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IIT Indore में मलेरिया और COVID-19 के प्रभावों पर दुनिया का पहला शोध

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Published : May 13, 2021, 5:47 PM IST

Updated : May 13, 2021, 6:54 PM IST

आईआईटी इंदौर (IIT Indore) ने प्लास्मोडियम फाल्सीपेरम (मलेरिया) और SARS-CoV-2 सह-संक्रमण के संभावित प्रभावों पर एक अध्ययन किया है.

iit indore
आईआईटी इंदौर

इंदौर। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान आईआईटी इंदौर (IIT Indore) ने प्लास्मोडियम फाल्सीपेरम (मलेरिया) और SARS-CoV-2 सह-संक्रमण के संभावित प्रभावों पर एक अध्ययन किया है. यह अध्ययन आईआईटी इंदौर में इंफेक्शन बायोइन्जिनियरिंग (infection bioengineering) ग्रुप के प्रमुख डॉ. हेम चंद्र झा ने अपने शोध (Research) छात्रों ओमकार इंदारी और बुद्धदेव बराल के साथ ही केआईएमएस ओडिशा के प्रोफेसर निर्मल कुमार मोहाकुड की टीम के साथ मिलकर किया है.

मलेरिया और कोरोना का यह है पहला सह अध्ययन
मलेरिया परजीवी और COVID-19 पैदा करने वाले वायरस (Virus) के दोहरे संक्रमण (Infection) के कारण घातक न्यूरोलॉजिकल (Neurological) प्रभावों को संबोधित करने वाला यह पहला अध्ययन है. COVID-19 ने पूरी दुनिया को प्रभावित किया है, जिसमें मलेरिया का प्रसार होने वाले क्षेत्र भी है. मलेरिया और COVID-19 में बुखार, शरीर में दर्द, मतली, सांस लेने में कठिनाई आदि जैसे कई अतिव्यापी लक्षण हैं. महामारी (Pandemic) के इस कठिन समय के दौरान इस तरह के लक्षण दिखाने वाले रोगियों का इलाज SARS-CoV-2 वायरस के अत्यधिक संचार की संभावना को ध्यान में रखकर किया जाता है. इसके कारण मलेरिया जैसे अन्य संक्रमणों की उपस्थिति में लापरवाही का सामना करना पड़ सकता है.

मलेरिया और कोरोना एक साथ होते हैं घातक
वर्तमान अध्ययन में इस तरह के संयोग की गंभीरता पर चर्चा की गई है. परजीवी और वायरस की जोड़ी के खिलाफ मरीज के प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया का अतिरेक हेमेटोलॉजिकल (Hematological) और जैव रासायनिक रिपोर्टों के संदर्भ में देखा गया है. अध्ययन ने दिखाया है कि सह-संक्रमित हालत में बहुत कम समय में स्वास्थ्य की स्थिति बिगड़ सकती है. इसके अलावा असामान्य न्यूरोलॉजिकल लक्षणों के विकास को देखा गया, जिसने जानलेवा प्रभाव दिखाया. शरीर में महत्वपूर्ण रूप से वायरल संक्रमण मलेरिया परजीवी संक्रमित कोशिकाओं को रक्त केशिकाओं के रूप में ज्ञात छोटी रक्त वाहिकाओं में जमा होने की स्थिति विकसित कर सकता है. यह मस्तिष्क की कोशिकाओं में मस्तिष्क संबंधी मलेरिया जैसे कि स्थितियों और न्यूरोलॉजिकल (Neurological) लक्षणों जैसे कि परिवर्तित चेतना (कोमा) आदि को विकसित कर सकता है, जो घातक हो सकता है.

ब्लड कैंसर से लड़ने के लिए आईआईटी इंदौर ने तैयार की दवा

उपचार के मामले में व्यापक रूप से उपयोग किए जाने वाले कॉर्टिकोस्टेरॉइड-डेक्सामेथासोन ने पहले गंभीर कोविड-19 के खिलाफ प्रभावी होना दिखाया गया है, लेकिन मस्तिष्क मलेरिया के खिलाफ निंदनीय है. अध्ययन ने कोविड-19 और मलेरिया की सह-संक्रमित स्थिति के गंभीर मामले में इस चिकित्सा के उपयोग को टालने की सलाह दी है. अध्ययन ने यह भी निष्कर्ष निकाला है कि COVID-19 और संबंधित संयोगों को संबोधित करने के लिए अधिक शोध की आवश्यकता है. इसके अलावा मलेरिया स्थानिक क्षेत्रों में संदिग्ध कोविड-19 रोगियों को हमेशा मलेरिया के लिए परीक्षण करना चाहिए.

