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जस्टिस अरुण मिश्रा ने बार काउंसिल को दिखाया आईना, कहा- चुप रहने की फीस लेने लगे हैं वकील

जस्टिस अरुण मिश्रा ने वकीलों को इमानदारी और सच्चाई के साथ काम करने की सलाह दी है. इस दौरान उन्होंने वकीलों को लोकतंत्र का सैनिक बताते हुये कहा कि आम आदमी की रक्षा के लिए जिस तरीके से सेना लड़ती है, उसी तरह से आम आदमी के अधिकारों के लिए वकील लड़ते हैं, लेकिन वकीलों को अपनी इज्जत बनाकर रखनी चाहिए. यह केवल वकालत के लिए नहीं बल्कि पूरे समाज के लिए जरूरी है.

कार्यक्रम की फोटो
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Published : Mar 2, 2019, 8:25 PM IST

जबलपुर। मध्यप्रदेश बार काउंसिल के 50 वर्ष पूरे होने पर स्वर्ण जयंती का आयोजन किया गया, जिसमें मुख्य अतिथि के तौर पर सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश अरुण मिश्रा और जस्टिस माणिकराव खानविलकर शामिल हुये. यहां अरुण मिश्रा में बार काउंसिल को आईना दिखाने वाला भाषण दिया. इस दौरान उन्होंने वकालत में कई तरह के सुधार करने के सुझाव भी दिये.

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जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा कि बार काउंसिल को वकीलों की फीस के निर्धारण पर काम करना चाहिये, क्योंकि आम जनता वकीलों की फीस से बहुत परेशान हैं. वकील अब फीस के मामले में हद करने लगे हैं. उन्होंने बताया कि वकील गवाही करवाना, केस फाइल करवाने के अलावा घंटों के हिसाब से फीस वसूलने लगे हैं. इतना ही नहीं वकील अब चुप रहने की भी फीस लेने लगे हैं. इन सभी बिंदुओं पर उन्होंने बार काउंसिल से अपील करे हुये कहा कि इस मामले में अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए.

जस्टिस अरुण मिश्रा ने वकीलों को इमानदारी और सच्चाई के साथ काम करने की सलाह दी है. इस दौरान उन्होंने वकीलों को लोकतंत्र का सैनिक बताते हुये कहा कि आम आदमी की रक्षा के लिए जिस तरीके से सेना लड़ती है, उसी तरह से आम आदमी के अधिकारों के लिए वकील लड़ते हैं, लेकिन वकीलों को अपनी इज्जत बनाकर रखनी चाहिए. यह केवल वकालत के लिए नहीं बल्कि पूरे समाज के लिए जरूरी है.

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वकीलों को जजों की चाटुकारिता नहीं करनी चाहिए
जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा कि वकीलों को जजों की चाटुकारिता नहीं करनी चाहिए. इससे पूरी न्याय व्यवस्था भ्रष्ट हो जाती है. जिससे इमानदारी से न्याय नहीं हो पाता. जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा कि बार काउंसिल की अनुशासन समिति कोई काम नहीं कर रही है. जब सभी को पता है कि कुछ जज और कुछ वकील गलत काम कर रहे हैं तो बार काउंसिल के पास इनके खिलाफ सनद रद्द करने जैसे बड़े अधिकार हैं, लेकिन इसके बाद भी देश भर में जजों के खिलाफ या वकीलों के खिलाफ कार्रवाई होते नजर नहीं आ रही है.


इमारत का भूमि पूजन हुआ
इस मौके पर सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अरुण मिश्रा जस्टिस माणिकराव खानविलकर और मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस सेठ ने बार काउंसिल की इमारत का भूमि पूजन किया. यह बहुमंजिला इमारत 40 करोड़ की लागत से बन रही है. जस्टिस अरुण मिश्रा ने बार कांउसिल को सलाह दी है कि यह बहुत प्रभावी संस्था है और पूरी न्याय व्यवस्था को सुधार सकती है.

