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कोरोना संकट में संजीवनी बनी एंबुलेंस! जानें, क्या है जबलपुर में इनकी स्थिति?

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Published : Jun 1, 2021, 10:52 PM IST

कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में जबलपुर शहर के एंबुलेंस चालकों ने बिना संक्रमण से डरे काम किया है और यह साबित किया है कि वह वाकई में प्रथम दर्जे के कोरोना वॉरियर हैं. जबलपुर में डायल 108 सहित सरकारी और निजी एंबुलेंस मिलाकर कुल 200 से ज्यादा एंबुलेंस का संचालन होता है.

Sanjeevani became ambulance
संजीवनी बनी एंबुलें

जबलपुर। कोरोना संक्रमण के दौर में एंबुलेंस चालकों ने अपनी बड़ी भूमिका निभाई है. कोरोना की दूसरी लहर में जब संक्रमित मरीजों में ऑक्सीजन की कमी आने लगी तो उस वक्त में इन एंबुलेंस चालकों ने समय पर मरीजो और उनके परिजनों को अस्पताल पहुंचाकर उनकी परेशानी को दूर किया है, साथ ही कई लोगों की जिंदगी बचाई है.

संजीवनी बनी एंबुलें
  • जबलपुर में 200 से ज्यादा एंबुलेंस

कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में जबलपुर शहर के एंबुलेंस चालकों ने बिना संक्रमण से डरे काम किया है और यह साबित किया है कि वह वाकई में प्रथम दर्जे के कोरोना वॉरियर हैं. जबलपुर में डायल 108 सहित सरकारी और निजी एंबुलेंस मिलाकर कुल 200 से ज्यादा एंबुलेंस का संचालन होता है. यह सभी एंबुलेंस कोरोना संक्रमित व्यक्तियों के लिए जीवनदायिनी वाहन बनकर सामने आईं हैं. मरीज की खबर मिलते ही यह तुरंत मौके पर पहुंचते हैं और मरीज को समय पर अस्पताल पहुंचाते हैं.

  • कई बार समय पर नहीं पहुंच पाती एंबुलेंस

हालांकि, इस साल कोरोना संक्रमण के दौर में जिले में सरकारी और निजी मिलाकर करीब 200 से ज्यादा एंबुलेंस सड़कों पर दौड़ रही हैं. बावजूद इसके कई मरीज ऐसे भी थे जिन्हें एंबुलेंस सेवा के लिए काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा है. मरीजों के परिजनों द्वारा कई बार संपर्क करने के बाद भी 108 एंबुलेंस नहीं आ सकी है.

  • क्या कहते हैं स्थानीय लोग

जबलपुर में एंबुलेंस सेवा की स्थिति पर स्थानीय निवासी विष्णु विनोदिया बताते हैं कि जिले में एंबुलेंस की कमी हैं. प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग का यह दावा पूरी तरह से फेल है कि वह हर मरीज के लिए एंबुलेंस उपलब्ध कराते हैं. उन्होंने बताया कि बार-बार फोन लगाने के बाद भी एंबुलेंस नहीं आती. 104 को काल करो तो फोन को लाइन में डाल दिया जाता है, परिजन परेशान होते रहते है मजबूरन निजी वाहन की व्यवस्था कर मरीज को अस्पताल ले जाया जाता है.

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  • निजी एंबुलेंस के लिए सरकारी रेट तय

कोरोना संक्रमण में किसी भी मरीज को एंबुलेंस आसानी से मिल सके इसके लिए जिला प्रशासन ने नई गाइडलाइंन जारी की हैं. जिसमें निजी एंबुलेंस के लिए रेट तय किए गए हैं. जिला प्रशासन ने 20 किलोमीटर के लिए 250 रुपए तय किए हैं, जिसको लेकर एंबुलेंस संचालकों ने कहा है कि यह रेट बहुत कम है. 20 किलोमीटर का अगर 250 रुपए ही मिलेंगे तो उसमें 150 रुपए का पेट्रोल लग जाएगा और उनके लिए कुछ नहीं बच पाएगा. वहीं, एंबुलेंस की उपलब्धता को लेकर जबलपुर कलेक्टर कर्मवीर शर्मा का कहना है कि जिले में कहीं से भी एंबुलेंस की कमी नहीं है. सरकारी हो या निजी हर तरह की एंबुलेंस मरीजों को समय पर अस्पताल पहुंचाने के लिए उपलब्ध रहती हैं.

जबलपुर जिले में क्या है एंबुलेंस की स्थिति?

  • 108 एंबुलेंस की संख्या- 18
  • जननी एंबुलेंस की संख्या- 12
  • जिला अस्पताल के पास एंबुलेंस की संख्या- 02
  • मेडिकल कॉलेज के पास एंबुलेंस की संख्या-03
  • निजी एंबुलेंस की संख्या-200


कितने प्रकार के हैं एंबुलेंस-
बेसिक एंबुलेंस (basic ambulance), एडवांस लाइफ सपोर्ट एंबुलेंस (advanced life support ambulance),

advanced life support ambulance में वेंटिलेटर, ऑक्सीजन सुविधा, टेक्नीशियन समेत वह तमाम सुविधाएं होती हैं जो कि आईसीयू वार्ड में मरीज को दी जाती है. जबलपुर में इस तरह के करीब 5-6 एंबुलेंस हैं जो कि पूरी तरह से मेडिकल उपकरणों से लैस रहती हैं.

