जबलपुर । आदेश देने के बाद भी उसे चैलेंज करने के एक मामले में हाई कोर्ट ने नाराजगी जताई है. हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ तथा जस्टिस पी के कौरव की युगलपीठ ने याचिकाकर्ता अधिवक्ता पर एक लाख रुपये की कॉस्ट लगाई है. युगलपीठ ने बार काउसिंल को व्यावसासिक कदाचरण की जांच करने का भी आदेश दिया है. टीकमगढ़ के टैक्स अधिवक्ता निर्मल लोहिया ने एकलपीठ द्वारा पारित आदेश को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में अपील दायर की थी.
टैरिफ से संबंधित अपील की : अपील में कहा गया था कि विद्युत नियामक आयोग द्वारा विद्युत वितरण कंपनियों की तरफ से टैरिफ संबंधित अपील को वापस करते हुए नई अपील दायर करने के संबंध में निर्देश जारी किए गए हैं. विद्युत अधिनियम की धारा 64 3 के अनुसार विद्युत नियामक आयोग को सुनवाई के बाद को अपील को स्वीकार करेगा या अपील निरस्त करने का अधिकार है. आयोग को केवल निष्पक्षता से निर्णय लेने का अधिकार है, जबकि उन्होंने टैरिफ संबंधित दायर अपील को वापस कर दिया.
एकलपीठ ने याचिका खारिज की : इसके खिलाफ उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. एकलपीठ ने याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि टैरिफ अपील की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने अपनी आपत्ति प्रस्तुत कर दी है. एकलपीठ ने अपने आदेश में निर्देश जारी किये थे कि याचिकाकर्ता की आपत्ति पर विचार करते हुए अंतिम निर्णय लिया जाए. उक्त आदेश के प्रति के साथ याचिकाकर्ता ने नियामक आयोग को पत्र लिखा था. नियामक आयोग को पत्र लिखने के बावजूद याचिकाकर्ता ने उसी आदेश के खिलाफ अपील दायर कर दी. (01 lakh lakh fine on lawyer)