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स्कूल फीस मामला: सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को जारी किया नोटिस - इंदौर हाईकोर्ट

निजी स्कूलों द्वारा वसूली जा रही मनमानी ट्यूशन फीस के खिलाफ पालक जागृत संघ ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की थी. कोर्ट ने सुनवाई करते हुए मामले में राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है.

Supreme Court
सुप्रीम कोर्ट
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Published : Feb 16, 2021, 7:20 AM IST

Updated : Feb 16, 2021, 9:25 AM IST

इंदौर। कोरोना महामारी में निजी स्कूलों द्वारा वसूली जा रही मनमानी ट्यूशन फीस के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ने राज्य शासन सीबीएसई बोर्ड, एसोसिएशन ऑफ अन एडेड स्कूल सीबीएसई के साथ आईसीएसई बोर्ड को नोटिस जारी करने के आदेश दिए हैं. मामले में अगली सुनवाई 3 हफ्ते बाद होगी.

चंचल गुप्ता, अधिवक्ता

दरअसल, पिछले दिनों स्कूलों के खिलाफ पालकों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई और मांग की है कि स्कूलों पर अंकुश लगाया जाना चाहिए. स्कूल ट्यूशन फीस को अनुचित बताते हुए जागृत पालक संघ द्वारा उच्च न्यायालय की जबलपुर बैंच में एक जनहित याचिका दायर की गई थी. जिसमें राज्य शासन सीबीएससी बोर्ड, एसोसिएशन ऑफ अनएडेड सीबीएसई स्कूल के साथ आईसीएसई बोर्ड को भी पक्षकार बनाया गया था. इसमें हाईकोर्ट ने फैसला दिया था कि स्कूलों द्वारा ट्यूशन फीस वसूली जा सकती है. इसी के खिलाफ पालकों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की.

सोमवार को हुई सुनवाई में याचिकाकर्ता जागृत पालक संघ के सचिव सचिन माहेश्वरी की ओर से अधिवक्ता मयंक ने पालकों का पक्ष रखते हुए कुछ निजी स्कूलों की फीस की रसीद कोर्ट के सामने पेश की. यह भी बताया कि मध्य प्रदेश के अधिकांश स्कूलों में पूरी फीस ट्यूशन फीस के नाम पर ही ली जाती है. उनमें वह सभी शुल्क जुड़े होते हैं. जो कि कोर्ट व राज्य शासन ने अपने आदेशों में लेना प्रतिबंधित किया है.

बेलेंस सीट को भी देखा

याचिका के साथ ही एक निजी स्कूल की पिछले वर्ष की बैलेंस शीट भी प्रस्तुत की गई. जिसमें वसूली गई ट्यूशन फीस में से लगभग 20% ही शिक्षकों और कर्मचारियों के वेतन में खर्च होना बताया गया. बाकी ट्यूशन फीस के नाम पर वसूली गई राशि का बड़ा हिस्सा मार्केटिंग, यात्रा खर्च वार्षिक उत्सव , स्टॉफ वेलफेयर स्कूल संचालकों की निजी गाड़ियों के संचालकों द्वारा निकाली गई. राशि में खर्च होना बताया गया था. याचिकाकर्ता के तर्कों से सहमत होकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा याचिका को सुनवाई करते हुए राज्य सरकार ,सीबीएसई बोर्ड ,आईसीएसई बोर्ड व अन एडेड निजी सीबीएसई स्कूल एसोसिएशन को नोटिस जारी करने के आदेश पारित किए. जागृति पालक संघ के अध्यक्ष चंचल गुप्ता ने बताया कि याचिका में मांग की गई कि उचित ट्यूशन फीस निर्धारण के लिए जरूरी है कि उच्च न्यायालय की निगरानी में एक कमेटी का गठन किया जाए.

बता दें जागृति पालक संघ की ओर से पहले इंदौर हाई कोर्ट में याचिका लगाई गई थी, लेकिन प्रदेश भर से कई याचिका अलग-अलग की हाईकोर्ट में लगी गई थी. सभी जिलों की याचिका को देखते हुए सभी याचिकाओं पर जबलपुर हाई कोर्ट में सुनवाई चल रही थी. पिछले दिनों जबलपुर कोर्ट ने विभिन्न तरह के आदेश देते हुए याचिका पर फैसला सुना दिया था लेकिन इंदौर की जागृति पालक संघ ने इस पूरे मामले में सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई और सुप्रीम कोर्ट ने पूरे मामले को सुनते हुए राज्य सरकार को नोटिस जारी कर दिए.

