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छात्रा ने तैयार किया मॉडल, डस्टबिन से कचरा गिरने पर करेगा अलर्ट - साइंस मॉडल

इंदौर में एक छात्रा ने सार्वजनिक स्थानों को साफ रखने के लिए एक साइंस मॉडल तैयार किया है. यह मॉडल सार्वजनिक स्थानों पर लगे डस्टबिन से कचरा बाहर गिरने या डस्टबिन के पूरा भर जाने पर अलर्ट करता है.

Schoolgirl asma
छात्रा आसमां ने बनाया मॉडल
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Published : Jan 9, 2020, 1:01 PM IST

Updated : Jan 9, 2020, 1:09 PM IST

इंदौर। देश में लगातार तीन बार सबसे स्वच्छ सिटी रहा इंदौर अब चौथी बार भी यह तमगा हासिल करने की कोशिश में है. शहरवासी भी इसके लिए काफी प्रयासरत हैं. ऐसा ही एक प्रयास इंदौर की एक छात्रा आसमां ने किया है. आसमां ने सार्वजनिक स्थानों को साफ रखने के लिए एक ऐसा साइंस मॉडल तैयार किया है, जिसके उपयोग से सार्वजनिक स्थानों पर लगी डस्टबिन भरते ही पता चल जाएगा कि उसे कब खाली करना है.

छात्रा ने शहर को साफ रखने के लिए साइंस मॉडल बनाया

साथ ही यह मॉडल कचरा डस्टबिन से बाहर गिरते ही अलर्ट भी करता है. हाल ही में बाल विनय मंदिर में लगी जिला स्तरीय इंस्पायर्ड प्रदर्शनी से यह मॉडल सुर्खियों में आया. मॉडल की खासियत यह है कि इसमें प्लास्टिक के स्थान पर सीमेंट की डस्टबिन लगाने का सुझाव दिया गया है.

ऐसे काम करता है ये मॉडल

प्रस्तावित मॉडल में डस्टबिन के साथ सेंसर लगे हैं, जिसके जरिए डस्टबिन से बाहर कचरा गिरते ही सायरन बजने लगेगा. ऐसी स्थिति में सायरन तब तक बजता रहेगा जब तक कि बाहर गिरे कचरे को डस्टबिन में नहीं डाला जाएगा.

शहर के विभिन्न सार्वजनिक स्थानों पर लगाई गई प्लास्टिक की डस्टबिन को फिलहाल नगर निगम की कचरा गाड़ियां खाली करती हैं, लेकिन कई बार कचरा डालते समय डस्टबिन से कचरा बाहर फैल जाता है. इसके अलावा कई बार डस्टबिन क्रमिक रूप से खाली भी नहीं हो पाती.

इस व्यवहारिक परेशानी के कारण आसमां ने अपनी सहयोगी वैशाली सोनी के साथ मिलकर एक ये अनूठा साइंस मॉडल तैयार किया है, जिसे अमल में लाने पर शहर की तमाम कचरा पेटियां ना केवल क्रमिक रूप से खाली हो सकेंगी, बल्कि साफ भी रह सकेंगी.

इंदौर। देश में लगातार तीन बार सबसे स्वच्छ सिटी रहा इंदौर अब चौथी बार भी यह तमगा हासिल करने की कोशिश में है. शहरवासी भी इसके लिए काफी प्रयासरत हैं. ऐसा ही एक प्रयास इंदौर की एक छात्रा आसमां ने किया है. आसमां ने सार्वजनिक स्थानों को साफ रखने के लिए एक ऐसा साइंस मॉडल तैयार किया है, जिसके उपयोग से सार्वजनिक स्थानों पर लगी डस्टबिन भरते ही पता चल जाएगा कि उसे कब खाली करना है.

