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बिल्डर की साइट पर काम करते वक्त झुलसा 10 साल का लड़का, एसपी ने दिए जांच के आदेश - मासूम बुरी तरह झुलसा

जबलपुर के ग्वारीघाट थाना क्षेत्र के नर्मदा नगर में 15 दिन पहले हुई एक घटना पर एसपी ने आज जांच के आदेश दिए हैं. जानकारी के मुताबिक घटना एक बिल्डर की साइट की है जहां काम कर रहा एक 10 साल का लड़का हाईटेंशन लाइन से झुलस गया इस दर्दनाक घटना का वीडियो भी सामने आया है, जिसमें लड़का तड़पता हुआ दिख रहा है.

boy got scorched due to current
करंट की चपेट में आने से मासूम झूलस गया
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Published : Sep 29, 2020, 2:06 PM IST

जबलपुर। बालश्रम (child labour) जैसे गंभीर अपराध को रोकने के लिए भले ही सरकार ने कानून बनाया हुआ है, बावजूद इसके बाल मजदूरी जारी है. ऐसा ही एक मामला जबलपुर के ग्वारीघाट थाना क्षेत्र के नर्मदा नगर में बिल्डर द्वारा बनाई जा रही बिल्डिंग से जुड़ा हुआ है. जहां 10 साल का मासूम 11 हजार केवी लाइन की चपेट में आने से बुरी तरह झुलस गया. जिसे तुरंत जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया. जहां उसका इलाज चल रहा है. घटना को 15 दिन बीत जाने के बाद भी पुलिस ने अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की. हालांकि अब एसपी सिद्धार्थ बहुगुणा ने मामले में जांच के आदेश दिए हैं.

करंट की चपेट में आने से मासूम झूलस गया

बिल्डिंग निर्माण के दौरान हुआ हादसा

जानकारी के मुताबिक ग्वारीघाट थाना क्षेत्र नर्मदा नगर में बिल्डर दिलीप हर्जानी द्वारा कंस्ट्रक्शन कर बिल्डिंग तैयार की जा रही थी. जहां बिल्डिंग निर्माण में मजदूर लगे हुए थे. वहीं बिल्डर द्वारा बच्चों से भी काम कराया जा रहा था, जिसके चलते बड़ी दुर्घटना बिल्डिंग में घटित हो गई. अपने दस साल के बच्चे के साथ आई सुमित्रा बाई साइट में रहकर ही मजदूरी का काम कर रही थी. इस दौरान बिल्डिंग निर्माण कार्य में बच्चा भी मां के साथ के साथ काम कर रहा था. जिस वक्त हादसा हुआ उस दौरान पीड़ित तीसरी मंजिल की छत पर काम कर रहा था. काम करने के दौरान ही बिल्डिंग से मात्र 6 इंच की दूरी से गुजर रही 11 हजार केवी की तार के चपेट में आ जाने से मासूम को करंट का झटका लगा और मासूम के शरीर में आग लग गई, जिसके चलते मासूम बुरी तरह से झुलस गया. आसपास काम कर रहे मजदूरों व उसकी मां तत्काल बच्चे को अस्पताल लेकर पहुंचे, जहां बच्चा जिंदगी और मौत के बीच की लड़ाई लड़ रहा है.

15 दिन तक नहीं हुई कोई कार्रवाई

ग्वारीघाट थाना क्षेत्र में इतनी बड़ी घटना हो जाने के बाद भी पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की. साथ ही बिल्डर दिलीप हर्जानी के मामले को दबाने की कोशिश कर रहा है.

MPEB ने कैसे दे दी परमिशन
गौर करने वाली बात ये है कि एमपीईबी (मध्य प्रदेश पश्चिम क्षेत्र के विद्युत वितरण कंपनी) के मापदंडों के अनुसार 11 हजार केवी की बिजिली लाइन के 17 फीट की दूरी तक किसी भी प्रकार का निर्माणा कार्य वर्जित है. अगर कोई ऐसा करता पाया जाता है तो उसके ऊपर कार्रवाई की जाती है, लेकिन दिलीप हर्जानी बिल्डर पर एमपीईबी बिल्डर पर कैसे मेहरबान हो गई, जो महज 10 इंच की दूरी पर ही निर्माण कर बिल्डिंग बना दी गई. बालश्रम और मासूम के साथ हुए हादसे का आखिर जिम्मेदार कौन है.

पीड़ित मां ने मदद की लगाई न्याय की गुहार
जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहे मासूम की मां ने शासन से न्याय की गुहार लगाई है. गरीबी के कारण खाने तक के लिए पैसे नहीं हैं. पीड़ित की मां सुमित्रा बाई ने बताया कि काम के दौरान बच्चा करंट की चपेट में आकर बुरी तरह झुलस गया. जिसे प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराया था, लेकिन 4 दिन बाद बिल्डर दिलीप द्वारा बच्चे को यह कहकर मेडिकल अस्पताल में भर्ती करा दिया कि सरकारी अस्पताल में इलाज अच्छा होता है. जहां पिछले 15 दिनों से बच्चा अस्पताल में भर्ती है. बावजूद इसके बिल्डर दिलीप द्वारा अपना पल्ला झाड़ते हुए बच्चे और उसके परिजनों को उनके हाल पर छोड़ दिया है.