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जबलपुर। मध्यप्रदेश बार काउंसिल के 50 वर्ष पूरे होने पर स्वर्ण जयंती का आयोजन किया गया, जिसमें मुख्य अतिथि के तौर पर सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश अरुण मिश्रा और जस्टिस माणिकराव खानविलकर शामिल हुये. यहां अरुण मिश्रा में बार काउंसिल को आईना दिखाने वाला भाषण दिया. इस दौरान उन्होंने वकालत में कई तरह के सुधार करने के सुझाव भी दिये.

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जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा कि बार काउंसिल को वकीलों की फीस के निर्धारण पर काम करना चाहिये, क्योंकि आम जनता वकीलों की फीस से बहुत परेशान हैं. वकील अब फीस के मामले में हद करने लगे हैं. उन्होंने बताया कि वकील गवाही करवाना, केस फाइल करवाने के अलावा घंटों के हिसाब से फीस वसूलने लगे हैं. इतना ही नहीं वकील अब चुप रहने की भी फीस लेने लगे हैं. इन सभी बिंदुओं पर उन्होंने बार काउंसिल से अपील करे हुये कहा कि इस मामले में अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए.

जस्टिस अरुण मिश्रा ने वकीलों को इमानदारी और सच्चाई के साथ काम करने की सलाह दी है. इस दौरान उन्होंने वकीलों को लोकतंत्र का सैनिक बताते हुये कहा कि आम आदमी की रक्षा के लिए जिस तरीके से सेना लड़ती है, उसी तरह से आम आदमी के अधिकारों के लिए वकील लड़ते हैं, लेकिन वकीलों को अपनी इज्जत बनाकर रखनी चाहिए. यह केवल वकालत के लिए नहीं बल्कि पूरे समाज के लिए जरूरी है.

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वकीलों को जजों की चाटुकारिता नहीं करनी चाहिए
जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा कि वकीलों को जजों की चाटुकारिता नहीं करनी चाहिए. इससे पूरी न्याय व्यवस्था भ्रष्ट हो जाती है. जिससे इमानदारी से न्याय नहीं हो पाता. जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा कि बार काउंसिल की अनुशासन समिति कोई काम नहीं कर रही है. जब सभी को पता है कि कुछ जज और कुछ वकील गलत काम कर रहे हैं तो बार काउंसिल के पास इनके खिलाफ सनद रद्द करने जैसे बड़े अधिकार हैं, लेकिन इसके बाद भी देश भर में जजों के खिलाफ या वकीलों के खिलाफ कार्रवाई होते नजर नहीं आ रही है.


इमारत का भूमि पूजन हुआ
इस मौके पर सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अरुण मिश्रा जस्टिस माणिकराव खानविलकर और मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस सेठ ने बार काउंसिल की इमारत का भूमि पूजन किया. यह बहुमंजिला इमारत 40 करोड़ की लागत से बन रही है. जस्टिस अरुण मिश्रा ने बार कांउसिल को सलाह दी है कि यह बहुत प्रभावी संस्था है और पूरी न्याय व्यवस्था को सुधार सकती है.

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Intro:चुप रहने तक की फीस मांगने लगे हैं वकील जस्टिस अरुण मिश्रा बार काउंसिल है नहीं कर रही अनुशासनात्मक कार्यवाही इसलिए वकालत और ज्यूडिशियल में बढ़ा है भ्रष्टाचार जस्टिस अरुण मिश्रा ने जबलपुर में कहा


Body:जबलपुर मध्य प्रदेश बार काउंसिल के 50 वर्ष पूरे होने पर स्वर्ण जयंती कार्यक्रम का आयोजन किया गया है इस कार्यक्रम में अतिथि के रूप में सुप्रीम कोर्ट के न्यायधीश अरुण मिश्रा और जस्टिस माणिकराव खानविलकर जबलपुर पहुंचे इस मौके पर सुप्रीम कोर्ट के जज अरुण मिश्रा ने वकालत वकील कानून और बार कौंसिल को आईना दिखाने बाला ऐतिहासिक भाषण दिया और वकालत में कई सुधार करने के सुझाव दिए

