील गवाही करवाना, केस फाइल करवाने के अलावा घंटों के हिसाब से फीस वसूलने लगे हैं. इतना ही नहीं वकील अब चुप रहने की भी फीस लेने लगे हैं. इन सभी बिंदुओं पर उन्होंने बार काउंसिल से अपील करे हुये कहा कि इस मामले में अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए.
जस्टिस अरुण मिश्रा ने वकीलों को इमानदारी और सच्चाई के साथ काम करने की सलाह दी है. इस दौरान उन्होंने वकीलों को लोकतंत्र का सैनिक बताते हुये कहा कि आम आदमी की रक्षा के लिए जिस तरीके से सेना लड़ती है, उसी तरह से आम आदमी के अधिकारों के लिए वकील लड़ते हैं, लेकिन वकीलों को अपनी इज्जत बनाकर रखनी चाहिए. यह केवल वकालत के लिए नहीं बल्कि पूरे समाज के लिए जरूरी है.
वकीलों को जजों की चाटुकारिता नहीं करनी चाहिए
जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा कि वकीलों को जजों की चाटुकारिता नहीं करनी चाहिए. इससे पूरी न्याय व्यवस्था भ्रष्ट हो जाती है. जिससे इमानदारी से न्याय नहीं हो पाता. जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा कि बार काउंसिल की अनुशासन समिति कोई काम नहीं कर रही है. जब सभी को पता है कि कुछ जज और कुछ वकील गलत काम कर रहे हैं तो बार काउंसिल के पास इनके खिलाफ सनद रद्द करने जैसे बड़े अधिकार हैं, लेकिन इसके बाद भी देश भर में जजों के खिलाफ या वकीलों के खिलाफ कार्रवाई होते नजर नहीं आ रही है.
इमारत का भूमि पूजन हुआ
इस मौके पर सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अरुण मिश्रा जस्टिस माणिकराव खानविलकर और मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस सेठ ने बार काउंसिल की इमारत का भूमि पूजन किया. यह बहुमंजिला इमारत 40 करोड़ की लागत से बन रही है. जस्टिस अरुण मिश्रा ने बार कांउसिल को सलाह दी है कि यह बहुत प्रभावी संस्था है और पूरी न्याय व्यवस्था को सुधार सकती है.