छात्रा ने शहर को साफ रखने के लिए साइंस मॉडल बनाया

साथ ही यह मॉडल कचरा डस्टबिन से बाहर गिरते ही अलर्ट भी करता है. हाल ही में बाल विनय मंदिर में लगी जिला स्तरीय इंस्पायर्ड प्रदर्शनी से यह मॉडल सुर्खियों में आया. मॉडल की खासियत यह है कि इसमें प्लास्टिक के स्थान पर सीमेंट की डस्टबिन लगाने का सुझाव दिया गया है.

ऐसे काम करता है ये मॉडल

प्रस्तावित मॉडल में डस्टबिन के साथ सेंसर लगे हैं, जिसके जरिए डस्टबिन से बाहर कचरा गिरते ही सायरन बजने लगेगा. ऐसी स्थिति में सायरन तब तक बजता रहेगा जब तक कि बाहर गिरे कचरे को डस्टबिन में नहीं डाला जाएगा.

शहर के विभिन्न सार्वजनिक स्थानों पर लगाई गई प्लास्टिक की डस्टबिन को फिलहाल नगर निगम की कचरा गाड़ियां खाली करती हैं, लेकिन कई बार कचरा डालते समय डस्टबिन से कचरा बाहर फैल जाता है. इसके अलावा कई बार डस्टबिन क्रमिक रूप से खाली भी नहीं हो पाती.

इस व्यवहारिक परेशानी के कारण आसमां ने अपनी सहयोगी वैशाली सोनी के साथ मिलकर एक ये अनूठा साइंस मॉडल तैयार किया है, जिसे अमल में लाने पर शहर की तमाम कचरा पेटियां ना केवल क्रमिक रूप से खाली हो सकेंगी, बल्कि साफ भी रह सकेंगी.

Intro:इंदौर को चौथी बार देश की सबसे स्वच्छ सिटी बनाने को लेकर शहर के हर नागरिक की ख्वाहिश है यही वजह है कि इंदौर की एक छात्रा आसमा सीहोर वाला ने अब सार्वजनिक स्थानों पर लगी डस्टबिन को साफ रखने के लिए एक ऐसा साइंस मॉडल तैयार किया है जिसके उपयोग से डस्टबिन भरते ही पता चल जाएगा कि उसे कब खाली करना है


Body:गौरतलब है इंदौर नगर निगम द्वारा शहर के विभिन्न सार्वजनिक स्थानों पर लगाई गई प्लास्टिक की डस्टबिन को फिलहाल नगर निगम की कचरा गाड़ियां खाली करती हैं लेकिन कई बार कचरा डालते समय 10 दिन से कचरा बाहर फैल जाता है इसके अलावा कई बार डस्टबिन क्रमिक रूप से खाली भी नहीं हो पाती इस व्यवहारिक परेशानी के कारण आसमां ने अपनी सहयोगी वैशाली सोनी के साथ मिलकर एक ऐसा अनूठा साइंस मॉडल तैयार किया है जिसे नगरी निकायों द्वारा अमल में लाने पर शहर की तमाम कचरा पेटियां ना केवल क्रमिक रूप से खाली हो सकेंगी बल्कि सांप भी रह सकेंगी हाल ही में बाल विनय मंदिर में लगी जिला स्तरीय इंस्पायर्ड प्रदर्शनी में यह मॉडल सुर्खियों में आया मॉडल की खासियत यह है कि इसमें प्लास्टिक के स्थान पर सीमेंट की 10 दिन लगाने का सुझाव दिया गया है प्रस्तावित मॉडल में डस्टबिन के साथ सेंसर लगे हैं जिसके जरिए डस्टबिन से बाहर कचरा गिरते ही सायरन बजने लगेगा ऐसी स्थिति में सायरन तब तक बजता रहेगा जब तक कि बाहर गिरे कचरे को डस्टबिन में नहीं डाला जाएगा


Conclusion:बाइट असमा सीहोर वाला और वैशाली सोनी
Last Updated : Jan 9, 2020, 1:09 PM IST
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