जबलपुर। मौसमी बीमारियों (seasonal diseases) के साथ डेंगू (dengue) ने जिले में कहर बरपाना शुरू कर दिया है. डेंगू (dengue) से पीड़ित मरीजों (Patient) की बढ़ती संख्या का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि एक बेड (Bad) पर दो से तीन मरीजों (patient) का इलाज चल रहा है. बेड की कमी के कारण कुछ मरीजों को तो जमीन पर ही लिटाना पड़ रहा है.
डेंगू और वायरल बुखार का कहर
वायरल फीवर (viral Fever) के साथ साथ डेंगू (dengue) हर आयु वर्ग के लोगों को अपनी चपेट में ले रहा है. बात जबलपुर (jabalpur) की करें तो यहां हजारों मरीज वायरल फीवर (viral fever) की चपेट में आ चुके हैं, जबकि डेंगू पीड़ित मरीजों (dengue patient) की संख्या 500 के ऊपर है. लेकिन सरकारी आंकड़ों (Govt Record) में मात्र 333 मरीज ही अब तक डेंगू पॉजिटिव पाए गए हैं.जिला अस्पताल की तस्वीरों में बच्चा वार्ड की हालत देखी जा सकती है. एक बेड पर 2 से 3 बच्चे तक दाखिल किए गए हैं. 24 बेड की व्यवस्था वाले बच्चा वार्ड में 55 से 60 बच्चे एडमिट किए गए हैं, फिर भी जगह कम पड़ रही है. यह हाल तो सिर्फ जिला अस्पताल का है. निजी और अन्य बड़े सरकारी अस्पतालों में भी हालात भयावह हो गई हैं.
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124 मरीज 18 वर्ष तक की उम्र के
सरकारी आंकड़ों (Govt Record) पर नजर दौड़ाए तो अब तक जिले में 124 मरीज 18 वर्ष तक की उम्र के डेंगू संक्रमित (Dengue positive) हो चुके हैं. वही संक्रामक बीमारियों से पीड़ित बच्चे (children) रोजाना 100 की संख्या में सामने आ रहे हैं. मौसम की बेरुखी के चलते हो रही कम बारिश (Rain) भी इसकी एक बड़ी वजह मानी जा रही है. चिकित्सक (Doctor) कहते हैं कि इस बार औसत से कम बारिश के चलते नमी बढ़ी हुई है.यही वजह है कि संक्रामक बीमारियां पैर पसार रही हैं. स्वास्थ्य महकमा नगर निगम के साथ मिलकर जन जागरूकता और लारवा विनिष्टिकरण के काम में जुटा है, लेकिन फिर भी मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है. सबसे ज्यादा परेशानी मासूम बच्चों के साथ देखी जा रही है.
देर से जागा प्रशासन
गरीब परिजन मासूम बच्चों के लिए ब्लड (blood) और प्लेटलेट (platelet) की व्यवस्था में जूझ रहे हैं. विशेष तौर पर बच्चों में प्लेटलेट्स लगातार गिर रही है और वायरल फीवर (Viral fever) के चलते उनकी हालत नाजुक बनी हुई है. संक्रामक बीमारियों का प्रकोप कोई नया नहीं है, बल्कि हर साल कुछ ऐसे ही हालात सामने आते हैं. लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि सरकारी तैयारियां स्थिति भयावह होने पर ही क्यों धरातल पर उतरती है. समय रहते अगर लारवा को नष्ट करने का काम किया जाए तो शायद हालात बेहतर हो, लेकिन डेंगू के मामले बढ़ने पर ही महकमा अलर्ट होता है और अब तमाम दावे करता नजर आ रहा है.