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स्थापना दिवस: यहां बनाई गई थी मध्यप्रदेश के गठन की रणनीति, इंदौर भी था राजधानी का दावेदार - मध्यप्रदेश के गठन की रणनीति

इंदौर में मध्यप्रेदश की गठन की रणनीति बनी थी. पहले इंदौर प्रबल दावेदार था, लेकिन देश के पूर्व पीएम पंडित जवाहर लाल नेहरू ने भोपाल को राजधानी बनाने पर सहमति दे दी.

मध्यप्रदेश के गठन की रणनीति
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Published : Nov 1, 2019, 12:04 AM IST

इंदौर। एक नवंबर को देश के दिल यानी मध्य प्रदेश का 64वां स्थापना दिवस है, लेकिन यह कम लोग ही जानते हैं कि मध्यप्रदेश के गठन की रणनीति मध्यभारत की राजधानी रही इंदौर में बनी थी, यह बात और है कि स्थानीय विरोध और पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की असहमति के कारण इंदौर राजधानी नहीं बन सका, लेकिन इसके बदले इंदौर को मध्यप्रदेश गठन के बाद हाई कोर्ट बेंच समेत कई केंद्रीय और राज्य कार्यालय आवंटित हुए, यही वजह है कि इंदौर प्रदेश की औद्योगिक राजधानी होने के कारण अपना अलग मुकाम रखती है.

यहां बनाई गई थी मध्यप्रदेश के गठन की रणनीति

इंदौर मध्य भारत राज्य की राजधानी होने के बावजूद आजादी के पूर्व से ही राजनीतिक सामाजिक और आर्थिक गतिविधियों का केंद्र रहा है. आजादी के तमाम आंदोलनों की शुरुआत इंदौर से ही हुई थी. राज्य प्रजामंडल के द्वारा राजनीतिक प्रतिनिधित्व की सारी गतिविधियां इंदौर से ही संचालित होती थीं, इस क्रम में मध्य प्रदेश के गठन की बारी जब आई तो इंदौर को ही राजधानी बनाए जाने की मांग सर्वप्रथम 1956 में यहां कांग्रेस अधिवेशन के दौरान हुई थी.

हालांकि तत्कालीन श्रम मंत्री द्रविड़ और मजदूर नेता रामजी भाई समेत निमाड़ के कुछ नेता इंदौर को राजधानी बनाने को लेकर सहमत नहीं थे. उसी दौरान ग्वालियर को राजधानी बनाने की मांग जीवाजी राव सिंधिया, जबकि जबलपुर को राजधानी बनाने की मांग पंडित रविशंकर शुक्ल और मध्य भारत क्षेत्र यानी इंदौर को राजधानी बनाने की मांग मध्य भारत के मुख्यमंत्री मिश्रीलाल गंगवाल कर रहे थे.

इस बीच भोपाल राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. शंकर दयाल शर्मा की मांग पर प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने भोपाल को राजधानी बनाने की अंतिम स्वीकृति दे दी. हालांकि राजधानी बनाए जाने को लेकर इंदौर की मांग सबसे मजबूत थी. इसलिए इंदौर को सबसे पहले हाई कोर्ट बेंच का दर्जा मिला. साथ ही केंद्र और राज्य शासन के कई बड़े कार्यालयों की स्थापना इंदौर में की गई.

तीन बड़े हिस्सों को मिलाकर बनाया गया मध्यप्रदेश

जबलपुर और ग्वालियर के जनप्रतिनिधि भी उस दौरान राजधानी की मांग को लेकर अड़े रहे, लिहाजा जबलपुर को हाईकोर्ट देकर मनाया गया. पहले इंदौर क्षेत्र को मध्य भारत कहा जाता था, तब मध्य भारत की राजधानी इंदौर हुआ करती थी. उस दौरान 6 महीने के लिए इंदौर और अगले 6 महीने के लिए राजधानी ग्वालियर होती थी. इसके बाद मध्य भारत क्षेत्र के तीनों बड़े हिस्सों को मिलाकर 1 नवंबर 1956 को मध्य प्रदेश का गठन किया गया था.

इंदौर। एक नवंबर को देश के दिल यानी मध्य प्रदेश का 64वां स्थापना दिवस है, लेकिन यह कम लोग ही जानते हैं कि मध्यप्रदेश के गठन की रणनीति मध्यभारत की राजधानी रही इंदौर में बनी थी, यह बात और है कि स्थानीय विरोध और पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की असहमति के कारण इंदौर राजधानी नहीं बन सका, लेकिन इसके बदले इंदौर को मध्यप्रदेश गठन के बाद हाई कोर्ट बेंच समेत कई केंद्रीय और राज्य कार्यालय आवंटित हुए, यही वजह है कि इंदौर प्रदेश की औद्योगिक राजधानी होने के कारण अपना अलग मुकाम रखती है.

यहां बनाई गई थी मध्यप्रदेश के गठन की रणनीति

इंदौर मध्य भारत राज्य की राजधानी होने के बावजूद आजादी के पूर्व से ही राजनीतिक सामाजिक और आर्थिक गतिविधियों का केंद्र रहा है. आजादी के तमाम आंदोलनों की शुरुआत इंदौर से ही हुई थी. राज्य प्रजामंडल के द्वारा राजनीतिक प्रतिनिधित्व की सारी गतिविधियां इंदौर से ही संचालित होती थीं, इस क्रम में मध्य प्रदेश के गठन की बारी जब आई तो इंदौर को ही राजधानी बनाए जाने की मांग सर्वप्रथम 1956 में यहां कांग्रेस अधिवेशन के दौरान हुई थी.

हालांकि तत्कालीन श्रम मंत्री द्रविड़ और मजदूर नेता रामजी भाई समेत निमाड़ के कुछ नेता इंदौर को राजधानी बनाने को लेकर सहमत नहीं थे. उसी दौरान ग्वालियर को राजधानी बनाने की मांग जीवाजी राव सिंधिया, जबकि जबलपुर को राजधानी बनाने की मांग पंडित रविशंकर शुक्ल और मध्य भारत क्षेत्र यानी इंदौर को राजधानी बनाने की मांग मध्य भारत के मुख्यमंत्री मिश्रीलाल गंगवाल कर रहे थे.

इस बीच भोपाल राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. शंकर दयाल शर्मा की मांग पर प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने भोपाल को राजधानी बनाने की अंतिम स्वीकृति दे दी. हालांकि राजधानी बनाए जाने को लेकर इंदौर की मांग सबसे मजबूत थी. इसलिए इंदौर को सबसे पहले हाई कोर्ट बेंच का दर्जा मिला. साथ ही केंद्र और राज्य शासन के कई बड़े कार्यालयों की स्थापना इंदौर में की गई.

तीन बड़े हिस्सों को मिलाकर बनाया गया मध्यप्रदेश

जबलपुर और ग्वालियर के जनप्रतिनिधि भी उस दौरान राजधानी की मांग को लेकर अड़े रहे, लिहाजा जबलपुर को हाईकोर्ट देकर मनाया गया. पहले इंदौर क्षेत्र को मध्य भारत कहा जाता था, तब मध्य भारत की राजधानी इंदौर हुआ करती थी. उस दौरान 6 महीने के लिए इंदौर और अगले 6 महीने के लिए राजधानी ग्वालियर होती थी. इसके बाद मध्य भारत क्षेत्र के तीनों बड़े हिस्सों को मिलाकर 1 नवंबर 1956 को मध्य प्रदेश का गठन किया गया था.

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