इंदौर। केंद्र सरकार ने आरोग्य सेतु एप से आखिरकार ई फार्मेसी कंपनियों के प्रमोशन को हटा दिया है. इतना ही नहीं केंद्र सरकार ने इस मामले पर दिल्ली हाईकोर्ट में दाखिल की गई याचिका की सुनवाई में स्वीकारा है कि आरोग्य सेतु एप में ई फार्मा कंपनियों को दर्शाने वाले ऐप को भी हटा दिया गया है.
दरअसल, ऑल इंडिया ऑर्गेनाइजेशन ऑफ केमिस्ट्स एंड ड्रगिस्ट्स की दिल्ली इकाई ने आरोग्य सेतु एप पर फार्मा कंपनियों के प्रमोशन के खिलाफ कोर्ट में याचिका लगाई थी. जिसमें हाइकोर्ट से अपील की गई थी कि आरोग्य सेतु के साथ वेबसाइट आरोग्य सेतु मित्र डॉट ई-फार्मेसियों के लिए के व्यापार के लिए एक साधन के रूप में प्रचार और सहयोग का कार्य कर रहा है. जो ई-फार्मेसियों कानून के तहत अवैध हैं और पूर्व में दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश के बावजूद ये अपना काम करना जारी रखें हुए हैं.
याचिका में कोर्ट से यह भी अपील की गई थी कि आरोग्य सेतु या इसके सामान किसी भी भ्रामक नाम का उपयोग गलत तरीके से चुनी गई संस्थाओं के वाणिज्यिक हितों को प्रायोजित करने के लिए गलत उपयोग नहीं किया जा सकता है. लिहाजा ई-प्रमोशन वाली वेबसाइट को तत्काल बंद कर दिया जाए. इसके बाद 29 मई को वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से हुई सुनवाई में, केंद्र सरकार के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल मनिंदर आचार्य ने स्वीकार किया कि केंद्र सरकार ने अब आरोग्य सेतु मोबाइल एप्लिकेशन से वेबसाइट आरोग्य सेतु मित्र डॉट इन को डी-लिंक कर दिया है. वहीं याचिका लगने के बाद कोर्ट ने पूछा कि वेबसाइट पर ई-फार्मेसियों की लिस्टिंग की अनुमति कैसे दी, जबकि दिल्ली उच्च न्यायालय की डिवीजन बेंच ने बिना लाइसेंस के दवाओं की ऑनलाइन बिक्री को रोक दिया था. न्यायालय ने यह भी कहा कि केंद्र सरकार उच्च न्यायालय के आदेश के उल्लंघन में कार्य कर रही है.
इस दौरान हाईकोर्ट ने आरोग्य सेतु पर ई-फार्मेसियों की सूची के लिए सभी मापदंड भी नोट किए. सुनवाई के दौरान संस्था ने जो तथ्य प्रस्तुत किए हैं, उनके मुताबिक भारत में कानूनन ई-फार्मेसियों कंपनियां दवाओं की बिक्री के प्रमोशन और उसकी बिक्री के लिए उनके पास कोई लाइसेंस नहीं है. ज्ञात हो कि किसी भी दवा को बेचने, प्रदर्शित करने या वितरित करने का लाइसेंस उसी परिसर को दिया जाता है, जहां से फार्मेसी संचालित हो सकती है. इसके अलावा सरकार ने किसी भी ई-फार्मेसियों को संचालित करने की अनुमति नहीं दी है, इसलिए आरोग्य सेतु एप पर दवा कंपनियों की लिस्टिंग गलत और अवैध है.