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स्टांप की कालाबाजारी से बढ़ रहा कारोबार, प्रशासन का नहीं खौफ - harinarayan chari mishra

इंदौर में रोजाना छोटे-बड़े स्टांप की जरूरत बड़े पैमाने पर लगती है. जिस वजह से स्टांप की कालाबाजारी भी बड़े पैमाने पर होती है. जरूरत के मुताबिक स्टांप को गायब कर ज्यादा दामों में बेचा जाता हैं और इन कालाबाजारी करनें वालों में प्रशासन का भी खौंफ नहीं है.

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कालाबाजारी कर ज्यादा दामों बेचे जाते हैं स्टांप.
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Published : Mar 1, 2021, 3:39 PM IST

Updated : Mar 1, 2021, 6:34 PM IST

इंदौर। मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर में लोग कई तरह के स्टांप का उपयोग करते हैं. स्टांप की बिक्री के साथ शहर में स्टांप की जमकर कालाबाजारी भी होती है. ज्यादा पैसे कमाने के लालच में लोग स्टांप को गायब कर देते हैं और फिर उचित दामों में जरूरतमंद लोगों को बेच देते हैं. कई बार स्टांप को गायब करने कि सूचना अधिकारियों तक पहुंचती है तो कार्रवाई भी की जाती है. वहीं शासन ने भी स्टांप को लेकर कई तरह की गाइडलाइन जारी की है, लेकिन उसके बाद भी कालाबाजारी करने वाले स्टांप को शहर से गायब कर ही देते हैं.

इंदौर में प्रॉपर्टी से लेकर कई तरह के सामान को खरीदने के साथ किराए से लेने के लिए भी स्टांप का प्रयोग बड़ी संख्या में किया जाता है. पूरे प्रदेश की बात की जाए तो स्टांप की कालाबाजारी रोकने के लिए प्रदेश सरकार के साथ ही कई एजेंसियों ने विभिन्न तरह की योजना बनाई है. लेकिन कालाबाजारी करने वाले आंखों में धूल झोंककर स्टांप गायब कर ही देते हैं.

स्टांप की कालाबाजारी
कम किमत के स्टांप कालाबाजारी का कारण सौ रुपये से ज्यादा के स्टांप साल 2015 से ही बंद हैं. छोटे स्टांप बाजार में नहीं आने से छोटे स्टांप विक्रेता को नुकसान हो रहा है. जिस वजह से स्टांप की कालाबाजारी भी बढ़ रही है. स्टांप विक्रेता की मानें तो सरकार को इस पर कमीशन देना चाहिए. जिससे कि विक्रेताओं को कुछ फायदा हो सके. अभी स्टांप विक्रेताओं को एक रुपए 65 पैसे के हिसाब से स्टांप पर कमीशन मिलता है. अगर किसी स्टांप विक्रेता ने दिन भर में दस स्टांप बेचे तो मात्र उसे 16 रुपये की कमाई होती है. वहीं जब सौं रुपये से ज्यादा का स्टांप बाजार में उपलब्ध थे तो स्टांप वेंडरों की कमाई करीब बीस हजार के पार हो जाती थी. वहीं इंदौर शहर में करीब 400 से ज्यादा स्टांप वेंडर और 450 से ज्यादा सर्विस प्रोवाइडर मौजूद है. वहीं कुछ वेंडरों ने कमाई नहीं होने के कारण अपने लाइसेंस सरेंडर कर दिए हैं.बाजार में मौजूद है यह स्टाम्पशहर में सौ रुपये ,बीस रुपये और पचास रुपये के स्टांप उपलब्ध हैं. इन स्टांप का उपयोग भी अलग अलग तरह से होता है. कई लोग मैनुअल स्टांप खरीदने के बाद इनका उपयोग मकान, दुकान किराए के एग्रीमेंट बनाने में करते हैं, जिसमें अधिकतर छोटे स्टांप का उपयोग किया जाता हैं. जो कालाबाजारी का कारण है. क्योकि सभी कामों के अलग-अलग स्टांप होता है. जिसमें स्टांप वेंडर कई तरह से स्टांप को बेचने में कालाबाजारी कर देते हैं.


प्रॉपर्टी की खरीदी के लिए ई स्टाम्प का होता है उपयोग
इंदौर शहर में प्रॉपर्टी के दाम काफी बढ़े रहते हैं. बड़ी प्रॉपर्टी या बड़े सौदों में अधिकतर ई स्टांप का ही उपयोग किया जाता है. इस तरह के मामलों में कालाबाजारी की संभावना काफी कम होती है. क्योंकि सौदा करने के समय व्यक्ति को राजस्व अधिकारी के पास मौजूद होना पड़ता है और ई-स्टॉम्प एक कोड के जरिए मिलता है. जिसके बाद कई तरह से हस्ताक्षर करने के बाद व्यक्ति को पैसे चुकाने होते हैं. इस प्रोसेस के कारण अधिकतर प्रॉपर्टी के सौदे में ई स्टांप का ही चलन है.

