इंदौर। देश और प्रदेश में आए दिन कई तरह के आपराधिक घटनाएं सामने आती है, वहीं अगर बाल अपराध की बात करें तो इनके आंकड़ें भी कुछ कम नहीं हैं. बच्चों के साथ भी बदमाशों द्वारा कई तरह के आपराधिक घटनाओं को अंजाम दिया जाता है. ऐसी घटनाएं सामने आने के बाद पुलिस उन पर सख्त कार्रवाई करते हुए पॉक्सो एक्ट के तहत कार्रवाई करती है और उन्हें सख्त सजा भी दिलाती है. वहीं पॉक्सो एक्ट में दर्ज मामलों के लिए स्पेशल कोर्ट में मामले की सुनवाई होती है, वहीं इंदौर की बात करें तो इंदौर में भी पॉक्सो एक्ट से संबंधित सुनवाई के लिए स्पेशल कोर्ट बनाई हुई है, जहां पर इसी तरह के मामलों की सुनवाई होती है.
इंदौर मध्यप्रदेश की आर्थिक राजधानी है, लेकिन इंदौर में आपराधिक घटनाएं भी लगातार सामने आ रही है. वहीं इन घटनाओं की बात करें तो इनमें से कई आपराधिक घटना बदमाशों द्वारा बच्चों के साथ अंजाम दी जाती है, जिसके कारण जब यह पूरा मामला सामने आता है तो पुलिस इस मामले में पॉक्सो के तहत मामला दर्ज करती है. ऐसे प्रकरणों को सुनने के लिए इंदौर में विशेष न्यायालय बने हुए हैं. जहां पॉक्सो एक्ट से संबंधित धाराओं में दर्ज प्रकरणों की ही सुनवाई की जाती है और यह प्रयास किया जाता है कि जल्द से जल्द सुनवाई कर आरोपी को सजा सुनाई जाए. वहीं पॉक्सो एक्ट में कई धाराओं का भी विवरण है, उन धाराओं के जरिए आरोपी को सख्त सजा दिलवाने का प्रयास पुलिस द्वारा कोर्ट के जरिए किया जाता है.वहीं समय सीमा भी प्रत्येक मामले के लिए बनी हुई है, उसी समय सीमा में पुलिस अधिकारी जांच करेंगे और कोर्ट में भी एक निश्चित समय सीमा के अनुसार ही सुनवाई होगी.
छिपायें नहीं बतायें: पॉक्सो कोर्ट के रास्ते में दम तोड़ती मासूमों की 'सिसकियां'!
तीन वर्ष से बीस वर्ष की सजा का प्रावधान
वहीं पॉक्सो एक्ट के मामले में दर्ज प्रकरणों में भी कई धाराओं के प्रावधान हैं और उन्हीं धाराओं के प्रावधान के अनुसार संबंधित धारा में 3 वर्ष से लेकर 20 वर्ष की सजा का प्रावधान भी है. पॉक्सो एक्ट में अगर मामला दर्ज होता है, तो इस पूरे मामले में काफी बारीकी से जांच पड़ताल करने के साथ ही आरोपी को गिरफ्तार कर स्पेशल कोर्ट के सामने पेश किया जाता है. वहां पर कोर्ट मामले में सुनवाई करते हुए जिन पॉक्सो एक्ट की धाराओं में प्रकरण दर्ज किया गया है, उन एक्ट की धाराओं के अनुसार संबंधित आरोपी को सजा सुनाती है.
18 वर्ष से कम उम्र के बच्चे और बच्चियों के मामले में होती है पॉक्सो के तहत करवाई
बता दें पॉक्सो एक्ट में 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चियों और बच्चों से संबंधित शिकायतों का निराकरण होता है. अगर किसी बच्ची या बच्चे जिसकी उम्र 18 वर्ष से कम है और उसके साथ किसी तरह की कोई घटना होती है, तो उस पूरे मामले में पुलिस पॉक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज करती है.
यह है विषंगतिया
वहीं इंदौर हाईकोर्ट के एडवोकेट गोविंद राय पुरोहित का कहना है कि यह बच्चों के साथ होने वाले अपराधों को रोकने के लिए तो कारगर है, लेकिन इस एक्ट में भी कई तरह की विसंगतियां है, जो समय अनुसार बदलाव की अपेक्षा कर रही है. एडवोकेट की व्यक्तिगत राय के अनुसार उनका कहना है कि यह 18 वर्ष से कम उम्र के आयु वर्ग के लिए काफी कारगर सिद्ध है, लेकिन कई बार लड़का लड़की जिनकी उम्र 18 वर्ष से काफी कम होती है, लेकिन वह राजी मर्जी से घर छोड़कर भाग जाते हैं, जिसके बाद लड़की के परिजन 18 वर्ष से कम उम्र युवक के खिलाफ विभिन्न धाराओं में प्रकरण दर्ज करवा देते हैं, क्योंकि लड़की की उम्र और लड़के की उम्र 18 वर्ष से कम होती है, लेकिन लड़की की शिकायत पर 18 वर्ष से कम उम्र के युवक पर पाक्सो एक्ट के तहत पुलिस प्रकरण दर्ज कर लेती है. इस पूरे मामले में आने वाले समय में इस अव्यवस्थाओं को दूर करना चाहिए.
पॉक्सो एक्ट में जहां इंदौर की जिला कोर्ट में एक अलग से कोर्ट बनी हुई है, जहां पर इससे संबंधित मामलों की सुनवाई होती है तो वहीं पीड़ित को सरकारी वकील के साथ ही कई तरह की सुविधा भी दी जाती है.