इंदौर। कोरोना के हालात सामान्य होने के बाद देवी अहिल्या विश्वविद्यालय (DAVV) हॉस्टलों को खोलने की तैयारी कर रहा है. हॉस्टल को खोलने को लेकर बीते दिनों विश्वविद्यालय में अधिकारियों और हॉस्टल वार्डन की मीटिंग भी आयोजित की गई थी, जिसमें हॉस्टलों के खोले जाने पर चर्चा की गई थी. वहीं अब हॉस्टलों के खोले जाने की प्रक्रिया के बाद विश्वविद्यालय छात्रों की सुविधा के लिए एक बड़ा कदम उठाने जा रहा है.
हॉस्टल में रहने वाले छात्रों का मेडिकल बीमा कराएगा विश्वविद्यालय
देवी अहिल्या विश्वविद्यालय (DAVV) के रजिस्ट्रार डॉ अनिल शर्मा के अनुसार विश्वविद्यालय में हॉस्टल को खोले जाने की तैयारियां की जा रही हैं. राज्य शासन से गाइडलाइन मिलने के बाद हॉस्टलों को छात्रों के लिए खोला जाएगा. वर्तमान में विश्वविद्यालय के विभिन्न हॉस्टलों में करीब ढाई हजार से अधिक छात्रों के रहने की व्यवस्था है, वहीं कोरोना संक्रमण को ध्यान में रखते हुए विश्वविद्यालय हॉस्टल में रहने वाले छात्रों के मेडिक्लेम कराएगा, जिससे संक्रमण की स्थिति पर इलाज के दौरान छात्रों के परिवारजनों पर आर्थिक भार ना पड़े.
हर छात्रों को कराना होगा मेडिकल बीमा
रजिस्ट्रार अनिल शर्मा के अनुसार हॉस्टल में रहने वाले सभी छात्रों को मेडिकल बीमा कराना अनिवार्य होगा, हालांकि जिन छात्रों का पहले से मेडिक्लेम होगा उन्हें अपनी पॉलिसी हॉस्टल पर प्रबंधन को दिखानी होगी. छात्रों के मेडिक्लेम होने पर ही हॉस्टल में उनका प्रवेश सुनिश्चित किया जाएगा. संक्रमित होने पर कई बार परिवार पर आर्थिक बोझ बढ़ता है इसलिए यह कदम उठाया जा रहा है.
मेडिक्लेम की स्थितियां जल्द होगी तय
एक ओर जहां छात्रों के लिए मेडिक्लेम अनिवार्य किया जाएगा, वहीं अब तक यह तय नहीं किया जा सकता है कि यह मेडिक्लेम विश्वविद्यालय द्वारा कराया जाएगा या छात्रों को मेडिक्लेम कराना होगा. हालांकि मामले में रजिस्ट्रार अनिल शर्मा का कहना है कि मेडिक्लेम को लेकर कई बीमा कंपनियों से चर्चा की जा रही है पॉलिसी की राशि के भुगतान छात्रों द्वारा किया जाएगा या विश्वविद्यालय फीस में जोड़कर इसका भुगतान करेगा इसका फैसला जल्द लिया जाएगा.
देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के इस कदम से छात्र और उनके परिजनों को कहीं हद तक सुविधा मिलेगी. विश्वविद्यालय के अधिकारियों के अनुसार मेडिक्लेम की राशि तीन लाख तक तय की जा रही है, जिसके आधार पर प्रीमियम तैयार की जाएगी. अगर किसी स्थिति में कोई छात्र संक्रमित होता है तो उसके इलाज में किसी भी तरह की परेशानियों का सामना छात्र या उसके परिजनों को ना करना पड़े इसके लिए यह कदम उठाया जा रहा है.