इंदौर। मध्यप्रदेश में कुलपति (Vice Chancellor) के पदनाम को परिवर्तन करने की प्रक्रिया पर विश्वविद्यालयों (Universities) के कुलपतियों ने सहमति जताई है, आने वाले दिनों में कुलपति का नाम परिवर्तित कर कुलगुरू कर दिया जाएगा. बीते दिनों उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव ने कुलपति (Vice Chancellor) का नाम परिवर्तित कर कुलगुरू (Kulguru) करने की बात कही थी. उन्होंने कहा था कि कुलपति का नाम परिवर्तित कर कुलगुरू रखा जाएगा, जिसकी प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. आने वाले दिनों में मुख्यमंत्री और विधानसभा में सहमति मिलने के बाद इसे लागू किया जाएगा.
संस्कृति से जुड़ा है कुलगुरू शब्द
कुलपति (Vice Chancellor) का पद नाम परिवर्तित कर कुलगुरू (Kulguru) करने को लेकर देवी अहिल्या विश्वविद्यालय (Devi Ahilya University) की कुलपति डॉक्टर रेणु जैन का कहना है कि कुलगुरू शब्द हमारी संस्कृति को दर्शाता है, कुलगुरू किए जाने को लेकर सभी कुलपतियों ने सहमति जताई है. वह भी कुलपति का पदनाम बदलकर कुलगुरू करने का समर्थन करती हैं. उनका कहना है कि कुलगुरू का संबोधन एक अच्छा संबोधन होता है, जब कोई कुलगुरू के नाम से संबोधित करता है तो ऐसा लगता है कि गुरू का सम्मान किया जा रहा है.
महिला कुलपतियों के लिए सम्माननीय शब्द है कुलगुरू
कुलपति (Vice Chancellor) पद नाम को परिवर्तित कर कुलगुरू (Kulguru) किए जाने को लेकर डॉक्टर रंजन का कहना है कि कुल गुरू शब्द एक सम्माननीय शब्द है, वर्तमान में प्रदेश के कई विश्वविद्यालयों (Universities) में महिला कुलपति हैं, कुल गुरू शब्द महिलाओं के सम्मान को प्रदर्शित करता है, जबकि कुलपति शब्द पुरुष को आभाषित कराता है, ऐसे में कुलगुरू किए जाने को लेकर सभी ने समर्थन किया है. अगर पद नाम परिवर्तित कर कुलगुरू किया जाता है तो महिलाओं को भी सम्मान का एहसास होगा.
नाम परिवर्तन के साथ प्रोटोकॉल पर भी दिए सुझाव
देवी अहिल्या विश्वविद्यालय (Devi Ahilya University) की कुलपति (Vice Chancellor) डॉ रेणु जैन का कहना है कि कुलपति पद नाम परिवर्तन किया जाना अच्छा निर्णय है, कुलगुरू (Kulguru) शब्द हमारी संस्कृति को दर्शाता है, जिसका सभी ने समर्थन किया है. पद नाम परिवर्तित करने के साथ ही कुलपति के प्रोटोकॉल को लेकर भी सुझाव उन्होंने सुझाव दिया है, जैन का कहना है कि पहले कुलपति का प्रोटोकॉल काफी ऊंचा होता था, जो वर्तमान में कम हो गया है. जिसमें संशोधन की आवश्यकता है, पदनाम के साथ प्रोटोकॉल में भी संशोधन किया जाना चाहिए.