इंदौर। देश में लगातार तीन बार सबसे स्वच्छ सिटी रहा इंदौर अब चौथी बार भी यह तमगा हासिल करने की कोशिश में है. शहरवासी भी इसके लिए काफी प्रयासरत हैं. ऐसा ही एक प्रयास इंदौर की एक छात्रा आसमां ने किया है. आसमां ने सार्वजनिक स्थानों को साफ रखने के लिए एक ऐसा साइंस मॉडल तैयार किया है, जिसके उपयोग से सार्वजनिक स्थानों पर लगी डस्टबिन भरते ही पता चल जाएगा कि उसे कब खाली करना है.
साथ ही यह मॉडल कचरा डस्टबिन से बाहर गिरते ही अलर्ट भी करता है. हाल ही में बाल विनय मंदिर में लगी जिला स्तरीय इंस्पायर्ड प्रदर्शनी से यह मॉडल सुर्खियों में आया. मॉडल की खासियत यह है कि इसमें प्लास्टिक के स्थान पर सीमेंट की डस्टबिन लगाने का सुझाव दिया गया है.
ऐसे काम करता है ये मॉडल
प्रस्तावित मॉडल में डस्टबिन के साथ सेंसर लगे हैं, जिसके जरिए डस्टबिन से बाहर कचरा गिरते ही सायरन बजने लगेगा. ऐसी स्थिति में सायरन तब तक बजता रहेगा जब तक कि बाहर गिरे कचरे को डस्टबिन में नहीं डाला जाएगा.
शहर के विभिन्न सार्वजनिक स्थानों पर लगाई गई प्लास्टिक की डस्टबिन को फिलहाल नगर निगम की कचरा गाड़ियां खाली करती हैं, लेकिन कई बार कचरा डालते समय डस्टबिन से कचरा बाहर फैल जाता है. इसके अलावा कई बार डस्टबिन क्रमिक रूप से खाली भी नहीं हो पाती.
इस व्यवहारिक परेशानी के कारण आसमां ने अपनी सहयोगी वैशाली सोनी के साथ मिलकर एक ये अनूठा साइंस मॉडल तैयार किया है, जिसे अमल में लाने पर शहर की तमाम कचरा पेटियां ना केवल क्रमिक रूप से खाली हो सकेंगी, बल्कि साफ भी रह सकेंगी.