इंदौर। 7 साल की मासूम बच्ची के अपहरण की कोशिश करने वाले बस ड्राइवर को अपनी करनी की सजा मिली है. इंदौर की जिला कोर्ट ने दोषी को 5 साल की सजा सुनाते हुए 2000 रुपए का जुर्माना लगाया है. साल 2021 के इस मामले में मात्र डेढ़ साल में सुनवाई पूरी कर यह फैसला सुनाया गया है. अदालत ने कहा है कि पुलिस ने सघन जांच करते हुए सटीक तर्क और साक्ष्य पेश किए हैं.
देर रात घर में घुस आया था : वारदात 14 जुलाई 2021 की देर रात करीब 2 बजे की है. 7 साल की मासूम बालिका विजय नगर निवासी अपने मामा के घर सो रही थी. इसी दौरान गांधीनगर निवासी संतोष शर्मा घर में घुस आया. उसने बालिका को गोद में उठा लिया और बाहर ले जाने लगा. बच्ची ने शोर मचाया तो उसका मामा जाग गया. उसने रोकने की कोशिश की तो संतोष ने धमकाया कि यदि वह बीच में आया तो उसे जान से खत्म कर देगा. संतोष ने बालिका को उठाकर घर के बाहर खड़े मैजिक वाहन में डाल दिया.
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पुलिस ने पर्याप्त सबूत और गवाह पेश किए : देर रात हो रहे शोर-शराबे की वजह से आस-पास रहने वाले लोग भी जाग गए और घरों से बाहर आ गए. उन्होंने संतोष को पकड़ लिया. जमकर पिटाई करने के बाद पुलिस को बुलाया गया. संतोष को पुलिस को सौंप दिया गया. चार्जशीट दायर होने के बाद केस पास्को एक्ट के तहत गठित विशेष न्यायालय में गया. ट्रायल के दौरान बचाव पक्ष ने कहा कि संतोष को झूठे मामले में फंसाया गया है. लेकिन वह इसका कोई सबूत पेश नहीं कर पाया. वहीं, पुलिस ने केस के समर्थन में पर्याप्त सबूत और गवाह पेश किए.
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बच्ची ने आरोपी को पहचान लिया : सुनवाई के दौरान जेल में बंद संतोष को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बालिका के सामने पेश किया गया. उसने झट से पहचान लिया कि यही व्यक्ति उसे उठाकर ले जा रहा था. पुष्टि होने के बाद मुलजिम को कोर्ट ने घर में आधी रात घुसने और अगवा करने की कोशिश के जुर्म में दोषी करार दिया. संतोष ने रहम की गुहार लगाई. लेकिन विशेष न्यायाधीश पावस श्रीवास्तव ने उसे आईपीसी की धारा 458 व 363 के तहत 5 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाते हुए जेल भेज दिया. उस पर 2000 रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है.