इंदौर। शहर में कोरोना संक्रमण ने हाहाकार मचा रखा हैं. संक्रमित मरीजों के साथ-साथ मौत का आंकड़ा भी आसमान छू रहा हैं. ऐसे में शवों के अंतिम संस्कार के दौरान इस्तेमाल होने वाली सामग्री भी कम पड़ने लगी हैं. लिहाजा दूसरे जिले से सामग्रियों को मंगवाया जा रहा हैं.
इन दिनों कोरोना महामारी का शिकार होने वाले लोगों को यह अधिकार भी बमुश्किल नसीब हो पा रहा है इंदौर में आलम यह है कि श्मशान में लगातार जलती लाशों के कारण शवों को दहन करने की सामग्री भी कम पड़ने लगी है ऐसी स्थिति में लकड़ी से लेकर कंडे आदि की कीमतें तीन गुनी से भी ज्यादा हो चुकी हैं
अंतिम संस्कार के बाद अपनों की अस्थियां लेने मुक्तिधाम नहीं पहुंच रहे परिजन
कोरोना संक्रमित मरीजों की बात की जाए, तो यहां प्रतिदिन करीब 1800 से ज्यादा लोग पॉजिटिव पाए जा रहे हैं. इनमें से एक-दो फीसदी मरीजों की रोजाना मौत हो रही हैं. वहीं मौतों का आंकड़ा बढ़ने से 25 से 30 संस्थानों में अंतिम संस्कार के लिए लकड़ी के अलावा कंडों की भी कमी देखने को मिल रही हैं. स्थिति यह है कि पहले श्मशान घाट में लकड़ी और कंडे की गाड़ियां तीन दिन में एक बार आती थी, लेकिन अब एक दिन में तीन से चार गाड़ियां बुलाई जा रही हैं.
कंडे की कीमत 10 से 15 रुपये
इधर कंडों के दाम दो गुने से तीन गुने हो चुके हैं. सयाजी मुक्तिधाम के प्रभारी मुकेश चौरे का कहना है कि पिछले साल जो कंडे सात से आठ रुपये में बिकते थे. उनकी कीमत 10 से 15 रुपये हो चुकी हैं. अब धीरे-धीरे कंडे भी खत्म हो रहे हैं. लिहाजा देवास, बेटमा सहित अन्य इलाकों से कंडे बुलावाए जा रहे हैं.