इंदौर। कोरोना महामारी में निजी स्कूलों द्वारा वसूली जा रही मनमानी ट्यूशन फीस के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ने राज्य शासन सीबीएसई बोर्ड, एसोसिएशन ऑफ अन एडेड स्कूल सीबीएसई के साथ आईसीएसई बोर्ड को नोटिस जारी करने के आदेश दिए हैं. मामले में अगली सुनवाई 3 हफ्ते बाद होगी.

चंचल गुप्ता, अधिवक्ता

दरअसल, पिछले दिनों स्कूलों के खिलाफ पालकों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई और मांग की है कि स्कूलों पर अंकुश लगाया जाना चाहिए. स्कूल ट्यूशन फीस को अनुचित बताते हुए जागृत पालक संघ द्वारा उच्च न्यायालय की जबलपुर बैंच में एक जनहित याचिका दायर की गई थी. जिसमें राज्य शासन सीबीएससी बोर्ड, एसोसिएशन ऑफ अनएडेड सीबीएसई स्कूल के साथ आईसीएसई बोर्ड को भी पक्षकार बनाया गया था. इसमें हाईकोर्ट ने फैसला दिया था कि स्कूलों द्वारा ट्यूशन फीस वसूली जा सकती है. इसी के खिलाफ पालकों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की.

सोमवार को हुई सुनवाई में याचिकाकर्ता जागृत पालक संघ के सचिव सचिन माहेश्वरी की ओर से अधिवक्ता मयंक ने पालकों का पक्ष रखते हुए कुछ निजी स्कूलों की फीस की रसीद कोर्ट के सामने पेश की. यह भी बताया कि मध्य प्रदेश के अधिकांश स्कूलों में पूरी फीस ट्यूशन फीस के नाम पर ही ली जाती है. उनमें वह सभी शुल्क जुड़े होते हैं. जो कि कोर्ट व राज्य शासन ने अपने आदेशों में लेना प्रतिबंधित किया है.

बेलेंस सीट को भी देखा

याचिका के साथ ही एक निजी स्कूल की पिछले वर्ष की बैलेंस शीट भी प्रस्तुत की गई. जिसमें वसूली गई ट्यूशन फीस में से लगभग 20% ही शिक्षकों और कर्मचारियों के वेतन में खर्च होना बताया गया. बाकी ट्यूशन फीस के नाम पर वसूली गई राशि का बड़ा हिस्सा मार्केटिंग, यात्रा खर्च वार्षिक उत्सव , स्टॉफ वेलफेयर स्कूल संचालकों की निजी गाड़ियों के संचालकों द्वारा निकाली गई. राशि में खर्च होना बताया गया था. याचिकाकर्ता के तर्कों से सहमत होकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा याचिका को सुनवाई करते हुए राज्य सरकार ,सीबीएसई बोर्ड ,आईसीएसई बोर्ड व अन एडेड निजी सीबीएसई स्कूल एसोसिएशन को नोटिस जारी करने के आदेश पारित किए. जागृति पालक संघ के अध्यक्ष चंचल गुप्ता ने बताया कि याचिका में मांग की गई कि उचित ट्यूशन फीस निर्धारण के लिए जरूरी है कि उच्च न्यायालय की निगरानी में एक कमेटी का गठन किया जाए.

बता दें जागृति पालक संघ की ओर से पहले इंदौर हाई कोर्ट में याचिका लगाई गई थी, लेकिन प्रदेश भर से कई याचिका अलग-अलग की हाईकोर्ट में लगी गई थी. सभी जिलों की याचिका को देखते हुए सभी याचिकाओं पर जबलपुर हाई कोर्ट में सुनवाई चल रही थी. पिछले दिनों जबलपुर कोर्ट ने विभिन्न तरह के आदेश देते हुए याचिका पर फैसला सुना दिया था लेकिन इंदौर की जागृति पालक संघ ने इस पूरे मामले में सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई और सुप्रीम कोर्ट ने पूरे मामले को सुनते हुए राज्य सरकार को नोटिस जारी कर दिए.

Last Updated : Feb 16, 2021, 9:25 AM IST
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