जबलपुर। कोरोना संक्रमण के दौर में एंबुलेंस चालकों ने अपनी बड़ी भूमिका निभाई है. कोरोना की दूसरी लहर में जब संक्रमित मरीजों में ऑक्सीजन की कमी आने लगी तो उस वक्त में इन एंबुलेंस चालकों ने समय पर मरीजो और उनके परिजनों को अस्पताल पहुंचाकर उनकी परेशानी को दूर किया है, साथ ही कई लोगों की जिंदगी बचाई है.

संजीवनी बनी एंबुलें
  • जबलपुर में 200 से ज्यादा एंबुलेंस

कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में जबलपुर शहर के एंबुलेंस चालकों ने बिना संक्रमण से डरे काम किया है और यह साबित किया है कि वह वाकई में प्रथम दर्जे के कोरोना वॉरियर हैं. जबलपुर में डायल 108 सहित सरकारी और निजी एंबुलेंस मिलाकर कुल 200 से ज्यादा एंबुलेंस का संचालन होता है. यह सभी एंबुलेंस कोरोना संक्रमित व्यक्तियों के लिए जीवनदायिनी वाहन बनकर सामने आईं हैं. मरीज की खबर मिलते ही यह तुरंत मौके पर पहुंचते हैं और मरीज को समय पर अस्पताल पहुंचाते हैं.

  • कई बार समय पर नहीं पहुंच पाती एंबुलेंस

हालांकि, इस साल कोरोना संक्रमण के दौर में जिले में सरकारी और निजी मिलाकर करीब 200 से ज्यादा एंबुलेंस सड़कों पर दौड़ रही हैं. बावजूद इसके कई मरीज ऐसे भी थे जिन्हें एंबुलेंस सेवा के लिए काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा है. मरीजों के परिजनों द्वारा कई बार संपर्क करने के बाद भी 108 एंबुलेंस नहीं आ सकी है.

  • क्या कहते हैं स्थानीय लोग

जबलपुर में एंबुलेंस सेवा की स्थिति पर स्थानीय निवासी विष्णु विनोदिया बताते हैं कि जिले में एंबुलेंस की कमी हैं. प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग का यह दावा पूरी तरह से फेल है कि वह हर मरीज के लिए एंबुलेंस उपलब्ध कराते हैं. उन्होंने बताया कि बार-बार फोन लगाने के बाद भी एंबुलेंस नहीं आती. 104 को काल करो तो फोन को लाइन में डाल दिया जाता है, परिजन परेशान होते रहते है मजबूरन निजी वाहन की व्यवस्था कर मरीज को अस्पताल ले जाया जाता है.

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  • निजी एंबुलेंस के लिए सरकारी रेट तय

कोरोना संक्रमण में किसी भी मरीज को एंबुलेंस आसानी से मिल सके इसके लिए जिला प्रशासन ने नई गाइडलाइंन जारी की हैं. जिसमें निजी एंबुलेंस के लिए रेट तय किए गए हैं. जिला प्रशासन ने 20 किलोमीटर के लिए 250 रुपए तय किए हैं, जिसको लेकर एंबुलेंस संचालकों ने कहा है कि यह रेट बहुत कम है. 20 किलोमीटर का अगर 250 रुपए ही मिलेंगे तो उसमें 150 रुपए का पेट्रोल लग जाएगा और उनके लिए कुछ नहीं बच पाएगा. वहीं, एंबुलेंस की उपलब्धता को लेकर जबलपुर कलेक्टर कर्मवीर शर्मा का कहना है कि जिले में कहीं से भी एंबुलेंस की कमी नहीं है. सरकारी हो या निजी हर तरह की एंबुलेंस मरीजों को समय पर अस्पताल पहुंचाने के लिए उपलब्ध रहती हैं.

जबलपुर जिले में क्या है एंबुलेंस की स्थिति?

  • 108 एंबुलेंस की संख्या- 18
  • जननी एंबुलेंस की संख्या- 12
  • जिला अस्पताल के पास एंबुलेंस की संख्या- 02
  • मेडिकल कॉलेज के पास एंबुलेंस की संख्या-03
  • निजी एंबुलेंस की संख्या-200


कितने प्रकार के हैं एंबुलेंस-
बेसिक एंबुलेंस (basic ambulance), एडवांस लाइफ सपोर्ट एंबुलेंस (advanced life support ambulance),

advanced life support ambulance में वेंटिलेटर, ऑक्सीजन सुविधा, टेक्नीशियन समेत वह तमाम सुविधाएं होती हैं जो कि आईसीयू वार्ड में मरीज को दी जाती है. जबलपुर में इस तरह के करीब 5-6 एंबुलेंस हैं जो कि पूरी तरह से मेडिकल उपकरणों से लैस रहती हैं.

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