इंदौर। कोरोना के तमाम तरह के घातक वेरिएंट की जांच और जीनोम सीक्वेंसिंग (genome sequencing) अब मध्यप्रदेश में ही हो सकेगी. दरअसल, नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (एनसीडीसी) अथॉरिटी ने राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से चर्चा के बाद एनसीडीसी का एक केंद्र राज्य के लिए भी स्वीकृत किया है. उम्मीद की जा रही है कि 15 से 20 दिनों में मध्यप्रदेश में भी कोरोना के घातक वायरस के जीनोम सीक्वेंसिंग का काम शुरू हो सकेगा.
अब तक दिल्ली जा रहे थे सैंपल
देशभर में कोरोना के वायरस के संक्रामक प्रभाव और इसके दुष्परिणामों की जांच अब तक एनसीडीसी के दिल्ली स्थित केंद्र में ही हो पा रही थी. ऐसी स्थिति में देश के विभिन्न राज्यों से वायरस के जो सैंपल इकट्ठे करके दिल्ली भेजे जा रहे थे. उनकी रिपोर्ट आने में करीब एक एक महीना लग रहा था. वायरस के तात्कालिक दुष्प्रभावों से निपटना हर किसी के लिए चुनौतीपूर्ण था. लिहाजा, विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्रियों के अनुरोध के बाद भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय ने देश के कुछ चुनिंदा राज्यों में अब राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र की लैब स्थापित करने का निर्णय लिया है.
15-20 दिनों में स्थापित हो जाएगी लैब
राज्य के अपर मुख्य सचिव (एसीएस) मोहम्मद सुलेमान के अनुसार आगामी 15 से 20 दिनों में यह लैब मध्यप्रदेश में जिनोम सीक्वेंसिंग का कार्य शुरू कर देगी. उन्होंने बताया कि एनसीडीसी के प्रमुख डॉ. सुजीत सिंह ने इसकी पुष्टि की है. दरअसल, मध्यप्रदेश में जांच केंद्र की आवश्यकता इसलिए भी महसूस की जा रही थी, क्योंकि कोरोना वायरस के घातक संक्रमित मरीजों के सैंपल जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए दिल्ली भेजे जा रहे थे. उनकी रिपोर्ट आने में करीब एक महीना लग रहा था.
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मोहम्मद सुलेमान ने बताया कि संबंधित वायरस के बारे में स्थिति स्पष्ट नहीं हो पाने के कारण उससे बचाव की तैयारियों में भी देरी हो रही थी. यही स्थिति अन्य राज्यों की भी रही. लिहाजा, विभिन्न राज्यों की मांग पर भारत सरकार ने अब राज्यों के स्तर पर एनसीडीसी के केंद्र खोलने की सहमति दी है. इन केंद्रों के खुलने पर राज्यों के अस्पतालों से लिए जाने वाले मरीजों के सैंपल की जीनोम सीक्वेंसिंग की रिपोर्ट अथवा जांच स्थानीय स्तर पर ही प्राप्त हो सकेगी.