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विश्व के सबसे बड़े फ्लोटिंग सोलर प्रोजेक्ट से 2023 तक मिलेगी बिजली

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Published : Jan 5, 2021, 6:37 AM IST

ओमकारेश्वर में विश्व का सबसे बड़ा फ्लोटिंग सोलर प्रोजेक्ट आकार ले रहा है. उम्मीद की जा रही है कि 2022- 23 तक इस प्रोजेक्ट से बिजली मिलने लगेगी. प्रोजेक्ट से सस्ती और गुणवत्तापूर्ण बिजली मिलने लगेगी.

Floating solar project
फ्लोटिंग सोलर प्रोजेक्ट

इंदौर। मध्यप्रदेश के ओमकारेश्वर में विश्व का सबसे बड़ा फ्लोटिंग सोलर प्रोजेक्ट आकार ले रहा है. यह फ्लोटिंग सोलर प्रोजेक्ट नर्मदा नदी पर ओंकारेश्वर बांध पर बनने जा रहा है. छह सौ मेगावॉट वाले इस प्रोजेक्ट में अनुमानित निवेश 3 हजार करोड़ रूपये है. इंटरनेशनल फाइनेंस कार्पोरेशन, वर्ल्ड बैंक और पॉवर ग्रिड ने परियोजना विकास में सहयोग के लिये सैद्धांतिक सहमति दे दी है.

परियोजना की फिजिबिलिटी रिपोर्ट भी वर्ल्ड बैंक की सहायता से तैयार की गई है. उम्मीद की जा रही है कि 2022- 23 तक इस प्रोजेक्ट से बिजली मिलने लगेगी. नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा मंत्री हरदीप सिंह डंग के मुताबिक इसी माह पॉवर ग्रिड द्वारा परियोजना क्षेत्र से खंडवा सब-स्टेशन तक ट्रांसमिशन लाईन रूट सर्वे का कार्य शुरू किया जायेगा. परियोजना क्षेत्र के पर्यावरण और सामाजिक प्रभाव संबंधी अध्ययन के लिये भी निविदा जारी की जा रही है. मध्यप्रदेश पॉवर मेनेजमेंट कंपनी द्वारा परियोजना से 400 मेगावॉट विद्युत क्रय किये जाने के लिये सहमति दी जा चुकी है.

परियोजना में ओंकारेश्वर बांध के बैकवॉटर में 600 मेगावॉट बिजली उत्पादन क्षमता के फ्लोटिंग सोलर पैनल तैरेंगे. अनुमान है कि 2 साल में प्रोजेक्ट से सस्ती और गुणवत्तापूर्ण बिजली मिलने लगेगी. बांध के लगभग 2 हजार हेक्टेयर जल क्षेत्र में सोलर पैनल लगाकार बिजली का उत्पादन होगा. सोलर पैनल जलाशय में पानी की सतह पर तैरते रहेंगे. बांध का जलस्तर कम-ज्यादा होने पर यह स्वत: ही ऊपर-नीचे एडजस्ट होते रहेंगे. तेज लहरों और बाढ़ का इन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. सूर्य की किरणों से निरंतर बिजली का उत्पादन मिलता रहेगा.

इंदौर। मध्यप्रदेश के ओमकारेश्वर में विश्व का सबसे बड़ा फ्लोटिंग सोलर प्रोजेक्ट आकार ले रहा है. यह फ्लोटिंग सोलर प्रोजेक्ट नर्मदा नदी पर ओंकारेश्वर बांध पर बनने जा रहा है. छह सौ मेगावॉट वाले इस प्रोजेक्ट में अनुमानित निवेश 3 हजार करोड़ रूपये है. इंटरनेशनल फाइनेंस कार्पोरेशन, वर्ल्ड बैंक और पॉवर ग्रिड ने परियोजना विकास में सहयोग के लिये सैद्धांतिक सहमति दे दी है.

परियोजना की फिजिबिलिटी रिपोर्ट भी वर्ल्ड बैंक की सहायता से तैयार की गई है. उम्मीद की जा रही है कि 2022- 23 तक इस प्रोजेक्ट से बिजली मिलने लगेगी. नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा मंत्री हरदीप सिंह डंग के मुताबिक इसी माह पॉवर ग्रिड द्वारा परियोजना क्षेत्र से खंडवा सब-स्टेशन तक ट्रांसमिशन लाईन रूट सर्वे का कार्य शुरू किया जायेगा. परियोजना क्षेत्र के पर्यावरण और सामाजिक प्रभाव संबंधी अध्ययन के लिये भी निविदा जारी की जा रही है. मध्यप्रदेश पॉवर मेनेजमेंट कंपनी द्वारा परियोजना से 400 मेगावॉट विद्युत क्रय किये जाने के लिये सहमति दी जा चुकी है.

परियोजना में ओंकारेश्वर बांध के बैकवॉटर में 600 मेगावॉट बिजली उत्पादन क्षमता के फ्लोटिंग सोलर पैनल तैरेंगे. अनुमान है कि 2 साल में प्रोजेक्ट से सस्ती और गुणवत्तापूर्ण बिजली मिलने लगेगी. बांध के लगभग 2 हजार हेक्टेयर जल क्षेत्र में सोलर पैनल लगाकार बिजली का उत्पादन होगा. सोलर पैनल जलाशय में पानी की सतह पर तैरते रहेंगे. बांध का जलस्तर कम-ज्यादा होने पर यह स्वत: ही ऊपर-नीचे एडजस्ट होते रहेंगे. तेज लहरों और बाढ़ का इन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. सूर्य की किरणों से निरंतर बिजली का उत्पादन मिलता रहेगा.

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