वकीलों की फीस पर बोले जस्टिस अरुण मिश्रा
जस्टिस अरुण मिश्रा का कहना है बार कौंसिल को वकीलों की फीस के निर्धारण को लेकर काम करना चाहिए क्योंकि आम और गरीब आदमी वकीलों की फीस को लेकर बहुत परेशान है जस्टिस अरुण मिश्रा का कहना है वकील अब फीस के मामले में हद करने लगे हैं उन्होंने वकीलों की फीस के कुछ हिस्सों के बारे में कहा केस फाइल करना ऐसी करवाना गवाही करवाना इन सब मामलों में तो फीस ली ही जाती है वकील घंटों के हिसाब से फीस लेने लगे हैं जस्टिस अरुण मिश्रा का कहना है कि हद तो यहां तक हो गई है कि वकील बोलने की तो बोलने की चुप रहने तक की फीस लेने लगे जस्टिस अरुण मिश्रा ने वकीलों से और बाहर काउंसिल से इस मामले में काम करने की अपील की है

न्यायपालिका आम आदमी की अंतिम आशा होती है
जस्टिस अरुण मिश्रा का कहना है कि आज भी सभी जगह से परेशान आदमी यह कहता है कि मैं तुझे कोर्ट में देख लूंगा मतलब आम आदमी का अब भी न्याय व्यवस्था पर पूरा भरोसा है लेकिन कुछ वकीलों की वजह से आम आदमी का या भरोसा कमजोर हो रहा है इसलिए वकीलों को हमेशा इमानदारी और सच्चाई के साथ काम करना चाहिए जस्टिस अरुण मिश्रा का कहना है कि जैसे वकील होंगे वैसे ही जज होंगे जस्टिस अरुण मिश्रा ने वकीलों को लोकतंत्र का सैनिक बताया उनका कहना है आम आदमी की रक्षा के लिए जिस तरीके से सेना लड़ती है उसी तरह से आम आदमी के अधिकारों के लिए वकील लड़ते हैं लेकिन वकीलों को अपनी इज्जत बनाकर रखनी चाहिए यह केवल वकालत के लिए नहीं बल्कि पूरे समाज के लिए जरूरी है नए वकीलों से जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा यह मेहनत करें ज्ञान अर्जित करें सामान्य जीवन यापन करें

वकीलों को जजों की चाटुकारिता नहीं करनी चाहिए
जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा कि वकीलों को जजों की चाटुकारिता नहीं करनी चाहिए इससे पूरी न्याय व्यवस्था भ्रष्ट हो जाती है और इमानदारी से न्याय नहीं हो पाता जस्टिस अरुण मिश्रा का कहना है कि वकीलों को शालीनता से कम दिखावा पसंद जीवन जीना चाहिए क्योंकि वर्तमान में वकीलों की छवि धनाढ्य वर्ग के रूप में होने लगी है इससे आम आदमी न्याय से दूर होता जा रहा है

बार काउंसिल नहीं करती अनुशासनात्मक कार्यवाही
जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा बार काउंसिल की अनुशासन समिति कोई काम नहीं कर रही हैं जब सभी को पता है कि कुछ जज और कुछ वकील गलत काम कर रहे हैं तो बार काउंसिल के पास इनके खिलाफ सनद रद्द करने जैसे बड़े अधिकार हैं लेकिन इसके बाद भी देश भर की बार काउंसिल ओं में कहीं जजों के खिलाफ या वकीलों के खिलाफ कार्यवाही होते नजर नहीं आ रही है उन्होंने कहां किया बार कौंसिल की नाकामी है


Conclusion:इस मौके पर सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अरुण मिश्रा जस्टिस माणिकराव खानविलकर और मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस सेठ ने बार काउंसिल की इमारत का भूमि पूजन किया यह बहुमंजिला इमारत 40 करोड़ की लागत से बन रही है जस्टिस अरुण मिश्रा ने बार कौंसिल को सलाह दी है कि यह बहुत प्रभावी संस्था है और पूरी न्याय व्यवस्था को सुधार सकती है
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