कोषालय से जारी होते है मैन्युअल स्टाम्प
स्टांप वेंडरों का कहना है कि अगर शहर में स्टांप की कमी आती है तो इसकी शिकायत संबंधित अधिकारी से की जा सकती है और उस कमी को दूर भी किया जा सकता है. वहीं जितने भी स्टांप कोषालय से निकलते हैं उसका पूरा रिकॉर्ड संबंधित अधिकारियों के पास रहता है. जिससें कालाबाजारी पर रोक भी लगाई जा सकती है. स्टांप के कोषालय से निकलने के बाद कालाबाजारी की संभावनाए भी बढ़ जाती है. जिसे ध्यान में रखते हुए समय-समय पर राजस्व अधिकारियों द्वारा वेंडरों का निरीक्षण भी किया जाता है.


समय-समय पर पुलिस और अन्य विभाग करते है करवाई
स्टांप की कालाबाजारी की सूचना जब पुलिस अधिकारियों के साथ ही संबंधित विभाग को लगती है. पुलिस विभाग के साथ संयुक्त अभियान चलाया जाता है. जिन जगहों पर इस तरह की वारदातें होती है. वहां पर स्टाम्पों को जब्त कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाती है. पुलिस के अनुसार स्टांप के फर्जीवाड़े से राजस्व की हानि होती है. इसलिए जब्त स्टांप की लैब में फॉरेंसिक जांच भी करवाई जाती है. अगर उसमें किसी तरह की लापरवाही या फर्जीवाड़ा निकलता है तो संबंधित व्यक्ति के खिलाफ गंभीर धाराओं में मामला भी दर्ज किया जाता है.


जिस तरह से इंदौर शहर में संपत्तियों की खरीदी-बिक्री की जाती है. उस वजह से बड़ी संख्या में स्टांप की भी जरूरत लगती है. कई लोग रोजाना अलग-अलग प्रकार के एग्रीमेंट भी बनाते हैं जिसमें अधिकतर छोटे स्टाम्प की जरूरत रहते है. इन सभी कारणों से स्टांप की खरीदी बिक्री का दौर लगातार जारी रहता है. जिस कारण शहर में स्टांप की कालाबाजारी भी लगातार ही होती है. कालाबाजारी को रोकने के लिए प्रशासन ने भी कई तरह की गाइडलाइन बनाई है, लेकिन कालाबाजारी करने वालों में प्रशानसन का कोई खौंफ नहीं हैं.

इंदौर। मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर में लोग कई तरह के स्टांप का उपयोग करते हैं. स्टांप की बिक्री के साथ शहर में स्टांप की जमकर कालाबाजारी भी होती है. ज्यादा पैसे कमाने के लालच में लोग स्टांप को गायब कर देते हैं और फिर उचित दामों में जरूरतमंद लोगों को बेच देते हैं. कई बार स्टांप को गायब करने कि सूचना अधिकारियों तक पहुंचती है तो कार्रवाई भी की जाती है. वहीं शासन ने भी स्टांप को लेकर कई तरह की गाइडलाइन जारी की है, लेकिन उसके बाद भी कालाबाजारी करने वाले स्टांप को शहर से गायब कर ही देते हैं.

इंदौर में प्रॉपर्टी से लेकर कई तरह के सामान को खरीदने के साथ किराए से लेने के लिए भी स्टांप का प्रयोग बड़ी संख्या में किया जाता है. पूरे प्रदेश की बात की जाए तो स्टांप की कालाबाजारी रोकने के लिए प्रदेश सरकार के साथ ही कई एजेंसियों ने विभिन्न तरह की योजना बनाई है. लेकिन कालाबाजारी करने वाले आंखों में धूल झोंककर स्टांप गायब कर ही देते हैं.

