जबलपुर। WHO की एक रिपोर्ट के अनुसार, साल 2016 में भारत में दुनिया में सबसे ज्यादा बच्चों ने जानें गंवाई थी. जिसमें करीब एक लाख बच्चे शामिल है. जिनकी मौत कारण कुछ और नहीं, बल्कि वायु प्रदूषण था. हवा में बढ़ते जहर के कारण गर्भ में पल रहे बच्चों की समस्याएं बढ़ती जा रही हैं. इसी के चलते मां की कोख में पल रहे कई बच्चे दुनिया देखने से पहले ही मौत के मुंह में समा रहे हैं. हालात ये है कि अकेले जबलपुर संभाग के सबसे बड़े एल्गिन अस्पताल में बीते 14 माह के भीतर 236 बच्चों ने जन्म लेने से पहले ही दम तोड़ दिया है. वहीं डॉक्टर गर्भ में बच्चों की मौते के पीछे का कई कारण बताते है.
कई महिला हाई रिस्क प्रेगनेंसी की शिकार
एल्गिन अस्पताल में पदस्थ डॉक्टर संजय मिश्रा बताते है कि गर्भ में शिशु की हो रही मौते प्रसूता के लिए भी जानलेवा बन जाती है. बच्चों की असमय मौत संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने वाली योजनाओं पर सवाल खड़े कर रही है. वहीं बच्चों की गर्भ में मौत हो जाने से कई महिला हाई रिस्क प्रेगनेंसी का शिकार हो रही है, जिनकी संख्या लगातार बढ़ती जा रही है.
चार साल में 885 बच्चों ने गर्भ में तोड़ा दम
डॉक्टर संजय मिश्रा ने कहा कि 236 बच्चों में से 180 बच्चे ऐसे रहे हैं, जिनकी गर्भ में ही मौत हो चुकी थी, वहीं 56 बच्चे प्रसव संबंध जटिलता का शिकार हुए हैं. जबलपुर संभाग के सबसे बड़े एल्गिन अस्पताल में बीते चार साल के दौरान करीब 885 बच्चों ने गर्भ में ही दम तोड़ दिया है.
कुछ आंकड़े-
- साल 2016-17 में 229 बच्चों ने जन्म से पहले तोड़ा दम.
- 2017-18 में 197 बच्चे दुनिया नहीं देख पाए.
- 2018-19 में 214 बच्चों की कोख में ही सांसे टूट गई.
- 2019-20 में 212 बच्चे जन्म लेने से पहले ही मौत के मुंह में समा गए.
- 2020-2021 (1 मई तक) 33 बच्चों की जन्म से पहले मृत्यु हो गई.
एक कारणः हवा में घुलता जहर
सभी जगह लगातार प्रदूषण बढ़ता जा रहा है, ये प्रदूषण कई बीमारियों को जन्म देती है. ऐसे में डॉक्टर संजय मिश्रा का कहना है कि गर्भस्थ शिशु की मौत हवा में घुलते प्रदूषण के जहर के कारण भी हो रही है. प्रदूषण की वजह से गर्भस्थ शिशु की रोग प्रतिरोधक क्षमता प्रभावित होती है, जिसका सबसे बड़ा कारण है कि गर्भवती मां में ब्लड प्रेशर, डायबिटीज की बीमारी, पोषण आहार की कमी हो जाती है. जिसके चलते कोख में ही बच्चे की मौत हो जाती है.
पोषण आहार की कमी
जबलपुर के एल्गिन अस्पताल में अप्रैल 2019 से मई 2020 तक 14 माह में गर्भ में हुई शिशुओं की मौत के लिए पोषण आहार की कमी, बीमारी व प्रदूषण को मुख्य वजह माना जा रहा है. इसी अवधि के दौरान गर्भस्थ शिशुओं की मौत के साथ ही 5 प्रसूताओं की भी प्रसव संबंधित जटिलता के कारण असमय मौत हो गई थी. कुछ माह पहले एक प्रसूता की मौत को लेकर एल्गिन अस्पताल के चिकित्सक और कर्मचारियों की लापरवाही भी सामने आई थी, जिसे लेकर स्वास्थ्य आयुक्त ने अपनी नाराजगी भी जाहिर की थी.