जबलपुर। बच्चों में आमतौर पर टीके लगने के बाद डिप्थीरिया नाम की बीमारी होने के चांस न के बराबर होते हैं, लेकिन पड़ोसी राज्यों में अधिक उम्र के बच्चों के इस गंभीर बीमारी से पीड़ित होने के मामले सामने आने के बाद स्वास्थ्य विभाग अलर्ट मोड पर है. क्योंकि इस बीमारी के बाद रिकवरी न के बराबर होती है. इसलिए बचपन में जिन बच्चों को डिप्थीरिया का टीका लग चुका है. उन्हें अब एक बार फिर टीका लगाने की तैयारी की जा रही है.
टीडी टिटनेस व डिप्थीरिया वैक्सीन लगेगी : इसके अंतर्गत 5 वर्ष 10 वर्ष और 16 वर्ष के बच्चों को टीडी टिटनेस - डिप्थीरिया वैक्सीन लगाई जाएगी. सामान्य तौर पर बच्चों को 5 वर्ष की उम्र तक 11 टीके लगाए जाते हैं. कब, कौन सा टीका लगना है, यह भी तय होता है. गलघोंटू के बचाव का टीका डेढ़ वर्ष, ढाई वर्ष और साढ़े तीन वर्ष की उम्र में लगता है. पड़ोसी राज्यों में जो मामले सामने आए हैं, उनमें पीड़ित 10 वर्ष या इससे अधिक उम्र के बच्चे हैं. इसलिए 10 वर्ष के साथ 16 वर्ष के किशोर - किशोरियों को टीका लगाया जाएगा. जानकारी के अनुसार 5 वर्ष की उम्र के बच्चों को आँगनबाड़ी स्तर पर, तो 10 वर्ष और 16 वर्ष के बच्चों को स्कूल स्तर पर टीके लगाए जाएँगे.
स्वास्थ्य मंत्रालय का बड़ा फैसला- अब 9 की जगह 6 महीने बाद ही लगवा सकते हैं बूस्टर डोज
टीकाकरण अधिकारी ने दिए निर्देश : कितने बच्चे टीकाकरण के लिए पात्र हैं. इसकी जानकारी जुटाने के निर्देश जिला टीकाकरण विभाग द्वारा जारी किए गए हैं. अभियान की शुरूआत अगले माह 16 अगस्त से शुरू होगी और नियमित टीकाकरण के दस्तक अभियान के साथ 31 अगस्त को पूरा होगा. जिसमे जबलपुर जिले में करीब एक लाख 16 हजार बच्चों को टीकाकरण होना है. एसएस दहिया, जिला टीकाकरण अधिकारी का कहना है कि डिप्थीरिया से पीड़ित बच्चों के गले में एक झिल्ली बन जाती है, जिससे साँस लेने में तकलीफ होने लगती है. इसलिए इसे गलघोंटू कहा जाता है. (Alert about diphtheria disease of children) (1 lakh 16 thousand vaccinate in Jabalpur)