स्टांप की कालाबाजारी
कम किमत के स्टांप कालाबाजारी का कारण सौ रुपये से ज्यादा के स्टांप साल 2015 से ही बंद हैं. छोटे स्टांप बाजार में नहीं आने से छोटे स्टांप विक्रेता को नुकसान हो रहा है. जिस वजह से स्टांप की कालाबाजारी भी बढ़ रही है. स्टांप विक्रेता की मानें तो सरकार को इस पर कमीशन देना चाहिए. जिससे कि विक्रेताओं को कुछ फायदा हो सके. अभी स्टांप विक्रेताओं को एक रुपए 65 पैसे के हिसाब से स्टांप पर कमीशन मिलता है. अगर किसी स्टांप विक्रेता ने दिन भर में दस स्टांप बेचे तो मात्र उसे 16 रुपये की कमाई होती है. वहीं जब सौं रुपये से ज्यादा का स्टांप बाजार में उपलब्ध थे तो स्टांप वेंडरों की कमाई करीब बीस हजार के पार हो जाती थी. वहीं इंदौर शहर में करीब 400 से ज्यादा स्टांप वेंडर और 450 से ज्यादा सर्विस प्रोवाइडर मौजूद है. वहीं कुछ वेंडरों ने कमाई नहीं होने के कारण अपने लाइसेंस सरेंडर कर दिए हैं.बाजार में मौजूद है यह स्टाम्पशहर में सौ रुपये ,बीस रुपये और पचास रुपये के स्टांप उपलब्ध हैं. इन स्टांप का उपयोग भी अलग अलग तरह से होता है. कई लोग मैनुअल स्टांप खरीदने के बाद इनका उपयोग मकान, दुकान किराए के एग्रीमेंट बनाने में करते हैं, जिसमें अधिकतर छोटे स्टांप का उपयोग किया जाता हैं. जो कालाबाजारी का कारण है. क्योकि सभी कामों के अलग-अलग स्टांप होता है. जिसमें स्टांप वेंडर कई तरह से स्टांप को बेचने में कालाबाजारी कर देते हैं.


प्रॉपर्टी की खरीदी के लिए ई स्टाम्प का होता है उपयोग
इंदौर शहर में प्रॉपर्टी के दाम काफी बढ़े रहते हैं. बड़ी प्रॉपर्टी या बड़े सौदों में अधिकतर ई स्टांप का ही उपयोग किया जाता है. इस तरह के मामलों में कालाबाजारी की संभावना काफी कम होती है. क्योंकि सौदा करने के समय व्यक्ति को राजस्व अधिकारी के पास मौजूद होना पड़ता है और ई-स्टॉम्प एक कोड के जरिए मिलता है. जिसके बाद कई तरह से हस्ताक्षर करने के बाद व्यक्ति को पैसे चुकाने होते हैं. इस प्रोसेस के कारण अधिकतर प्रॉपर्टी के सौदे में ई स्टांप का ही चलन है.

कोषालय से जारी होते है मैन्युअल स्टाम्प
स्टांप वेंडरों का कहना है कि अगर शहर में स्टांप की कमी आती है तो इसकी शिकायत संबंधित अधिकारी से की जा सकती है और उस कमी को दूर भी किया जा सकता है. वहीं जितने भी स्टांप कोषालय से निकलते हैं उसका पूरा रिकॉर्ड संबंधित अधिकारियों के पास रहता है. जिससें कालाबाजारी पर रोक भी लगाई जा सकती है. स्टांप के कोषालय से निकलने के बाद कालाबाजारी की संभावनाए भी बढ़ जाती है. जिसे ध्यान में रखते हुए समय-समय पर राजस्व अधिकारियों द्वारा वेंडरों का निरीक्षण भी किया जाता है.


समय-समय पर पुलिस और अन्य विभाग करते है करवाई
स्टांप की कालाबाजारी की सूचना जब पुलिस अधिकारियों के साथ ही संबंधित विभाग को लगती है. पुलिस विभाग के साथ संयुक्त अभियान चलाया जाता है. जिन जगहों पर इस तरह की वारदातें होती है. वहां पर स्टाम्पों को जब्त कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाती है. पुलिस के अनुसार स्टांप के फर्जीवाड़े से राजस्व की हानि होती है. इसलिए जब्त स्टांप की लैब में फॉरेंसिक जांच भी करवाई जाती है. अगर उसमें किसी तरह की लापरवाही या फर्जीवाड़ा निकलता है तो संबंधित व्यक्ति के खिलाफ गंभीर धाराओं में मामला भी दर्ज किया जाता है.


जिस तरह से इंदौर शहर में संपत्तियों की खरीदी-बिक्री की जाती है. उस वजह से बड़ी संख्या में स्टांप की भी जरूरत लगती है. कई लोग रोजाना अलग-अलग प्रकार के एग्रीमेंट भी बनाते हैं जिसमें अधिकतर छोटे स्टाम्प की जरूरत रहते है. इन सभी कारणों से स्टांप की खरीदी बिक्री का दौर लगातार जारी रहता है. जिस कारण शहर में स्टांप की कालाबाजारी भी लगातार ही होती है. कालाबाजारी को रोकने के लिए प्रशासन ने भी कई तरह की गाइडलाइन बनाई है, लेकिन कालाबाजारी करने वालों में प्रशानसन का कोई खौंफ नहीं हैं.

Last Updated : Mar 1, 2021, 6:34 PM IST
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