जबलपुर। बालश्रम (child labour) जैसे गंभीर अपराध को रोकने के लिए भले ही सरकार ने कानून बनाया हुआ है, बावजूद इसके बाल मजदूरी जारी है. ऐसा ही एक मामला जबलपुर के ग्वारीघाट थाना क्षेत्र के नर्मदा नगर में बिल्डर द्वारा बनाई जा रही बिल्डिंग से जुड़ा हुआ है. जहां 10 साल का मासूम 11 हजार केवी लाइन की चपेट में आने से बुरी तरह झुलस गया. जिसे तुरंत जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया. जहां उसका इलाज चल रहा है. घटना को 15 दिन बीत जाने के बाद भी पुलिस ने अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की. हालांकि अब एसपी सिद्धार्थ बहुगुणा ने मामले में जांच के आदेश दिए हैं.

करंट की चपेट में आने से मासूम झूलस गया

बिल्डिंग निर्माण के दौरान हुआ हादसा

जानकारी के मुताबिक ग्वारीघाट थाना क्षेत्र नर्मदा नगर में बिल्डर दिलीप हर्जानी द्वारा कंस्ट्रक्शन कर बिल्डिंग तैयार की जा रही थी. जहां बिल्डिंग निर्माण में मजदूर लगे हुए थे. वहीं बिल्डर द्वारा बच्चों से भी काम कराया जा रहा था, जिसके चलते बड़ी दुर्घटना बिल्डिंग में घटित हो गई. अपने दस साल के बच्चे के साथ आई सुमित्रा बाई साइट में रहकर ही मजदूरी का काम कर रही थी. इस दौरान बिल्डिंग निर्माण कार्य में बच्चा भी मां के साथ के साथ काम कर रहा था. जिस वक्त हादसा हुआ उस दौरान पीड़ित तीसरी मंजिल की छत पर काम कर रहा था. काम करने के दौरान ही बिल्डिंग से मात्र 6 इंच की दूरी से गुजर रही 11 हजार केवी की तार के चपेट में आ जाने से मासूम को करंट का झटका लगा और मासूम के शरीर में आग लग गई, जिसके चलते मासूम बुरी तरह से झुलस गया. आसपास काम कर रहे मजदूरों व उसकी मां तत्काल बच्चे को अस्पताल लेकर पहुंचे, जहां बच्चा जिंदगी और मौत के बीच की लड़ाई लड़ रहा है.

15 दिन तक नहीं हुई कोई कार्रवाई

ग्वारीघाट थाना क्षेत्र में इतनी बड़ी घटना हो जाने के बाद भी पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की. साथ ही बिल्डर दिलीप हर्जानी के मामले को दबाने की कोशिश कर रहा है.

MPEB ने कैसे दे दी परमिशन
गौर करने वाली बात ये है कि एमपीईबी (मध्य प्रदेश पश्चिम क्षेत्र के विद्युत वितरण कंपनी) के मापदंडों के अनुसार 11 हजार केवी की बिजिली लाइन के 17 फीट की दूरी तक किसी भी प्रकार का निर्माणा कार्य वर्जित है. अगर कोई ऐसा करता पाया जाता है तो उसके ऊपर कार्रवाई की जाती है, लेकिन दिलीप हर्जानी बिल्डर पर एमपीईबी बिल्डर पर कैसे मेहरबान हो गई, जो महज 10 इंच की दूरी पर ही निर्माण कर बिल्डिंग बना दी गई. बालश्रम और मासूम के साथ हुए हादसे का आखिर जिम्मेदार कौन है.

पीड़ित मां ने मदद की लगाई न्याय की गुहार
जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहे मासूम की मां ने शासन से न्याय की गुहार लगाई है. गरीबी के कारण खाने तक के लिए पैसे नहीं हैं. पीड़ित की मां सुमित्रा बाई ने बताया कि काम के दौरान बच्चा करंट की चपेट में आकर बुरी तरह झुलस गया. जिसे प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराया था, लेकिन 4 दिन बाद बिल्डर दिलीप द्वारा बच्चे को यह कहकर मेडिकल अस्पताल में भर्ती करा दिया कि सरकारी अस्पताल में इलाज अच्छा होता है. जहां पिछले 15 दिनों से बच्चा अस्पताल में भर्ती है. बावजूद इसके बिल्डर दिलीप द्वारा अपना पल्ला झाड़ते हुए बच्चे और उसके परिजनों को उनके हाल पर छोड़ दिया है.

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