इंदौर। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान आईआईटी इंदौर (IIT Indore) ने प्लास्मोडियम फाल्सीपेरम (मलेरिया) और SARS-CoV-2 सह-संक्रमण के संभावित प्रभावों पर एक अध्ययन किया है. यह अध्ययन आईआईटी इंदौर में इंफेक्शन बायोइन्जिनियरिंग (infection bioengineering) ग्रुप के प्रमुख डॉ. हेम चंद्र झा ने अपने शोध (Research) छात्रों ओमकार इंदारी और बुद्धदेव बराल के साथ ही केआईएमएस ओडिशा के प्रोफेसर निर्मल कुमार मोहाकुड की टीम के साथ मिलकर किया है.

मलेरिया और कोरोना का यह है पहला सह अध्ययन
मलेरिया परजीवी और COVID-19 पैदा करने वाले वायरस (Virus) के दोहरे संक्रमण (Infection) के कारण घातक न्यूरोलॉजिकल (Neurological) प्रभावों को संबोधित करने वाला यह पहला अध्ययन है. COVID-19 ने पूरी दुनिया को प्रभावित किया है, जिसमें मलेरिया का प्रसार होने वाले क्षेत्र भी है. मलेरिया और COVID-19 में बुखार, शरीर में दर्द, मतली, सांस लेने में कठिनाई आदि जैसे कई अतिव्यापी लक्षण हैं. महामारी (Pandemic) के इस कठिन समय के दौरान इस तरह के लक्षण दिखाने वाले रोगियों का इलाज SARS-CoV-2 वायरस के अत्यधिक संचार की संभावना को ध्यान में रखकर किया जाता है. इसके कारण मलेरिया जैसे अन्य संक्रमणों की उपस्थिति में लापरवाही का सामना करना पड़ सकता है.

मलेरिया और कोरोना एक साथ होते हैं घातक
वर्तमान अध्ययन में इस तरह के संयोग की गंभीरता पर चर्चा की गई है. परजीवी और वायरस की जोड़ी के खिलाफ मरीज के प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया का अतिरेक हेमेटोलॉजिकल (Hematological) और जैव रासायनिक रिपोर्टों के संदर्भ में देखा गया है. अध्ययन ने दिखाया है कि सह-संक्रमित हालत में बहुत कम समय में स्वास्थ्य की स्थिति बिगड़ सकती है. इसके अलावा असामान्य न्यूरोलॉजिकल लक्षणों के विकास को देखा गया, जिसने जानलेवा प्रभाव दिखाया. शरीर में महत्वपूर्ण रूप से वायरल संक्रमण मलेरिया परजीवी संक्रमित कोशिकाओं को रक्त केशिकाओं के रूप में ज्ञात छोटी रक्त वाहिकाओं में जमा होने की स्थिति विकसित कर सकता है. यह मस्तिष्क की कोशिकाओं में मस्तिष्क संबंधी मलेरिया जैसे कि स्थितियों और न्यूरोलॉजिकल (Neurological) लक्षणों जैसे कि परिवर्तित चेतना (कोमा) आदि को विकसित कर सकता है, जो घातक हो सकता है.

ब्लड कैंसर से लड़ने के लिए आईआईटी इंदौर ने तैयार की दवा

उपचार के मामले में व्यापक रूप से उपयोग किए जाने वाले कॉर्टिकोस्टेरॉइड-डेक्सामेथासोन ने पहले गंभीर कोविड-19 के खिलाफ प्रभावी होना दिखाया गया है, लेकिन मस्तिष्क मलेरिया के खिलाफ निंदनीय है. अध्ययन ने कोविड-19 और मलेरिया की सह-संक्रमित स्थिति के गंभीर मामले में इस चिकित्सा के उपयोग को टालने की सलाह दी है. अध्ययन ने यह भी निष्कर्ष निकाला है कि COVID-19 और संबंधित संयोगों को संबोधित करने के लिए अधिक शोध की आवश्यकता है. इसके अलावा मलेरिया स्थानिक क्षेत्रों में संदिग्ध कोविड-19 रोगियों को हमेशा मलेरिया के लिए परीक्षण करना चाहिए.

Last Updated : May 13, 2021, 6:54 PM IST
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