जबलपुर। हर साल ना जाने किसने लोग खून की कमी के कारण अपनी जान गंवा देते हैं, लेकिन अगर हमारी आबादी का एक हिस्सा भी रक्तदान करता है तो कई अनमोल जिंदगियों को बचाया जा सकता है. रक्तदान को महादान कहा जाता है, इस महादान में शहर के आयुष दीवान का भी अहम योगदान है. आयुष महज 24 साल के हैं और अब तक करीब 55 बार रक्तदान कर चुके हैं जो इनकी उम्र को देखते हुए बहुत ज्यादा है.
आयुष 28 बार रक्तदान कर चुके हैं और 27 बार एचडीपी मतलब प्लेटलेट्स दे चुके हैं. प्लेटलेट्स की जरूरत ज्यादातर डेंगू का इलाज करने वाले लोगों को पड़ती है. आयुष का कहना है की पहली बार उन्होंने रक्तदान 16 साल की उम्र में किया था, वे शारीरिक तौर पर मजबूत थे. इसलिए डॉक्टरों ने उन्हें अनुमति दे दी थी. तब से यह सिलसिला शुरू हुआ जो निरंतर चला आ रहा है.
आयुष का कहना है कि उनका लक्ष्य है कि जब तक जब तक वे 60 साल की उम्र में पहुंचे तब तक वे 200 से ज्यादा बार भी रक्तदान करना चाहते हैं. आयुष का कहना है कि जहां से भी जब भी उन्हें किसी ने खून दान करने के लिए बुलाया बिना सोचे समझे चले जाते हैं और उन्हें कोई शारीरिक कमजोरी कभी नहीं हुई. आयुष का कहना है उन्हें इस बात में खुशी मिलती है कि उनकी वजह से कोई स्वस्थ हो गया या फिर किसी की जान बच गई.